Scrap Policy of India: लखनऊ में 21 लाख से अधिक वाहनों पर लटक रही स्क्रैप पॉलिसी की तलवार, बढ़ी लोगों की चिंता
स्क्रैप पॉलिसी को पुराने वाहनस्वामियों में इसे लेकर हड़कंप मचा हुआ है। परेशानी इस बात को लेकर कि कहीं उनके वाहन पॉलिसी के दायरे में न आ जाएं। परिवहन अधिकारी कहते हैं कि इसी वित्तीय वर्ष के भीतर स्क्रैप पॉलिसी की गाइडलाइन आ जाएगी।
लखनऊ [नीरज मिश्र]। भले ही स्क्रैप पॉलिसी अभी परिवहन विभाग तक नहीं पहुंच पाई है, लेकिन पुराने वाहनस्वामियों में इसे लेकर हड़कंप मचा हुआ है। परेशानी इस बात को लेकर कि कहीं उनके वाहन पॉलिसी के दायरे में न आ जाएं। परिवहन अधिकारी कहते हैं कि इसी वित्तीय वर्ष के भीतर स्क्रैप पॉलिसी की गाइडलाइन आ जाएगी। उसके बाद नियम तय होंगे और पुराने वाहनों के भविष्य के संचालन को लेकर रूपरेखा पर मुहर लगेगी।
उत्तर प्रदेश में हैं करीब 21, 23,813 वाहन
उत्तर प्रदेश में पुराने वाहनों की संख्या तकरीबन 21,23, 813 पुराने वाहन हैं जो स्क्रैप पॉलिसी के दायरे में आएंगे। इनमें पंजीकृत नॉन ट्रांसपोर्ट वाहनों की संख्या लगभग 19,20,229 हैं। वहीं ट्रांसपोर्ट वाहन करीब 2,03,584 गाड़ियां हैं।
पंजीकरण की अवधि से तय होगा भविष्य
स्क्रैप पॉलिसी में पहली जनवरी 2000 के बाद पंजीकृत हुए निजी यानी नॉन ट्रांसपोर्ट वाहन दायरे में आ सकते हैं। सबसे बड़ी संख्या इन्हीं वाहनों की है। वहीं सर्वाधित चलने वाले परिवहन वाहनों की उम्र की अवधि को घटाया गया है। कमर्शियल गाड़ियों का उपयोग ज्यादा होने के कारण पहली जनवरी 2005 के बाद पंजीकृत हुए वाहनों को स्क्रैप पॉलिसी में लाया जा सकता है।
लखनऊ में पुराने पंजीकृत वाहनों की संख्या
- ट्रांसपोर्ट वाहन-14,223
- नॉन ट्रांसपोर्ट गाड़ियां टीपीनगर आरटीओ -3,22,854
- देवा रोड एआरटीओ कार्यालय-9,213
- कुल वाहन-3,46,290
अपर परिवहन आयुक्त एके पांडेय ने बताया कि अभी वाहनस्वामियों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। स्क्रैप पॉलिसी की गाइड लाइन आने के बाद ही निर्णय होगा। इसके बाद नियम बनाए जाएंगे। शासन के दिशा-निर्देश के अनुसार तय की गई गाइड लाइन के बाद ही आगे कदम बढ़ाए जाएंगे। फिलहाल निजी और कमर्शियल पंजीकृत वाहनों की संख्या प्रांत में सवा 21 लाख के आसपास होगी।