कमल से निकलेगी सेहत और संपत्ति की सुगंध, NBRI ने शुरू किया मिशन लोटस
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान ने कमल को व्यावसायिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
लखनऊ, (रूमा सिन्हा)। राष्ट्रीय पुष्प कमल को ऐश्वर्य और वैभव की देवी लक्ष्मी का आसन माना जाता है। देश में इसका प्रयोग भी लक्ष्मी पूजा में होता है। यही (पुष्कर) कमल का फूल अब लोगों की सेहत सुधारने के साथ-साथ जेब भी भारी करेगा। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) राष्ट्रीय पुष्प कमल को पोषण और आय का प्रमुख स्रोत बनाने की कोशिश में है।
संस्थान ने इसके लिए लोटस मिशन की शुरुआत की है। संस्थान के मुताबिक इसकी जड़ों और बीजों में महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्व होते हैं। कनाडा, जापान, चीन, साउथ अमेरिका सहित कई देश इसे न्यूट्रास्यूटिकल की तरह प्रयोग करते हैं और इससे तमाम प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं। यही वजह है कि एनबीआरआइ 'लोटस मिशन' के तहत कमल को व्यावसायिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाने की तैयारी में है।
संस्थान के निदेशक प्रो.एसके बारिक बताते हैं कि कुछ स्थानों पर इसके स्टेम (भसीड़ा) का प्रयोग सब्जी के रूप में किया जाता और इसके बीज भी खाए जाते हैं। इसका स्टेम और बीज बहुत अधिक पौष्टिक होते हैं। बहुत अधिक न्यूट्रीशनल वैल्यू को देखते हुए अब तक इसका उपयोग उस तरह से नहीं किया गया है जैसा होना चाहिए।
तैयार होगा न्यूट्रीशनल प्रोफाइल
संस्थान लोटस मिशन के तहत इसका न्यूट्रीशनल प्रोफाइल तैयार करेगा। साथ ही जर्म प्लाज्म बढ़ाएगा और बायोप्रोस्पेक्शन के जरिए लोटस की चुनिंदा किस्मों की पहचान करेगा। इससे बनने वाले उत्पादों की तकनीक विकसित करेगा। उन्होंने बताया कि पानी की बहुतायत वाले क्षेत्रों में ज्यादातर किसान धान की खेती करते हैं। अधिक पैदावार के चलते किसानों को धान का अच्छा मूल्य नहीं मिलता। उनकी अपेक्षा है कि एनबीआरआइ लोटस की टेक्नोलॉजी तैयार करे जिससे ऐसी जगहों पर कमल की खेती को प्रमोट किया जा सके। प्रो. बारिक बताते हैं कि कनाडा, जापान, चीन जैसे देश कमल से जबर्दस्त कमाई कर रहे हैं।
खेत मेें भी उगा सकते हैं कमल
एनबीआरआइ के वरिष्ठ मुख्य वैज्ञानिक एवं गार्डेन इंचार्ज डॉ. एसके तिवारी बताते हैं कि यह आवश्यक नहीं कि कमल की खेती तालाब में ही की जाए। इसे गेहूं की तरह मेड़ बनाकर भी लगाया जा सकता है। कमल के बीज प्रोटीन, विटामिन बी, मैंगनीज व फास्फोरस से भरपूर हैं वहीं स्टेम में फाइबर के अलावा प्रोटीन, विटामिन व खनिज प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। मिशन के तहत बेहतर किस्मों की पहचान, कृषि प्रौद्योगिकी से लेकर वैल्यू एडेड उत्पाद तैयार किए जाएंगे, जिससे इसे एक लाभकारी फसल बनाया जा सके।