Move to Jagran APP

रायबरेली के दंपत‍ी की नहीं हुई संतान तो घर ले आए 'चुनमुन' को, फ‍िर जो हुआ वो फ‍िल्‍मी कहानी जैसा है

साहित्य जगत में सबिस्ता ब्रजेश बड़ा नाम हैं। मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखने वाली इस शख्सियत ने 1998 में एडवोकेट ब्रजेश श्रीवास्तव से शादी कर ली थी। तब इनके ऊपर 13 लाख का कर्ज था। शादी के कई साल बीतने के बाद भी इनको संतान नहीं हुई।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 05:42 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 05:49 PM (IST)
रायबरेली के दंपत‍ी की नहीं हुई संतान तो घर ले आए 'चुनमुन' को, फ‍िर जो हुआ वो फ‍िल्‍मी कहानी जैसा है
रायबरेली में चुनमुन के नाम से घर पर मंदिर बनवाया।

रायबरेली, जागरण संवाददाता। चुनमुन नाम के बंदर ने मशहूर कवयित्री सबिस्ता ब्रजेश की जि‍ंदगी बदल दी थी। वह कर्ज से मुक्त हुईं और ठीकठाक संपत्ति बना ली। चुनमुन की मृत्यु होने के बाद उन्होंने उसके नाम से मंदिर स्थापित कराया। घर का नाम पहले ही चुनमुन हाउस रख दिया था। अब इस चुनमुन हाउस में लंपट नाम का बंदर धमाचौकड़ी मचा रहा है।

loksabha election banner

साहित्य जगत में सबिस्ता ब्रजेश बड़ा नाम हैं। मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखने वाली इस शख्सियत ने 1998 में एडवोकेट ब्रजेश श्रीवास्तव से शादी कर ली थी। तब इनके ऊपर 13 लाख का कर्ज था। शादी के कई साल बीतने के बाद भी इनको संतान नहीं हुई। एक जनवरी, 2005 को इन्होंने चुनमुन को अपनाया, तब वह केवल चार माह का ही था। उसके कदम घर पर पड़ते ही सबिस्ता की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी। वकालत के साथ ही घर पर लगी आटा चक्की से भी मुनाफा आने लगा। सबिस्ता को कवि सम्मेलनों में बुलाया जाने लगा और उनकी किताबें भी बाजार में आईं। कवि सम्मेलनों के संचालन से अच्छी आय होने लगी। महज कुछ सालों में ही वह कर्ज से मुक्त हो गईं। उन्होंने इसका पूरा श्रेय चुनमुन को दिया और उसके लिए अलग से तीन कमरे बनवा दिए।

एयरकंडीशनर भी लगवा दिया। 2010 में बिट्टी नाम की बंदरिया से उसकी शादी भी करा दी। चुनमुन के नाम से ट्रस्ट बनाकर वह पशुसेवा करने लगीं। 2016 में वह चुनमुन ट्रस्ट के नाम ठीकठाक रकम जमा करने वाली थी, ताकि पशु सेवा के कार्यों में आर्थिक अड़चन आड़े न आए, मगर किन्हीं कारणों से ऐसा नहीं हो सका। 14 नवंबर, 2017 को चुनमुन की मौत हो गई। सबिस्ता ने पूरे विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार कराया और तेरहवीं भी की। बाद में चुनमुन के नाम से घर पर मंदिर बनवाया और उसमें भगवान राम और सीता के साथ चुनमुन की मूर्ति भी स्थापित कराई।

2018 में हुई लंपट की इंट्री : चुनमुन की मौत के बाद बिट्टी अकेली पड़ गई। तब सबिस्ता उसके लिए 2018 में लंपट को चुनमुन हाउस ले आईं। दोनों साथ-साथ रहने लगे। 31 अक्टूबर, 2021 को बिट्टी की मृत्यु हो गई। अब सिर्फ लंपट ही पूरे घर में धमाचौकड़ी मचाता रहता है।

पशुसेवा के लिए बेच देंगी मकान : सबिस्ता कहती हैं कि उन्हें बंदरों से बहुत प्यार है। वह उन्हें भगवान हनुमान की तरह पूजती हैं। बोलीं, घर पर सिर्फ मैं और मेरे पति ब्रजेश रहते हैं। इतने बड़े घर का कोई मतलब नहीं है। इसे बेचकर छोटा सा घर ले लेंगे। इसके अलावा निराला नगर में भी जमीन है, उसे भी बेच देंगे। इनसे जो रकम मिलेगी, वो चुनमुन ट्रस्ट के नाम से खुले बैंक एकाउंट में जमा करके पशु सेवा करेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.