Navratri 2020: प्रतिबंधों के बावजूद श्रद्धालुओं में दिखा उत्साह, दर्शन की कतार-लगे मां के जयकारे
Navratri 2020 मां के तीसरे चंद्र घंटा स्वरूप की आराधना। चौक के बड़ी व छोटी काली जी मंदिर में मास्क लगाकर श्रद्धालुओं की कतार भोर में मंदिर खुलते ही लग गई। ठाकुरगंज में मां पूर्वी देवी का श्रृंगार श्रद्धालुओं को बरबस अपनी ओर खींचता रहा।
लखनऊ, जेएनएन। Navratri 2020: कोरोना संक्रमण के प्रतिबंधों के बावजूद श्रद्धालुओं के अंदर दर्शन पूजन का उत्साह देखते ही बन रहा था। सोमवार को मां के तीसरे चंद्रघंटा स्वरूप के दर्शन के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की कतार लग गई थी। निर्भयता और सौम्यता की प्रतीक मां भवानी का यह स्वरूप मानव के कष्टों को हरने वाला होता है। आचार्य राकेश पांडेय ने बताया कि जिनका चंद्रमा कमजोर होता है, उन्हें मां के इस स्वरूप का पूजन करने से लाभ होता है। शेर पर सवार मां के दशों हाथों में कमल और कमंडल के साथ ही अस्त्र शस्त्र होता है। मांथे पर बना आधा चांद ही उनके चंद्रघंटा स्वरूप की पहचान बताता है।
चौक के बड़ी व छोटी काली जी मंदिर में मास्क लगाकर श्रद्धालुओं की कतार भोर में मंदिर खुलते ही लग गई। रानी कटरा के संकटा देवी मंदिर में घंटा बजाने पर प्रतिबंध लगा तो दर्शन करने वालों की कतार भी लगी रही। चौपटिया के संदोहन देवी मंदिर में श्रद्धालुओं ने स्वयं प्रसाद चढ़ाकर देवी मां से समाज को कोरोना मुक्त करने की कामना की। चुनरी फूलों के हार से सजी शास्त्रीनगर स्थित मां दुर्गा के दरबार में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। ठाकुरगंज में मां पूर्वी देवी का श्रृंगार श्रद्धालुओं को बरबस अपनी ओर खींचता रहा। आलमबाग के मौनी बाबा मंदिर में सजे दरबार में महाआरती हुई तो श्रद्धालुओं को शारीरिक दूरी के साथ दर्शन कराया गया।
ठाकुरगंज स्थित मां पूर्वी देवी, शास्त्रीनगर स्थित मां दुर्गा देवी मंदिर के अलावा गणेशगंज व चौक में स्थित मां संतोषी माता के मंदिर में श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। चौक की आनंदी माता मंदिर व अलीगंज के विंध्याचल मंदिर के अलावा बख्शी का तालाब स्थित मां चंद्रिका देवी व इक्यावन शक्तिपीठ में दर्शन करने वालों की भीड़ रही।
मंदिर समिति के पदाधिकारी रहे सतर्क
कोरोना संक्रमण काल में मंदिरों में दर्शन की व्यवस्थाओं में बदलाव के साथ मंदिर समिति के पदाधिकारी भी सुबह से व्यवस्था में लगे रहे। प्रसाद से लेकर ज्योति प्रज्ज्वलित करने पर प्रतिबंध था, बावजूद इसके श्रद्धालुओं में मां के प्रति आस्था और समर्पण का भाव वही पुराना था। दु:खों काे दूर करने की कामना को लेकर श्रद्धालुओं की कतार लगी रही। बड़ी काली जी मंदिर के व्यवस्थापक शक्तिदीन ने बताया कि मां का दरबार भोर में खुला तो देर शाम आरती के साथ ही बंद हुआ। संदोहन देवी मंदिर के कमल मेहरोत्रा सेवकों के साथ दर्शन कराने में जुटे रहे। संकटा देवी मंदिर में व्यवस्थापक विष्णु त्रिपाठी लंकेश सुबह से ही कतार लगवाने में लगे रहे। शास्त्रीनगर दुर्गा मंदिर के राजेंद्र अग्रवाल की ओर से सुबह मां का श्रृंगार किया गया। आलमबाग के मौनीबाबा मंदिर में मुख्य पुजारी श्याम सुंदर शुक्ला की ओर से पूजन किया गया।