Move to Jagran APP

32 डॉक्टरों की फौज फिर भी न्यूरोलॉजी की इमरजेंसी बंद, भटक रहे मरीज

केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को 24 घंटे नहीं मिल रहा इलाज इमरजेंसी यूनिट के लिए नहीं मिला स्थान।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 26 Apr 2019 08:07 PM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2019 12:30 AM (IST)
32 डॉक्टरों की फौज फिर भी न्यूरोलॉजी की इमरजेंसी बंद, भटक रहे मरीज
32 डॉक्टरों की फौज फिर भी न्यूरोलॉजी की इमरजेंसी बंद, भटक रहे मरीज

लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में न्यूरोलॉजी के मरीजों को 24 घंटे इलाज नहीं मिल पा रहा है। कारण, इमरजेंसी सेवा का शुरू न होना है। यह हाल तब है, जब विभाग में 32 डॉक्टरों की फौज है। इसके चलते दूर-दराज से आने वाले अति गंभीर मरीज भटकने के लिए मजबूर हैं।

prime article banner

केजीएमयू में करीब 70 विभाग संचालित हैं। इनमें ट्रॉमा सेंटर में 10 विभागों की इमरजेंसी चल रही है। वहीं, आठ विभागों को इमरजेंसी के लिए स्थान मुहैया नहीं हो पा रहा है। इसके चलते इन विभागों की इमरजेंसी सेवा ठप है। वहीं, सबसे अधिक दिक्कत न्यूरोलॉजी के मरीजों को हो रही है। ट्रॉमा में जगह आवंटित न होने से न्यूरोलॉजी की इमरजेंसी यूनिट शुरू नहीं हो पा रही है। 

आठ फैकल्टी, 24 एसआर

न्यूरोलॉजी विभाग वर्षों पुराना है। इसमें कुल 71 बेड हैं। यहां आठ फैकल्टी और 24 एसआर की तैनाती है। बावजूद, इमरजेंसी सेवा अभी तक रन न होना सवाल खड़े करता है।

स्ट्रोक के मरीजों को भी राहत नहीं

ट्रॉमा सेंटर में एक्यूट स्ट्रोक के  लिए दो बेड इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में रखे गए थे। यहां स्ट्रोक पडऩे के साढ़े तीन घंटे के अंदर पहुंचने पर ही भर्ती का नियम है। इन भर्ती मरीजों को थांब्रोलिसिस करने की दावा देनी होती है। मगर, महीने में बमुश्किल दो-तीन मरीजों की ही थांब्रोलिसिस हो पा रही है। वहीं, पैरालिसिस, नॉन इंटरवेंशनल हेडइंजरी, कोमा, ब्रेन टीबी, मिर्गी के गंभीर मरीजों को इमरजेंसी में इलाज नहीं मिल पा रहा है। सिफारिश से मेडिसिन विभाग में मरीज भर्ती भी करा लिए तो उन्हें विशेषज्ञ सुविधा नहीं मिल पाती है।

कई कक्षों पर लगा ताला

ट्रॉमा सेंटर में जहां कई विभागों को इमरजेंसी रन करने के लिए जगह नहीं मिल पा रही है। वहीं, कैजुअल्टी के समक्ष छह बेड के वार्ड पर ताला लगा रहता है। इसके अलावा पांचवें तल पर इमरजेंसी यूनिट बनाने के बजाय करोड़ों रुपये के डॉक्टरों के कक्ष बना दिए गए हैं। यहां भी यूनिट रन करने का विकल्प है। इसके साथ ही मदर मिल्क बैंक ट्रॉमा सेंटर में खोल दिया गया है, जबकि यह विभाग क्वीनमेरी में भी रन हो सकता था। प्रबंधन की हीलाहवाली के चलते गंभीर मरीज भटकने के लिए मजबूर हैं।  

अन्य अस्पतालों में बेड का संकट

शहर के सरकारी अस्पतालों में न्यूरोलॉजी का इलाज मुश्किल है। बलरामपुर, लोहिया संस्थान, पीजीआइ में ही न्यूरोलॉजी की इमरजेंसी है। वहीं, लोहिया संस्थान और पीजीआइ में बेडों का संकट रहता है। ऐसे में ट्रॉमा सेंटर में आने वाले मरीज भटकने के लिए मजबूर हैं। 

क्या कहते हैं जिम्मेदार ? 

केजीएमयू न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. आरके गर्ग का कहना है कि ट्रॉमा सेंटर में यूनिट के लिए जगह मिल जाए तो मुझे इमरजेंसी सेवा शुरू करने में कोई दिक्कत नहीं है। कई बार केजीएमयू प्रशासन को पत्र लिखा, मगर अभी तक जगह आवंटित नहीं हो सकी है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.