Move to Jagran APP

कभी दूसरो के खेतों में करते थे मजदूरी, आज टमाटर से हो रहे मालामाल गुदड़ी के लाल

मजदूरी करने वाले पाच हजार परिवार टमाटर की खेती से बने किसान। 18 हजार परिवार में आई खुशहाली उन्नत खेती।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Apr 2018 02:11 PM (IST)Updated: Mon, 09 Apr 2018 02:11 PM (IST)
कभी दूसरो के खेतों में करते थे मजदूरी, आज टमाटर से हो रहे मालामाल गुदड़ी के लाल
कभी दूसरो के खेतों में करते थे मजदूरी, आज टमाटर से हो रहे मालामाल गुदड़ी के लाल

बाराबंकी [नरेन्द्र मिश्र]। टेशुआ गाव के सियाराम अपने सोलह विसवा खेत से घर के खाने का प्रबंध नहीं कर पाते थे। पूरे साल दूसरों के खेत में मजदूरी कर गरीबी में परिवार चलाते थे। दौलतपुर में रामसरन हाइटेक फार्म पर टमाटर की खेती के काम के दौरान, उन्होंने अपने सोलह विसवा खेत में भी टमाटर की पौध लगा दी, जिससे 55 हजार रुपये का टमाटर बेचा। सियाराम कहते हैं कि इतना पैसा पहली बार हाथ में देखा था। फिर सियाराम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। घर पक्का बनवाया और टमाटर बेचकर अब तीन एकड़ जमीन के मालिक बन गए हैं। दरअसल, पोश्ता, मेंथा जैसी नकदी फसलों की खेती के लिए दुनियाभर में अपनी पहचान दर्ज करने वाले बाराबंकी में इन दिनों टमाटर किसानों की किस्मत संवार रहा है। कारण, यहा का स्वाद, चमक व मोटी बाहरी परत वाला टमाटर आसपास ही नहीं दिल्ली, नेपाल, बिहार, बंगाल, ग्वालियर, जयपुर की राष्ट्रीय मंडियों में भी खूब पसंद किया जा रहा है। साथ ही यह किसानों की भी किस्मत संवारने का आधार बन रहा है। नवाबगंज तहसील के पाच गावों में अब तक पाच हजार से अधिक मजदूर परिवार टमाटर पैदाकर खेतों के मालिक बन गए हैं। टेशुआ के सियाराम अब हर साल आठ से दस लाख रुपये का टमाटर पैदा कर रहे हैं। यहीं के शहाब मिया की किस्मत भी सियाराम की तरह ही टमाटर ने पलटी। उनके गाव के मजदूर मोहम्मद अनीस व जाकिर ने उनसे बंटाई पर जमीन लेकर टमाटर लगाया। पहले साल बंटाई में भी शहाब को अच्छा मुनाफा मिला। फिर शहाब ने दायरा बढ़ाया और खुद टमाटर के प्रगतिशील किसान बनने के साथ अन्य मजदूरों को भी किसान बनाकर किस्मत संवार दी। शहाब खुश हैं कि बेटी को बाहर के स्कूल में अच्छी तालीम टमाटर के चलते दिला रहे हैं। बबुरिहा गाव के मंगल प्रसाद भी सोलह बिसवा में टमाटर पैदाकर लखपती किसान बन गए। युवा मनीष कुमार ने हाईस्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ दी। अपने पिता की जमीन पर टमाटर खेती से हर साल लाखों की आमदनी कर रहे हैं। बसबरौली के रमाशकर ने मजदूरी कर बीए तक पढ़ाई की, फिर टमाटर की खेती शुरू की। अब वे नौकरी नहीं चाहते। टमाटर की खेती से घर बनवाया, ट्रैक्टर लिया और अब तो कार भी खरीद ली।

loksabha election banner

खास है बाराबंकी का टमाटर

हिमसोना-गोल्डक्वीन, अभिनव-आयुष्मान जैसी टमाटर की प्रजातिया छोटे किसानों के लिए वरदान बनी हैं। इन प्रजाति के टमाटर की खास बात यह है कि तोड़ने के एक सप्ताह बाद भी ठोस और चमकीले बने रहते हैं। यही वजह है कि गैर प्रात के व्यापारी अधिक मूल्य में टमाटर उनके खेतों से खरीद कर मंडियों में पहुंचाते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.