Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti: रायबरेली में किसानों के उत्पीड़न की दास्तान सुन दौड़े चले आए थे नेताजी
Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti 2021 नेताजी के पहुंचने के पहले ही कांग्रेस के रफी अहमद किदवई ने मुंशी चंद्रिका प्रसाद का अनशन तोड़वा दिया था। नेताजी जब सुदौली पहुंचे तो इस पर बात पर खासा नाराज हुए।
रायबरेली, जेएनएन। आजाद हिंद फौज का गठन करने वाले और स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता सुभाष चंद्र बोस के पुण्य कदम रायबरेली की धरा पर भी पड़े थे। उनके आने की बात सुनकर लाखों की भीड़ सुदौली में उमड़ पड़ी थी। करीब एक से डेढ़ घंटे उन्होंने इस भीड़ को संबोधित किया था। अंग्रेजों और रियासतों का उत्पीड़न झेल रहे लोगों के दिलों में आजादी के दीप जलाए थे। यह बात करीब 82 साल पहले वर्ष 1938 की है। फीरोज गांधी डिग्री कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. राम बहादुर वर्मा बताते हैं कि देश में अंग्रेजों का शासन था। उनके नीचे छोटी-छोटी रियासतों के राजा अपना राज चलाते थे। कहीं-कहीं किसानों और मजदूरों पर जुल्म ढाया जा रहा था। उस वक्त की सुदौली रियासत (अब बछरावां ब्लॉक का गांव) में हालात बद से बदतर थे।
रियासत के राजा रामपाल की मौत हो चुकी थी। रानी का राज था, लेकिन अपने कारिंदों पर उनकी कोई पकड़ नहीं थी। खूब मनमानी होती थी। कांग्रेस नेता मुंशी चंद्रिका प्रसाद से जब इनका अत्याचार देखा न गया तो वे अनशन पर बैठ गए। उसी दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस उन्नाव के मकूल में एक सभा को संबोधित करने आए थे। इसका आयोजन पं. विशंभर दयाल ने किया था। उन्होंने ही नेताजी को सुदौली में चल रहे आंदोलन के बारे में बताया। किसानों की पीड़ा और मुंशी चंद्रिका प्रसाद के अनशन की बात सुन वह सहयोग देने दौड़े चले आए।
‘सुदौली को मैं बरडोली बना देता’
डाॅ. राम बहादुर वर्मा बताते हैं कि नेताजी के पहुंचने के पहले ही कांग्रेस के रफी अहमद किदवई ने मुंशी चंद्रिका प्रसाद का अनशन तोड़वा दिया था। नेताजी जब सुदौली पहुंचे तो इस पर बात पर खासा नाराज हुए। उन्होंने कहा कि अगर यह अनशन न टूटता तो इसमें पूरा सहयोग देता और सुदौली को बरडोली बना देता।