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Mukhtar Ansari: यूपी में 4 दशकों से मुख्तार अंसारी चला रहा था कानूनी दांवपेच, योगी सरकार में पहली बार दी गई पटखनी

Mukhtar Ansari News मुख्तार अंसारी के आतंक के किले में चार दशक बाद पहली बार योगी सरकार ने सेंध लगाई है। वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफिया व अपराधियों के विरुद्ध अभियान के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद ही उसके विरुद्ध पैरवी तेज की थी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2022 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2022 07:57 AM (IST)
Mukhtar Ansari: यूपी में 4 दशकों से मुख्तार अंसारी चला रहा था कानूनी दांवपेच, योगी सरकार में पहली बार दी गई पटखनी
Mukhtar Ansari News: राजनीति की छांव हटते ही जलने लगे मुख्तार के पांव।

UP News: लखनऊ, राज्य ब्यूरो। जरायम की दुनिया से निकलकर सियासी गलियारे तक पहुंचे माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) ने कई राजनीतिक दलों का इस्तेमाल अपने ढंग से किया। बाहुबल के दम पर कमजोर उम्मीदवार की जीत भी सुनिश्चित कराने वाले मुख्तार अंसारी का साथ राजनीतिज्ञों ने पकड़ा और छोड़ा भी, लेकिन मुख्तार ने अपनी व कुनबे के लिए राजनीतिक जमीन कब्जाने के लिए हर दांव चला।

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वर्ष 1996 में पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले मुख्तार अंसारी ने बसपा के बाद सपा का भी इस्तेमाल अपने ढंग से किया। दो बार निर्दलीय उम्मीदवार रहकर भी विधानसभा चुनाव जीता। सपा-बसपा से दूरी होने पर अपनी पार्टी कौमी एकता दल बनाने में भी समय नहीं गंवाया। मुख्तार पांच बार विधायक बना और दो दशकों तक उस पर दर्ज मुकदमों को कानूनी दांवपेच के बलबूते किसी नतीजे पर नहीं पहुंचने दिया गया।

वर्तमान में मुख्तार का बड़ा बेटा अब्बास अंसारी विधानसभा चुनाव में सपा के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर मऊ की सदर सीट से विधायक है। मुख्तार के विरुद्ध हत्या का पहला मुकदमा 1986 में दर्ज हुआ था, तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। मुख्तार पर तत्कालीन कांग्रेस नेताओं का भी हाथ रहा। प्रदेश में सरकारें तो बदलती रहीं, पर किसी ने बाहुबली मुख्तार के विरुद्ध कार्रवाई की इच्छाशक्ति नहीं दिखाई।

मुख्तार अंसारी के आतंक के किले में चार दशक बाद पहली बार योगी सरकार ने सेंध लगाई है। वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफिया व अपराधियों के विरुद्ध अभियान के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए थे। बड़े अपराधियों के विरुद्ध कोर्ट में प्रभावी पैरवी का भी निर्देश दिया था। इसके बाद ही अभियोजन विभाग ने मुख्तार के विरुद्ध दर्ज मुकदमों में भी पैरवी तेज की थी।

एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय के अनुसार मऊ के दक्षिणटोला थाने में वर्ष 2010 में हुए राम सिंह मौर्य व उनके गनर की हत्या के मामले में दर्ज मुकदमे में मुख्तार के विरुद्ध गवाही पूरी हो चुकी है और जल्द सजा सुनाई जानी है जबकि धोखाधड़ी के एक मुकदमे में आरोप तय होना था।

इसी बीच मुख्तार अंसारी पंजाब में धोखाधड़ी के मामले में रोपड़ जेल चला गया था। अभियोजन की कोशिसों से ही वह यूपी की जेल में वापस लाया गया था। इन दोनों मामलों में भी पैरवी तेज की गई है। राम सिंह मौर्य हत्याकांड में 28 सितंबर को फिर सुनवाई होनी है। यह इस महीने की चौथी तारीख है।

यूपी, दिल्ली व पंजाब में 25 मुकदमे हैं विचाराधीन

मुख्तार के विरुद्ध यूपी में 22, दिल्ली में दो तथा पंजाब में एक मुकदमा विचाराधीन है। अभियोजन विभाग ने बीते पांच वर्षों में मुख्तार के विरुद्ध दर्ज मुकदमों में पैरवी तेज की है। एडीजी अभियोजन के अनुसार मुख्तार अंसारी के पंजाब की जेल से बांदा जेल आने के बाद उसके विरुद्ध वाराणसी की भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में चल रहे धोखाधड़ी के मामले में आरोप भी तय कराया गया है।

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