लकड़ी नहीं अब गोबर के लट्ठाें पर जलेगी चिता, एक-एक कतरा बनेगा सोना
नगर निगम ने गोबर से लट्ठा बनाने की लगाई मशीन चिता में उपयोग कर बचाई जाएगी लगभग चालीस फीसद लकड़ी।
लखनऊ, [अजय श्रीवास्तव]। सरोजनीनगर में नगर निगम के कान्हा उपवन में इस वक्त 10,050 गोवंश हैं। इतने पशुओं के गोबर का निस्तारण आसान काम नहीं। निगम ने एक प्रयोग किया ताकि गोबर निस्तारण भी हो जाए और संसाधन के तौर पर इसका इस्तेमाल भी हो सके। निगम ने गोबर के लट्ठे बनवाने शुरू किए। हाथ से बनाने में इसमें काफी समय जाया हो रहा था, लिहाजा निगम ने मशीन लगवा दी। प्रयोग कामयाब रहा।
इस वक्त केवल कान्हा उपवन में ही रोजाना पांच क्विंटल लट्ठा तैयार किया जा रहा है। योजना की सफलता को देखते हुए इसे अन्य गो संरक्षण और पशुपालन केंद्रों में लागू करने की कवायद चल रही है। इन लट्ठों का उपयोग श्मशान घाटों में किया जाएगा जिससे लगभग चालीस फीसद लकड़ी बचाई जा सकेगी।
अपर नगर आयुक्त अनिल कुमार मिश्र का कहना है कि यह मशीन रोजगार का साधन भी बन गई है। आसपास के ग्रामीण मशीन से लट्ठे बनाकर मेहनताना पा रहे हैं। जानकीपुरम स्थित लक्ष्मण गोशाला और जरहरा स्थित नई गोशाला राधा उपवन में भी ये मशीनें लगाई जाएंगी। नगर निगम का यह प्रयोग प्रदेश के उन शहरों के लिए नजीर बनेगा, जहां कान्हा उपवन खोले जाने हैं। सरकार ने हर शहर व नगर पंचायत तक गोशाला खोलने का निर्णय लिया है।
अब नहीं मिलता गोबर और कंडा
हिन्दू धर्म में गोबर का धार्मिक महत्व है। बढ़ते शहरीकरण से नए इलाकों में गोबर पाना भी मुश्किल हो गया है तो किसी के निधन पर घर के बाहर जलाने के लिए कंडा तक नहीं मिलता है। अब गोबर के लट्ठे इसमें मददगार साबित हो सकेगा। नगर निगम के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अरविंद राव कहते हैं, कान्हा उपवन में बंद गायों का गोबर शुद्ध होता है। यहां गायें चारा व भूसा-चोकर ही खाती हैं। हर दिन पांच टन गोबर इकट्ठा होता है। बारिश के कारण कम बंद था, अभी आधा ट्रक लट्ठा तैयार हो रहा है। बारिश के मौसम के बाद हर दिन एक ट्रक लट्ठे बनाने का लक्ष्य रखा गया है। श्मशान घाटों पर गोबर से बने लट्ठ को रखा जाएगा। नगर निगम इसका रेट भी जल्द तय कर देगा। इससे चिता में उपयोग होने वाली चालीस से पचास फीसद लकड़ी में बचत होगी।
ऐसे भी हो सकता है उपयोग
शहर में बाटी चोका भी मांग बढ़ी है और बाटी कंडे पर तैयार होती है। ऐसे में कान्हा उपवन में शुद्ध गोबर से तैयार लट्ठे से बाटी बनाई जा सकती है। नगर निगम इसलिए लट्ठा को बाजार में भी उतारना चाहता है।