शकुंतला विवि: जिम्मेदारों के ढुलमुल रवैये, दिव्यांगों के कॅरियर पर लगा बैरियर
शकुंतला विवि प्रशासन की अनदेखी के चलते सरकार के करोड़ों रुपये गए पानी में। जिम्मेदारों के ढुलमुल रवैये के चलते सुविधाओं से वंचित हैं दिव्यांग छात्र।
लखनऊ [पुलक त्रिपाठी]। शिक्षा के साथ दिव्यांगों को खेलों की दुनिया में भी लाने की सरकार की मंशा पर शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय पानी फेर रहा है। विवि में करोड़ों रुपये की लागत से बैरियर फ्री बाधा रहित स्टेडियम अधर में अटका है, इसके चलते विवि के छात्र खेल सुविधाओं से वंचित हैं।
दरअसल, दिव्यांग छात्रों के लिए विवि परिसर में ही बैरियर फ्री स्टेडियम बनाया जाना था। स्टेडियम का शिलान्यास 22 दिसंबर 2016 को किया गया था। योजना के लिए सरकार ने करीब डेढ़ सौ करोड़ की धनराशि मंजूर की थी। शुरुआती दौर में करीब पचास करोड़ रुपये सरकार की ओर से स्टेडियम निर्माण के लिए स्वीकृत किए गए। इसके बाद विवि प्रशासन की लापरवाही के चलते स्टेडियम निर्माण का काम ठंडे बस्ते में चला गया।
दिव्यांग छात्रों मिलनी थी ये सुविधाएं
केंद्र और राज्य सरकार का मकसद सामान्य छात्रों की तरह ही दिव्यांग छात्रों को सुविधा मुहैया कराना है। बैरियर फ्री स्टेडियम भी इसी सोच का हिस्सा रहा। स्टेडियम में इनडोर खेलों के तहत जिमनास्टिक, वेटलिफ्टिंग, पॉवर लिफ्टिंग, टेबल टेनिस, चेस, कैरम तो वहीं आउटडोर खेलों के तहत क्रिकेट, फुटबॉल, वालीबॉल व एथलेटिक्स कोर्ट बनना था।
पैरालंपिक खेल होते आयोजित
स्टेडियम के तैयार होने के बाद सरकार की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक खेलों के आयोजन किए जाने की मंशा थी, मगर विवि प्रशासन की उदासीनता के चलते सरकार की यह योजना भी औंधे मुंह ही है।
यह सुविधाएं भी थी विशेष
सीसी कैमरे, वाई-फाई, ईपीवीएक्स और सौ केवी का सोलर पॉवर प्लांट भी इसी स्टेडियम का हिस्सा है। इसके साथ वातानुकूलित ऑडिटोरियम व कैफेटेरिया जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराना था। इस योजना के प्रथम चरण में 50 करोड़ 66 लाख 57 हजार रुपये मंजूर किए गए थे। इसके लिए वर्ष 2016-17 में 35 करोड़ रुपये तो वहीं 2017-18 में शेष राशि दी गई, मगर विवि प्रशासन की उदासीनता की वजह से दिव्यांग छात्रों की खेलों से दूरी बरकरार है। विवि प्रशासन के लचर रवैये का नतीजा यह है कि सरकार का करोड़ों रुपया मैदान में पानी की तरह गया है। स्टेडियम अधूरा पड़ा है।
सरकारी पैसे की बर्बादी देख रहे सरकारी अफसर
बेहद संवेदनशील विषय है कि सरकार ने दिव्यांगों को खेलकूद से जोडऩे के लिए सरकार ने ऐतिहासिक योजना की पहल की। बजट बंदिश के बावजूद सरकार ने उदारतापूर्वक करोड़ों रुपये का बजट स्वीकृत किया, मगर करीब दो साल से सरकार का यह पैसा बर्बाद होता नजर आ रहा है और सरकार अफसर संवेदनहीन बने हुए हैं।
क्या कहते हैं कुलपति?
शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रवीर कुमार का कहना है कि स्टेडियम का काम चल रहा है। वर्तमान में वहां पर क्या काम हो रहे इसके बारे में पूरी जानकारी लेकर ही बताया जा सकता है। कोशिश की जा रही कि काम जल्दी पूरा हो।