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राष्ट्रीय पशु दिवस: इंजीनियर की नौकरी छोड़ी, बेजुबानों की बचा रहे जान

गोंडा में बेसहारा पशुओं की देखभाल कर रहे हैं अभिषेक दुबे घर पर बनाया रेस्क्यू सेंटर। जिले के युवा अभिषेक दुबे बेजुबान पशुओं की जान बचाने के लिए मुहिम चला रहे हैं। मुहिम में पत्नी रूषी दुबे के साथ ही 20 से अधिक युवा जुड़े हुए हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2020 01:52 PM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2020 01:52 PM (IST)
राष्ट्रीय पशु दिवस: इंजीनियर की नौकरी छोड़ी, बेजुबानों की बचा रहे जान
गोंडा में बेसहारा पशुओं की देखभाल कर रहे हैं अभिषेक दुबे घर पर बनाया रेस्क्यू सेंटर।

गोंडा [वरुण यादव]। बेसहारा पशुओं की कौन कहां यहां लोग पालतू पशुओं को भी अनुपयोगी होने पर छोड़ देते हैं। पशुओं की प्रेम जगह अब लाभ ढूंढ़े जा रहे हैं। ऐसे में जिले के युवा अभिषेक दुबे बेजुबान पशुओं की जान बचाने के लिए मुहिम चला रहे हैं। प्रकृति के प्रेम में उन्होंने इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी। 2016 में वह नौकरी छोड़ गांव आ गए और मुहिम छेड़ दी। अभिषेक बीते चार वर्ष में वह 250 से अधिक पशु-पक्षियों का इलाज कर चुके हैं। इसके लिए उन्होंने घर पर रेस्क्यू सेंटर भी बना रखा है। उनके इस मुहिम में पत्नी रूषी दुबे के साथ ही 20 से अधिक युवा जुड़े हुए हैं। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान इन युवाओं ने सड़क किनारे घूम रहे पशु-पक्षियों की भूख मिटाई।

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18 साल की उम्र में हुआ प्रकृति से प्रेम
कर्नलगंज तहसील क्षेत्र के परसा महेसी गांव निवासी शिक्षक प्रसिद्ध नाथ दुबे के इकलौते बेटे अभिषेक लखनऊ के रामेश्वर प्रसाद इंजीनियरिंग काॅलेज से इलेक्ट्राॅनिक्स में बीटेक की पढ़ाई की और सिंगापुर की एक कंपनी में इंजीनियर हो गए। उन्होंने चार वर्ष पूर्व इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी। तब से अभिषेक वन्यजीवों का संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण कार्य शुरू कर दिया। अभिषेक के मुताबिक नोबेल पुरस्कार विजेता और अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति अल्बर्ट अर्नाल्ड गोरे (अल्गोरे) द्वारा वर्ष 2006 में ग्लोबल वार्मिंग पर बनाई गई फिल्म एन इनकनविनियंट ट्रुथ ने उनके जीवन में टर्निंग प्वाइंट का काम किया। 2009 में फिल्म देखने के बाद उनके सामने प्रकृति और जैव विविधता का अनोखा संसार खुल गया। इसके बाद उन्होंने नेचर क्लब नामक संस्था बनाई और मुहिम शुरू कर दी।
अन्य लोगों को लेनी चाहिए प्रेरणा
डीएफओ आरके त्रिपाठी का कहना है अभिषेक दुबे अपनी पत्नी के साथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण के साथ ही बेसहारा पशुओं के इलाज की मुहिम चला रहे हैं। ये सराहनीय कार्य है। अन्य लोगों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।

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