UP: कतर्निया वन क्षेत्र की दलदली भूमि और घने जंगलों के आकर्षण से खिंचे चले आते हैं नेपाली हाथी
हिमालय की तलहटी में 551 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले कतर्निया जंगल की ओबोहवा नेपाल के खाता कारीडोर के जंगलों में रहने वाले हाथियों को रास आ रही है। खाता कारीडोर के रास्ते तकरीबन 50 हाथियों का झुंड भारत के जंगलों में डेरा जमाए हुए हैं।
बहराइच [संतोष श्रीवास्तव]। हिमालय की तलहटी में 551 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले कतर्निया जंगल की ओबोहवा नेपाल के खाता कारीडोर के जंगलों में रहने वाले हाथियों को रास आ रही है। खाता कारीडोर के रास्ते तकरीबन 50 हाथियों का झुंड भारत के जंगलों में डेरा जमाए हुए हैं। दलदली भूमि और वन कुंजों का आकर्षण हाथियों को स्वत: कतर्निया के जंगल की ओर ले आ रहा है।
नेपाली हाथियों के भारतीय जंगल में जमे रहने से जंगलवर्ती ग्रामीण भले ही दहशतजदा हों, लेकिन वन विभाग इसे सुखद और पर्यटकों की दृष्टि से लाभकारी मान रहा है। इस बार पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बाघ, तेंदुआ के साथ हाथियों का झुंड भी होगा। इनकी सुरक्षा को लेकर भी सतर्क हैं।
कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार वन क्षेत्र नेपाल के बर्दिया नेशनल पार्क व अन्य जंगलों से मिला हुआ है। दोनों देशों के जंगलों को कुछ अलग करता है तो नोमेंस लैंड की सीमारेखा। लगभग 551 वर्ग किमी में कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग फैला है। ऊबड़-खाबड़ और पहाड़ियों पर स्थित होने के कारण नेपाल के जंगल में वन्यजीवों को वह आहार नहीं मिल पाता जो कतर्निया में उपलब्ध है। यही कारण है कि नेपाली हाथियों का झुंड अक्सर कतर्निया जंगल की ओर रुख कर लेता है।
नेपाल की ऊंची पहाड़ियों और सुरम्य घाटियों के बीच खूबसूरत जंगल को छोड़कर हाथियों का झुंड अब कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार का आकर्षण बढ़ा रहे हैं। तकरीबन 50 नेपाली हाथियों का झुंड कतर्नियाघाट के जंगलों में पहुंचा है। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष यहां हाथियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वन्यजीव प्रेमी व वन विभाग के अधिकारी इसे शुभ संकेत मान रहे हैं। नेपाली हाथियों का झुंड अक्सर कतर्निया के गेरुआ नदी के किनारे अठखेलियां करते नजर आ रहे हैं।
कतर्नियाघाट के रेंजर पीयूष मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि नेपाल से हाथियों का झुंड कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के भरथापुर व आसपास के इलाकों में डेरा जमाए हुए है। गेरुआ व कौडियाला नदी के इर्द-गिर्द हाथियों का झुंड अठखेलियां करता नजर आता है। उनकी सुरक्षा को लेकर वनकर्मियों की टीम मुस्तैद है।