गलतियों सबक सीख, इस सिंगर ने छोड़ी 16 फिल्में...शेयर की पर्सनल बातें
राजधानी पहुंचे संगीतकार अमाल मलिक ने साझा किए अपने अनुभव कहा कि मेरे लिए म्यूजिक धर्म है।
लखनऊ, जेएनएन। एक समय तक आप सही और गलत में फर्क नहीं कर पाते, लेकिन अनुभव के साथ आपकी समझ परिपक्व होती जाती है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। मैंने भी संगीत के सफर में शुरुआत में कई ऐसे कदम उठाए, जो शायद मेरे जैसी पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को नहीं उठाने चाहिए थे। मैंने अपनी गलतियों से सीख ली। अब चाहे कोई कितना भी दबाव बनाए मैं वह काम नहीं करता, जिसके लिए मन गवाही नहीं देता। इसी वजह से मुझे पिछले एक साल में लगभग 16 फिल्में छोडऩी पड़ीं और मुझे इसका मलाल नहीं है। यह बातें युवा दिलों की धड़कन संगीतकार अमाल मिलक ने कहीं।
फिल्म जय हो के साथ संगीत का सफर शुरू करने वाले अमाल ने लगभग चार साल में इंडस्ट्री में अपना एक अलग स्थान बनाया है। लगभग तीस फिल्मों में संगीत देने वाले अमाल ने कई सिंगल भी किए हैं। उनके पिता डब्बू मलिक व भाई अरमान मलिक भी संगीत की दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहे हैं। बुधवार को राजधानी पहुंचे अमाल ने अपने संगीत के सफर के साथ निजी जीवन के बारे में भी खुलकर बात की।
परिवार की साख को ध्यान में रखता हूं
अमाल मलिक ने कहा कि मेरे लिए म्यूजिक धर्म है। मैं पैसा कमाने के लिए काम नहीं करता। मैं परिवार की साख को ध्यान में रखकर संगीत देता हूं। मैं नया संगीत बनाना चाहता हूं, हर जॉनर में कुछ नया करना चाहता हूं। अब तक करीब 62 गाने बनाए हैं जो हर जॉनर के हैं। कहा कि आरडी बर्मन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का एक दौर था जब गीतों को नए तरीके से बनाया जाता था। वही दौर वापस लाने की कोशिश कर रहा हूं। सिंगिंग के बारे में उन्होंने कहा कि एक गाना गाया है, आगे भी अगर किसी गाने में मेरी आवाज फिट होगी तो गाऊंगा।
फिल्मकारों को नहीं है नए संगीत पर भरोसा
अमाल का मानना है कि पुराने गानों के रीमिक्स अगर एक दायरे में हों तो ठीक है, लेकिन उससे बाहर नहीं जाना चाहिए। आज के समय में दायरा टूट गया है। पुराने गाने ही फिल्मों में कुछ नई बीट और रैप के साथ इस्तेमाल किए जा रहे हैं। ऐसा ही चलता रहा तो हमारी पहचान खो जाएगी। युवा संगीतकार पर रीमिक्स बनाने के दबाव के साथ मजबूरी भी होती है क्योंकि फिल्म बनाने वाले को नए संगीत पर भरोसा ही नहीं है।
बॉलीवुड में नहीं है म्यूजिक इंडस्ट्री
अमाल मलिक ने कहा कि आज पंजाब की म्यूजिक इंडस्ट्री हमारे लिए मिसाल है। हमारे यहां के हीरो की तरह वहां के गायकों की भी लोकप्रियता है। ऐसा ही म्यूजिक इंडस्ट्री बॉलीवुड में भी होनी चाहिए। उसके लिए रिस्क लेना होगा। आज कोई भी गाना हिट होता है तो गायक को ही क्रेडिट मिलता है, लेकिन गाना लिखने वाले और म्यूजिक कंपोजर का नाम ही कोई नहीं जानता। इसमें बदलाव की जरूरत है। लिरिक्स राइटर को पहचान दिलाने की जिम्मेदारी हमारी है।