कांग्रेस की नई नियुक्तियां पूर्वांचल में पैठ बढ़ाने का संकेत
कांग्रेस की नई नियुक्तियां पूर्वांचल में पैठ बढ़ाने का संकेत दिखाई देती हैं। हालांकि इससे कुछ असंतोष भी पनप रहा है।
लखनऊ (जेएनएन)। कांग्रेस की नई नियुक्तियां पूर्वांचल में पैठ बढ़ाने का संकेत दिखाई देती हैं। युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर देवरिया के निवासी केशव चंद्र यादव की तैनाती के बाद राहुल गांधी ने अल्पसंख्यक विभाग भी पूर्वांचल के खाते में डाल दिया है। जौनपुर के नदीम जावेद की अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को मुसलमानों में युवाओं को लुभाने से जोड़कर देखा जा रहा है। एनएसयूआइ में लंबे समय सक्रिय रहे नदीम को नयी सोच का मुस्लिम नेता माना जाता है। वैसे भी कांग्रेस में मुस्लिम चेहरे की कमी थी। पूर्व विधायक इमरान मसूद का सहारनपुर और आसपास के जिलों तक सिमटकर रह जाने से उनका प्रदेश स्तर पर पार्टी हित में उपयोग नहीं हो सका। प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर का दावा है कि नदीम युवाओं को कांग्रेस से जोडऩे में कामयाब रहेंगे।
नयी नियुक्तियों से असंतोष
कांग्रेस में नयी नियुक्तियों के साथ असंतोष भी है। अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नदीम जावेद की तैनाती की घोषणा होते ही प्रांतीय चेयरमैन पद से पूर्व विधायक सिराज मेंहदी ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रेषित किए त्यागपत्र में उन्होंने पद पर बने रहने की असमर्थता जताते हुए कहा कि सच्चे कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी में काम करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश चेयरमैन पद पर उनकी तैनाती पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा की गई थी। मुख्य संगठन में प्रदेश उपाध्यक्ष के पद का दायित्व भी सौंपा गया था। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा.निर्मल खत्री के नेतृत्व में कार्य करने के बाद अभी तक दोनों दायित्व निभा रहे हैं। उनका कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में वह केवल एक पद पर ही कार्य कर सकते हैं। ऐसे में उनका अल्पसंख्यक विभाग के प्रांतीय चेयरमैन पद से त्यागपत्र स्वीकार कर लिया जाए।
टकराव किसी से छिपा नहीं
सिराज मेंहदी की कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की जानकारी मिलते ही उन्होंने एक व्यक्ति को काम करने का अवसर देने के लिए पद छोड़ा है। सिराज भले ही अपने त्यागपत्र देने पर सफाई दे रहें हो परंतु नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष नदीम जावेद से उनका टकराव किसी से छिपा नहीं है। दोनों नेता मूल रूप से एक जिले(जौनपुर) के निवासी हैं। सो दोनों में राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा स्वाभाविक है। नदीम वर्ष 2012 में जौनपुर सीट से विधायक चुने गए थे परंतु इस बार हार गए। दिल्ली में रहकर राजनीति करने के माहिर नदीम (एनएसयूआइ) भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के अध्यक्ष भी रहे हैं। वहीं, असंतुष्ट खेमे का मानना है कि अल्पसंख्यकों को जोडऩे का जिम्मा ऐसे अनुभवी नेता को सौंपना चाहिए था, जिसे जमीनी हकीकत की अच्छी समझ हो।