राष्ट्रीय पशु दिवस: इंजीनियर की नौकरी छोड़ी, बेजुबानों की बचा रहे जान
गोंडा में बेसहारा पशुओं की देखभाल कर रहे हैं अभिषेक दुबे घर पर बनाया रेस्क्यू सेंटर। जिले के युवा अभिषेक दुबे बेजुबान पशुओं की जान बचाने के लिए मुहिम चला रहे हैं। मुहिम में पत्नी रूषी दुबे के साथ ही 20 से अधिक युवा जुड़े हुए हैं।
गोंडा [वरुण यादव]। बेसहारा पशुओं की कौन कहां यहां लोग पालतू पशुओं को भी अनुपयोगी होने पर छोड़ देते हैं। पशुओं की प्रेम जगह अब लाभ ढूंढ़े जा रहे हैं। ऐसे में जिले के युवा अभिषेक दुबे बेजुबान पशुओं की जान बचाने के लिए मुहिम चला रहे हैं। प्रकृति के प्रेम में उन्होंने इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी। 2016 में वह नौकरी छोड़ गांव आ गए और मुहिम छेड़ दी। अभिषेक बीते चार वर्ष में वह 250 से अधिक पशु-पक्षियों का इलाज कर चुके हैं। इसके लिए उन्होंने घर पर रेस्क्यू सेंटर भी बना रखा है। उनके इस मुहिम में पत्नी रूषी दुबे के साथ ही 20 से अधिक युवा जुड़े हुए हैं। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान इन युवाओं ने सड़क किनारे घूम रहे पशु-पक्षियों की भूख मिटाई।