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देश बाबाओं के बहकावे में : मार्कंडेय काटजू

लखनऊ। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मार्कडेय काटजू का मानना है कि देश बाबाओं के

By Edited By: Published: Tue, 22 Oct 2013 06:37 PM (IST)Updated: Tue, 22 Oct 2013 11:47 PM (IST)
देश बाबाओं के बहकावे में : मार्कंडेय काटजू

लखनऊ। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मार्कडेय काटजू का मानना है कि देश बाबाओं के बहकावे में हैं। मेरठ में कल स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि श्री काटजू ने कहा कि आजकल बहुत से बाबा भविष्यवाणी कर रहे हैं। कहीं एक हजार टन सोना निकलने का दावा हो रहा है, तो कहीं गोल-गप्पे खाने की सलाह दी जा रही है। ऐसे अंधविश्वास पर तार्किक सोच की जरूरत है।

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श्री काटजू ने कहा कि देश में आज 90 फीसद आबादी ऐसे अंधविश्वास पर भरोसा कर रही है। आज तार्किक सोच की जरूरत है। काटजू ने भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति की मुक्तकंठ से सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्व में अपनी शैक्षिक उत्कृष्टता का परचम फहराने वाले तक्षशिला व नालंदा जैसे अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय भारत में बहुत पहले से थे। गणित के क्षेत्र में शून्य, चिकित्सा के क्षेत्र में चरक संहिता, व्याकरण के क्षेत्र में पाणिनी के अष्टाध्यायी ने विश्व को पहले ही बहुत कुछ देकर अपनी श्रेष्ठता साबित कर दी है। अंग्रेजी राज में लार्ड मैकाले ने बाबू बनाने के लिए एजुकेशन सिस्टम को बदला। आजादी के बाद हमारे नेताओं ने शिक्षा को विस्तार दिया, लेकिन गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया।

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मास्टर साहब ठेकेदारी करने लगे

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन ने जहां अंग्रेजी के अक्षर ए टू जेड के स्वर की वैज्ञानिकता पर सवाल खड़े किए वहीं हिंदी की वर्णमाला क, ख, ग को व्याकरण व स्वर के आधार पर अधिक वैज्ञानिक माना। उन्होंने कहा कि देश में प्राइमरी एजुकेशन दयनीय दशा में है। कटाक्ष किया कि बच्चे कहते हैं एक मास्टर साहब ठेकेदारी करते हैं, दूसरे पढ़ाने नहीं आते। काटजू ने शिक्षकों की नियुक्ति पर विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी। उन्होंने खराब शैक्षणिक संस्थानों पर भी टिप्पणी की। शिक्षकों को ढेर सारी नसीहत देने के बाद काटजू ने छात्रों को कठिन परिश्रम की सलाह दी।

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