राजू पाल हत्याकांड: 'कांटा' निकालने में पैर पर मारी 'कुल्हाड़ी'
सुप्रीम कोर्ट ने पूजा पाल की याचिका पर अब सीबीआइ जांच के निर्देश दिये हैं। छह माह में ही जांच पूरी करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि 25 जनवरी 2005 को इलाहाबाद में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या हुई थी।
लखनऊ। विधायक राजू पाल हत्याकांड में छोटे भाई अशरफ व खुद को बचाने के लिए पूर्व सांसद अतीक अहमद ने हर उस हथकंडे को अपनाया, जो उन्हें सही लगा। भले यह कानून की नजर में नाजायज थे। मुख्य गवाह उमेश पाल का अपहरण अतीक के लिए कांटा निकालने के लिए पैर में कुल्हाड़ी मारने जैसा रहा। इस प्रकरण की लगातार गवाही चल रही है। राजू पाल हत्याकांड का सुलेमसराय निवासी उमेश पाल मुख्य गवाह है। नेहरू पार्क से 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण किया गया था। किसी तरह पुलिस ने उसे छुड़ाया। उसने पूर्व सांसद अतीक अहमद, अशरफ, अंसार बाबा और दिनेश पासी समेत आठ अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। अतीक को मुख्य आरोपी बताया।
दस साल पुराना घटनाक्रम
उल्लेखनीय है कि 25 जनवरी 2005 को इलाहाबाद में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या हुई थी। इस मामले में पूर्व सांसद अतीक अहमद और उनके भाई पूर्व विधायक अशरफ को आरोपी बनाया गया था। राजू पाल की विधायक पत्नी पूजा पाल ने सपा सरकार और पुलिस को इस हत्याकांड में लीपापोती का जिम्मेदार ठहराते हुए कानूनी लड़ाई शुरू कर दी। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में राजू पाल की हत्या एक बड़ा मुद्दा बन गयी थी। पूजा ने पुलिस को आरोपित करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय से सीबीआइ जांच की मांग की थी। पूजा का तर्क था कि आरोप पत्र दाखिल करते समय पुलिस ने तमाम साक्ष्य छिपा लिये। हाईकोर्ट ने मई 2014 में सीबीआइ जांच कराये जाने की याचिका पर सीधे हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था। इसके बाद पूजा पाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
छह माह में पूरी होगी जांच
सुप्रीम कोर्ट ने पूजा पाल की याचिका पर अब सीबीआइ जांच के निर्देश दिये हैं। छह माह में ही जांच पूरी करने को कहा है। अव्वल तो पूजा जिन साक्ष्यों को कोर्ट में दाखिल न करने का आरोप लगा रही हैं, सीबीआइ जांच उन पर ही सर्वप्रथम केंद्रित होगी और छह माह की अवधि में अगर जांच पूरी हुई तो उस समय तक उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव की गतिविधि तेज हो जाएगी। अभियुक्तों से सीबीआइ की पूछताछ होनी तय है। ऐसे में राजू पाल हत्याकांड से जुड़े विवेचक, अफसरों और सियासी शख्सीयतों से भी पूछताछ संभव है। जाहिर है कि सीबीआइ की कार्रवाई का असर सियासी माहौल पर भी पड़ेगा।
27 को पेश होगा उमेश
अपहरण कांड के वादी व राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की कोर्ट में 27 जनवरी को गवाही होगी। अतीक से जान का खतरा के कारण वह मध्यप्रदेश भाग गया था।
एक आरोपी की हत्या
राजू पाल हत्याकांड के एक आरोपी अंसार बाबा की हत्या हो चुकी है। उस पर चकिया के नस्सन की हत्या का आरोप था। इससे नस्सन का बेटा रिजवान उससे रंजिश रखता था। मौका मिलने पर रिजवान ने अंसार को मौत के घाट उतारकर पिता का बदला लिया।
दोषियों को मिलेगी सजा पूजा पाल
राजू पाल की पत्नी तथा शहर पश्चिमी से बसपा विधायक पूजा पाल का कहना है कि स्थानीय पुलिस व सीबीसीआइडी की जांच रिपोर्ट पर उन्हें भरोसा नहीं था। इसीलिए सीबीआइ जांच के लिए सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लंबी जिद्दोजहद के बाद उन्हें सुप्रीमकोर्ट से न्याय मिला है। उन्हें यकीन है कि दोषियों को सजा मिलेगी।
गवाहों में अकेला उमेश
उमेश राजू पाल हत्याकांड का इकलौता चश्मदीद गवाह रह गया। वह अकेले गवाह नहीं था, उसके साथ रुखसाना, हंसराज पाल, महेंद्र उर्फ बुद्धि पटेल, सैफ और सादिक भी थे, लेकिन उमेश का कहना है कि सभी गवाह टूट चुके हैं। वह अकेला रह गया है। उसका कहना है कि विधायक पूजा पाल को इंसाफ दिलाकर रहेगा, चाहे उसकी जान भले ही न क्यों चली जाए। राजू पाल हत्याकांड में मां रानी पाल भी गवाह थीं, लेकिन उनका तीन माह पहले निधन हो चुका है।
बदल गई सूबे की सियासी आबोहवा
पूर्व बसपा विधायक राजू पाल की हत्या ने सूबे की राजनीतिक आबोहवा बदल दी थी। मंडल के सभी जिले इस हत्याकांड से प्रभावित हुए ही थे। बसपा के मंच की दहाड़ बन चुकी थी राजू पाल की हत्या। शुक्रवार को सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद बसपाइयों में फिर नई उम्मीदें जग गई हैं।
निकालना पड़ा था अतीक को
वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में सपा को राजू पाल हत्याकांड ने इतना दर्द दिया कि उसकी टीस पांच वर्षों तक बनी रही। सपा ने मामले से पल्ला झाडऩे के लिए अतीक को पार्टी से निकाल दिया था। फिर भी मददगार का ठप्पा लगा रहा।