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अयोध्या में मस्जिद कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट में प्रो.पुष्पेश पंत की सलाह पर बनेगा संग्रहालय व अभिलेखागार

अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए गठित इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन की ओर से प्रो. पुष्पेश पंत को कंसलटेंट क्यूरेटर मनोनीत किया गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 11:41 PM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 11:41 PM (IST)
अयोध्या में मस्जिद कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट में प्रो.पुष्पेश पंत की सलाह पर बनेगा संग्रहालय व अभिलेखागार
अयोध्या में मस्जिद कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट में प्रो.पुष्पेश पंत की सलाह पर बनेगा संग्रहालय व अभिलेखागार

लखनऊ, जेएनएन। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) अयोध्या की सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में प्रस्तावित मस्जिद के साथ बनने वाले संग्रहालय और अभिलेखागार का निर्माण जाने-माने इतिहासकार पद्मश्री प्रो. पुष्पेश पंत की सलाह पर करेगा। यह संग्रहालय व अभिलेखागार मस्जिद परिसर में बनने वाले इंडो-इस्लामिक रिसर्च सेंटर का हिस्सा होंगे। बता दें कि आईआईसीएफ बाबरी मस्जिद के विकल्प के तौर पर अयोध्या में दूसरी मस्जिद बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से स्थापित किया गया ट्रस्ट है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन दी है।

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इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव व प्रवक्ता अतहर हुसैन ने बताया कि ट्रस्ट की ओर से प्रो. पुष्पेश पंत को कंसलटेंट क्यूरेटर मनोनीत किया गया है। पद्मश्री प्रो. पुष्पेश पंत अंतरराष्ट्रीय संबंधों के साथ भारतीय व्यंजन कला के भी जानकार हैं। वर्ष 2011 में प्रकाशित उनकी पुस्तक- 'इंडिया : दि कुकबुक' को न्यूयार्क टाइम्स सर्वश्रेष्ठ पुस्तक घोषित कर चुका है। वर्ष 1947 में जन्मे प्रो. पुष्पेश पंत जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के अंतरराष्ट्रीय संबंध अध्ययन विभाग के प्रोफेसर पद से रिटायर हुए हैं।

पद्मश्री प्रो. पुष्पेश पंत ने कहा कि अयोध्या के कॉम्पलेक्स में मस्जिद के अलावा अस्पताल, खानपान का एक उत्कृष्ट केंद्र, संग्रहालय व अभिलेखागार आदि होंगे। इस परिसर में मस्जिद व अस्पताल के अलावा अन्य निर्माण में अवध की मिली-जुली गंगा जमुनी संस्कृति की झलक दिखाई देगी। इसलिए वहां अवधी व्यंजन भी मिलेंगे। साथ ही उर्दू जुबान की कैलीग्राफी के उत्कृष्ट नमूने, भारतीय-इस्लामी स्थापत्य कला के बेहतरीन निर्माण रूमी दरवाजा, इमामबाड़ा, मकबरे, मंदिर आदि के मॉडल भी देखने को मिलेंगे। प्रो.पंत ने बताया कि उनका लखनऊ से पुराना रिश्ता रहा है। वर्ष 1927-28 में उनके पिता ने यहां मेडिकल कालेज में पढ़ाई की थी।


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