Bank Strike: देशव्यापी बैंक हड़ताल से ढाई हजार करोड़ के लेनदेन पर लगा ताला
देशव्यापी कार्य बहिष्कार के चलते ठप रहीं बैंकिंग सेवाएं आइबीए व केंद्र सरकार पर बैंककर्मियों का फूटा आक्रोश।
By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 01 Feb 2020 09:36 AM (IST)Updated: Sat, 01 Feb 2020 09:36 AM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) की ओर से देशव्यापी हड़ताल के चलते सभी सरकारी बैंकों की शाखाओं में शुक्रवार को ताले लटके रहे। बैंककर्मियों ने भारतीय स्टेट बैंक मुख्यालय परिसर में प्रदर्शन कर इंडियन बैंक एसोसिएशन (आइबीए) व केंद्र सरकार के खिलाफ रोष जताया। हड़ताल के कारण ग्राहक सेवाएं पूरी तरह प्रभावित रहीं। यूएफबीयू के मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी ने बताया कि राजधानी में करीब ढाई हजार करोड़ का लेनदेन प्रभावित रहा।
भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, कैनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, सिंडीकेट बैंक, यूनाइटेड बैंक, यूनियन, इंडियन ओवरसीज बैंक, इलाहाबाद बैंक, सेंट्रल बैंक, विजया बैंक समेत सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों की राजधानी स्थित करीब 905 बैंक शाखाओं के 10 हजार कर्मचारी व अधिकारी हड़ताल पर रहे। दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन राष्ट्रीयकृत बैंकों के एआईबीईए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफई, आइएनबीईएफ, आइएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू समेत सभी नौ संगठन शामिल रहे। नेशनल कंफेडरेशन ऑफ बैंक इंप्लाइज के महामंत्री केके सिंह ने कहा कि आइबीए की ओर से महज दो प्रतिशत वेतनवृद्धि का प्रस्ताव शर्मसार करने वाला है। एआइबीओसी के महासचिव दिलीप चौहान, एसबीआई ऑफिसर्स एसोसिएशन के महामंत्री पवन कुमार, ताहिर आली, अखिलेश मोहन, वाईके अरोड़ा, सौरभ श्रीवास्तव, वीके सिंह, एसके संतानी, डीपी वर्मा, एसडी मिश्र, दीप बाजपेई, विनय सक्सेना, राजेश श्रीवास्तव, मुकेश मेहरोत्रा, अनिल श्रीवास्तव, सुरेश खोसला, एमजेड हसन ने सरकार पर निशाना साधा।
मांगें
- आइबीए की ओर से दो प्रतिशत वेतन वृद्धि के प्रस्ताव को खारिज कर 30 प्रतिशत वेतन वृद्घि की जाए।
- खराब ऋणों की वसूली को कठोर उपाय किए जाए।
- सभी वर्ग के पदों पर कर्मचारियों की भर्ती हो।
- बैंककर्मियों पर सरकार अनैतिक दबाव न बनाए।
- केंद्र सरकार बैंकों के समायोजन का विचार त्याग दे।
लोगों को परेशानी : डिमांड ड्राफ्ट, चेक क्लियरिंंग, जमा व निकासी न होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
निजी बैंकों में कामकाज : निजी बैंकों में आमदिनों जैसा हाल रहा। हालांकि बैंक संगठनों के दबाव पर उन्हें भी कुछ देर शाखाएं बंद करनी पड़ीं।
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