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एएमयू के खिलाफ निर्णय लेगा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग : कठेरिया

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में एससी-एसटी व पिछड़ा वर्ग के छात्रों को आरक्षण न दिए जाने के मुद्दे पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग कड़ा कदम उठायेगा।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 30 Aug 2018 08:12 PM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 08:12 PM (IST)
एएमयू के खिलाफ निर्णय लेगा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग : कठेरिया
एएमयू के खिलाफ निर्णय लेगा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग : कठेरिया

लखनऊ (जेएनएन)। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में एससी-एसटी व पिछड़ा वर्ग के छात्रों को आरक्षण न दिए जाने के मुद्दे पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग जल्द कड़ा कदम उठायेगा। आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर राम शंकर कठेरिया ने कहा, एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) हर साल एएमयू को एक हजार करोड़ रुपये अनुदान देता है। इस विश्वविद्यालय में यूजीसी के सारे नियम लागू हैं लेकिन, आरक्षण लागू नहीं है। लखनऊ में पत्रकारों से प्रोफेसर कठेरिया ने कहा कि आयोग 15 दिन फुल कमीशन की बैठक में निर्णय कर आदेश जारी करेंगे कि आरक्षण न देने का एएमयू का निर्णय असंवैधानिक है। वहां आरक्षण लागू हो। चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लिहाजा आयोग खुद पार्टी बनेगा और अपना हलफनामा दाखिल करेगा। 

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मायावती पर भी निशाना साधा

प्रो.कठेरिया ने कहा, 15 दिन पूर्व एमएचआरडी, डीओपीटी व अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारियों ने आयोग को लिखित दिया है कि एएमयू अल्संख्यक संस्थान नहीं है। एएमयू में 30 हजार छात्र पढ़ते हैं। ऐसे में वहां हजारों एससी-एसटी व पिछड़ा वर्ग के छात्रों का नुकसान हो रहा है। आयोग अध्यक्ष ने इस मुद्दे को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती सहित अन्य राजनीतिक दलों पर भी निशाना साधा। कहा कि मायावती व अन्य दल अपनी चुप्पी तोड़ें। मायावती एससी-एसटी के हक को आगे नहीं आ रही हैं। वह इस मुद्दे को उठाएं तो हम लोग उनके पीछे खड़े होकर लडऩे को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि एएमयू प्रशासन भी आयोग के समक्ष स्वीकार कर चुका है कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है लेकिन, उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है। 

यह पाकिस्तान नहीं है

आयोग अध्यक्ष ने कहा कि एएमयू में संवैधानिक व्यवस्था लागू होनी चाहिए। यह भारत है पाकिस्तान नहीं है। देश संविधान से चलता है। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी आयोग का दुरुपयोग न हो, इसे रोकना पुलिस की जिम्मेदारी है। एक सवाल के जवाब में कहा कि एससी-एसटी एक्ट में कोई बदलाव नहीं हुआ है। पुलिस अब भी पहले मामले की जांच करती है, तब आरोपित को गिरफ्तार करती है। एससी-एसटी उत्पीडऩ के मामलों में तीन प्रतिशत की गिरावट आई है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व इस मुद्दे को लेकर उप्र एससी-एसटी आयोग ने एएमयू प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया था। 


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