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गुमनामी बाबा - मौत की गुत्थी पर नेताजी के कुटुंब में दो फाड़

नेताजी के प्रपौत्र आशीष राय ने दावा किया कि 1945 के ताइपे विमान दुर्घटना में नेताजी की मौत के अकाट्य प्रमाण हैं। यह पहला मौका नहीं है, जब नेताजी के किसी कुटुंबी ने ऐसा कहा हो।

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 06 Dec 2016 03:07 PM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2016 03:19 PM (IST)
गुमनामी बाबा - मौत की गुत्थी पर नेताजी के कुटुंब में दो फाड़

फैजाबाद [रमाशरण अवस्थी़] । नेताजी सुभाषचंद्र बोस की संदिग्ध मौत के सवाल पर उनके कुटुंबी दो फाड़ हो गए हैं। रविवार को कोलकाता में नेताजी के प्रपौत्र आशीष राय ने दावा किया कि 1945 के ताइपे विमान दुर्घटना में नेताजी की मौत के अकाट्य प्रमाण हैं। यह पहला मौका नहीं है, जब नेताजी के किसी कुटुंबी ने ऐसा कहा हो। नेताजी के अन्य 16 कुटुंबियों ने सेवानिवृत्त जस्टिस विष्णुसहाय को पत्र लिखकर यह हलफनामा दिया है कि नेताजी की मृत्यु 1945 की विमान दुर्घटना में हुई थी। विष्णुसहाय उस एक सदस्यीय जांच आयोग के अध्यक्ष हैं, जो गुमनामी बाबा की वास्तविकता जांचने के लिए गठित किया गया है।

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गुमनामी बाबा की वास्तविकता तीन दशक से पहेली बनी हुई है। ऐसे अनेक सूत्र-साक्ष्य हैं, जिस आधार पर बाबा को नेताजी बताया जाता है। गुमनामी बाबा 16 सितंबर, 1985 को सिविल लाइंस स्थित जिस रामभवन में चिरनिद्रा में लीन हुए, उसके उत्तराधिकारी एवं सुभाषचंद्र बोस राष्ट्रीय विचार केंद्र के अध्यक्ष शक्ति सिंह नेताजी के कुटुंबियों के इस खेमे की हड़बड़ी पर अचरज जताते हैं। यह याद दिलाकर कि मुखर्जी आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि जिस विमान दुर्घटना में नेताजी की मौत का दावा किया जाता रहा, वह हुई ही नहीं। ऐसे में जब नेताजी बताए जाने वाले गुमनामी बाबा की सच्चाई सामने लाने के लिए विष्णुसहाय आयोग सक्रिय है, तब जांच की संभावनाओं को खारिज करना न्याय संगत नहीं है।

वह यह भी याद दिलाते हैं कि नेताजी की भतीजी ललिता बोस की ही याचिका पर गुमनामी बाबा की वस्तुएं 30 वर्षों से शासकीय संरक्षण में हैं। साथ ही हाल के दिनों में नेताजी के प्रपौत्र चंद्रकुमार बोस, आर्या बोस, प्रपौत्री जयंती रक्षित, उनके पति अमिय रक्षित तथा एक अन्य प्रपौत्री राजश्री चौधरी ने कहा है, मुखर्जी आयोग ने जब यह स्पष्ट कर दिया है कि विमान दुर्घटना में नेताजी की मौत नहीं हुई, तब उनके बाद के जीवन की संभावना का सूत्र तलाशा जाना चाहिए और संभव है कि गुमनामी बाबा के रूप में नेताजी ने भूमिगत जीवन व्यतीत किया हो।


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