Move to Jagran APP

गुमनाम वनस्पतियों को अब मिलेगा नाम, एनबीआरआइ देशभर में चलाएगा अभियान Lucknow News

एनबीआरआइ लखनऊ की की पहल मणिपुर मिजोरम में वनस्पतियों की खोज का काम जारी। औषधीय पौधों के ज्ञान को समेट कर इसे सहेजने की तैयारी।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 02:23 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 08:35 AM (IST)
गुमनाम वनस्पतियों को अब मिलेगा नाम, एनबीआरआइ देशभर में चलाएगा अभियान Lucknow News
गुमनाम वनस्पतियों को अब मिलेगा नाम, एनबीआरआइ देशभर में चलाएगा अभियान Lucknow News

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। जैव विविधता में देश बहुत धनी है। वैसे तो लाइकेन, शैवाल जैसी सूक्ष्म वनस्पतियों से लेकर ऊंचे पेड़-पौधों तक बहुत सी प्रजातियों के बारे में जानकारी है। इसके बावजूद प्रकृति ने हमें ऐसी ढेरों वनस्पतियों से नवाजा है, जिनकी हम अब तक पहचान भी नहीं कर सके हैं। सीएसआइआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) ने देश के कोने-कोने में मौजूद ऐसी तमाम अनजान वनस्पतियों को पहचान दिलाने का बीड़ा उठाया है।

loksabha election banner

एनबीआरआइ के निदेशक प्रो. एसके बारिक बताते हैं कि संस्थान द्वारा पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर और मिजोरम में वनस्पतियों की खोज का काम किया जा रहा है, लेकिन अब लक्ष्य यह है कि संरक्षित वन क्षेत्र, टाइगर रिजर्व, वाइल्ड लाइफ सेंचुरी सहित ऐसे तमाम इलाके, जो जैव विविधता के लिहाज से अब तक या तो अनछुए रहे हैं, अथवा जहां का ब्योरा वैज्ञानिक अभी जुटा नहीं पाए हैं, उनकी पहचान की जाएगी।

प्रो. बारिक बताते हैं कि अनजान वनस्पतियों की पहचान करने की दिशा में यह कोशिश तो महत्वपूर्ण है ही साथ ही, आदिवासी बाहुल्य इलाके अथवा क्षेत्र विशेष में ग्रामीण इलाके जहां स्थानीय स्तर पर उपलब्ध वनस्पतियों का प्रयोग औषधि के रूप में किया जा रहा है उनके पारंपरिक ज्ञान को समेट कर इसे सहेजने में भी महत्वपूर्ण साबित होगा। यही नहीं, अलग-अलग क्षेत्रों में औषधीय वनस्पति के प्रचलित प्रयोग का ब्योरा जुटाकर उससे उ'च गुणवत्ता के उत्पाद तैयार कर लोगों को जीवन स्तर सुधार कर भरण-पोषण में भी मदद की जा सकेगी।

प्रोफेसर बारिक बताते हैं कि चूंकि यह कार्य काफी वृहद है, इसलिए संस्थान उसमें वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के अन्य संस्थानों के साथ वन विभाग की भी मदद लेगा। वह कहते हैं कि आज भी रिजर्व फॉरेस्ट, वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, टाइगर पक्षी विहार जैसे संरक्षित स्थलों पर आम लोगों का हस्तक्षेप न के बराबर है। यही वजह है यहां जैव विविधता के साथ कोई छेडछाड़ नहीं हुई है और वह पूरी तरह से सुरक्षित हैं। उत्तर प्रदेश में पीलीभीत टाइगर रिजर्व को भी इस अध्ययन में शामिल करने की तैयारी है। इसके अलावा तराई क्षेत्र, वेस्टर्न हिमालय, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात के भी ऐसे संरक्षित क्षेत्रों में भी वनस्पतियों की पहचान कर उनका ब्योरा जुटाया जाएगा।

मुख्य उद्देश्य

  • बायोडाइवर्सिटी जिसका प्रयोग हो रहा है या अब तक नहीं हो रहा है। उसका ब्योरा जुटाया जाएगा।
  • ऐसे पौधे जो कभी बेहद कम संख्या में पाए जाते थे उनकी वर्तमान स्थिति का आकलन किया जाएगा।
  • नई प्रजातियों के बारे में व उनके संभावित उपयोग के बारे में जानकारी एकत्र की जाएगी।
  • इससे सैकड़ों किस्म की नई वनस्पतियों की पहचान भी हो सकेगी।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.