मुलायम को सताने लगा मुस्लिम वोट बैंक खिसकने का डर
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ समय ही बचा है, ऐसे में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की भी बेचैनी काफी बढ़ रही है। अल्पसंख्यक वोट बैंक पर अन्य दलों के सेंध मारने के कारण सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव को परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक खिसकने का डर सता रहा है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ समय ही बचा है, ऐसे में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की भी बेचैनी काफी बढ़ रही है। अल्पसंख्यक वोट बैंक पर अन्य दलों के सेंध मारने के कारण सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव को परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक खिसकने का डर सता रहा है।
कांग्रेस के साथ ही अन्य दल 2017 के विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक वोट को लेकर बेहद गंभीर है। कांग्रेस के चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अल्पसंख्यक वोट बैंक पर एक विशेष रणनीति तैयार की है। इसके साथ ही हैदराबाद से सांसद असद्दुदीन ओवैसी भी प्रदेश में इस बार के चुनाव में काफी जोर से उतरने की तैयारी में लगे हुए हैं। बहुजन समाज पार्टी ने भी इस बार नेताजी मुलायम सिंह यादव के परंपरागत अल्पसंख्यक वोट बैंक में सलीके से सेंध लगाने की तैयारी की है। समाजवादी पार्टी के मुखिया को डर है कि बसपा भी इस बार तीन दशकों से अधिक समय तक पार्टी का मजबूत वोट बैंक रहे मुसलमानों को अपने तरफ कर सकती है।
प्रशांत किशोर दलित व मुसलमानों को लेकर नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। अगले माह से कांग्रेस अभियान भी चला सकती है। उत्तर प्रदेश में सिराज मेंहदी ने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में कई बदलाव भी किये। यही वजह है अब समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता ही इसकी आशंका जताने लगे हैं। उन्हें डर है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ ही बहुजन समाज पार्टी भी सपा के मजबूत मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा सकती है।
इसकी पहली बानगी देखने को मिली सपा कार्यालय से जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति में। इसमें समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने मुलायम सिंह को मुसलामानों का सच्चा मसीहा बताया है। उनकी यह वकालत कहीं न कहीं इस ओर इशारा करती है कि मुस्लिम वोट बैंक को लेकर पार्टी में बौखलाहट है। चौधरी ने कहा है कि आजादी के बाद से कई दशकों तक केन्द्र और राज्यों में राज करने वाली कांग्रेस को अब नये-नये इलहाम हो रहे हैं। अपने कर्मों से सवर्ण, दलित और अल्पसंख्यकों के बीच कांग्रेस इसलिए अलोकप्रिय हुई क्योंकि वह इन सबके हितों की उपेक्षा करने लगी थी। आज स्थिति यह है कि केन्द्र से बेदखली झेल रही कांग्रेस की कई राज्यों में भी हालत पतली ही है। दलित और अल्पसंख्यक पूरी तरह कांग्रेस को नकार चुके हैं। कांग्रेस को समझना चाहिए कि समाजवादी पार्टी के विरुद्ध वह जो अभियान चलाना चाहती है उससे तो सांप्रादायिक तत्वों को ही ताकत मिल सकती है। उसे यह भी बताना होगा कि वह धर्मनिरपेक्षता की पक्षधर है या सांप्रदायिकता का जहर फैलाकर समाज को तोडऩे वालों के साथ है।
राजेंद्र चौधरी ने विज्ञप्ति में आगे कहा थकी-हारी और निराश कांग्रेस के नेताओं को जब और कुछ नही सूझा तो वे समाजवादी सरकार पर अंगुली उठाने लगे हैं, हकीकत यह है कि अल्पसंख्यकों का भरोसा समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह के नेतृत्व पर रहा है। जब कभी अल्पसंख्यकों के हितो पर चोट पहुंची मुलायम ही उनके पक्ष में खुलकर खड़े हुए है।
जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद तोडऩे की साजिश हुई तो मुलायम सिंह यादव ने ही सांप्रदायिक उन्माद का सामना करते हुए मस्जिद को टूटने से बचाया था। जनता और खासकर अल्पसंख्यको के बीच झूठ बोलकर भ्रम फैलाने में लगे कांग्रेस नेताओं को यह बताने की जरुरत नही है कि उर्दू को प्रदेश में रोजी-रोटी और सम्मान से जोड़कर अल्पसंख्यकों को सरकारी नौकरियों में सबसे ज्यादा भर्तियाँ समाजवादी सरकार ने ही की है। आज अखिलेश यादव के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यकों को उर्दू अनुवादक तथा शिक्षकों के पदों पर भर्ती किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि समाजवादी सरकार बनने के बाद से ही सूबे में आतंकवादी बताकर किसी अल्पसंख्यक नौजवान को जेल में बंद नही किया गया है। बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की रिहाई में भी यह सरकार पीछे नही रही है। केंद्र में कांग्रेस की यूपीए सरकार के रहते सच्चर कमेटी व रंगनाथ मिश्र आयोग बने थे, जिनकी सिफारिशें कांग्रेस के कार्यकाल में लागू नही हुई हैं।
उत्तर प्रदेश में तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण करते हुए कई योजनांए लागू की है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को समाजवादी सरकार से कोई सवाल करने से पहले अपने गिरेबां में झांक लेना चाहिये।