दिव्यांगों के जीवन को रोशन कर रहे सूरज, 200 से अधिक को दिलाया रोजगार
एक हादसा और बदली करियर की राह। दिव्यांग हेल्पलाइन से जुड़े दो लाभ से अधिक असहाय युवा।
लखनऊ[जितेंद्र उपाध्याय]। तीन साल की उम्र में पोलियो की चपेट में आए जिस सूरज के भविष्य को लेकर माता-पिता और सगे संबंधी परेशान रहते थे, वही सूरज अब अपने जैसे लोगों की जिंदगी में समृद्धि की रोशनी ला रहे हैं। अपने जैसे 200 से अधिक दिव्यांगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाकर उन्हें अपने पैरों पर खड़े करने वाले सूरज प्रदेश के दो लाख से अधिक दिव्यांगों की समस्याओं को हेल्पलाइन के माध्यम से न केवल सुनते हैं, बल्कि निश्शुल्क उन्हें न्याय भी दिलाते हैं।
राजधानी के आइआइएम रोड स्थित सैथा निवासी सूरज कुमार के पिता का निधन हुआ तो उनके ऊपर घर की जिम्मेदारियां भी आ गई, लेकिन दोनों के बीच समन्वय स्थापित कर वह अपने मिशन में जुटे रहे। 38 वर्षीय सूरज ने आर्थिक तंगी की वजह से सिर्फ इंटर तक की पढ़ाई की। दिव्यांग को बस से बाहर फेंक दिया:
बात 2008 की है। सूरज राजधानी से रोडवेज बस से बाराबंकी जा रहे थे कि तभी बस के कंडक्टर ने एक दिव्यांग को बस से बाहर फेंक दिया। वह कुछ बोलते इससे पहले कंडक्टर उसे बाहर कर चुका था, बस उस दिन के बाद से सूरज ने दिव्यांगों की लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक साल तक मदद करने के बाद कुछ सफलता मिली, लेकिन किसी संस्था के बगैर उनका मिशन रुक रहा था। 19 जून 2009 को उत्तर प्रदेश विकलाग मंच का गठन किया और फिर जुट गए। सरकारी योजनाओं की हर जानकारी उनकी जुबान पर रहती है। प्रदेश के 40 जिलों में 2.23 लाभ दिव्यांगों को उन्होंने मंच से जोड़ा और दिव्यांग पेंशन से लेकर अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया। पिछले वर्ष उन्होंने टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर भी बनाया, जिसके माध्यम से दिव्यांग मदद ले सकते हैं। दिव्यांग जन विकास विभाग की ओर से उन्हें कई बार पुरस्कृत ाी किया जा चुका है। 70 दिव्यांगों को दिलाया 2.88 करोड़:
अलीगंज निवासी राजीव यादव पैर से दिव्यांग हैं। घर चलाना मुश्किल हो गया था। सूरज ने उन्हें 2.5 लाख का बैंक से लोन दिलाया और अब वह अपनी खुद की दुकान चला रहे हैं। चंद्रिकादेवी मंदिर के बबलू सिंह भी एक लाख लोन पाकर अपनी जिंदगी संवार रहे हैं। ऐसे ही राजधानी के 70 लोगों को 2.88 करोड़ रुपये की सहायता दिलाकर सूरज उनके जीवन में समृद्धि ला रहे हैं। इसके एवज में वह किसी से ाी कुछ नहीं लेते।