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मिशन 2019: यूपी में महागठबंधन अधर में, BSP-SP-RLD में गठबंधन तय; कांग्रेस अलग-थलग

कांग्रेस के प्रदर्शन को उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के साथ बहुजन समाज पार्टी ने कोई अहममियत नहीं दी है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Wed, 19 Dec 2018 09:38 AM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 04:01 PM (IST)
मिशन 2019: यूपी में महागठबंधन अधर में, BSP-SP-RLD में गठबंधन तय; कांग्रेस अलग-थलग
मिशन 2019: यूपी में महागठबंधन अधर में, BSP-SP-RLD में गठबंधन तय; कांग्रेस अलग-थलग

लखनऊ [अजय जायसवाल]। कांग्रेस ने भले ही मध्य प्रदेश के साथ राजस्थान व छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बना ली है, लेकिन उत्तर प्रदेश में इसका कोई असर नहीं है। कम से कम गठबंधन में तो वह अभी भी हाशिए पर ही है।

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कांग्रेस के इस प्रदर्शन को उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के साथ बहुजन समाज पार्टी ने कोई अहममियत नहीं दी है। मिशन 2019 के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस को गठबंधन में शामिल न करने का फैसला कर लिया है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में यह दोनों दल राष्ट्रीय लोकदल को गठबंधन में शामिल करते हुए भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे।

इसके लिए सीटों का फार्मूला भी तय हो गया है। बसपा जहां 38 सीट पर वहीं सपा 37 और तीन पर रालोद चुनाव लड़ेगा।कांग्रेसी गढ़ माने जाने वाले रायबरेली और अमेठी संसदीय सीट पर गठबंधन का प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ेगा। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी अपने कोटे की कुछ और सीटें भी व्यक्ति विशेष या छोटे दलों को दे सकती है।

आम चुनाव होने मेंअभी तीन-चार महीने से ज्यादा का वक्त है लेकिन, सभी पार्टियां इस चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुट गई हैैं। देश में सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में अब तक यही माना जाता रहा कि भाजपा से मुकाबला करने के लिए सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट होंगी लेकिन सूत्रों का कहना है बसपा व सपा ने कांग्रेस से गठजोड़ न करने का फिलहाल फैसला कर लिया है।

इसके लिए उनके वरिष्ठ नेताओं में वार्ता भी हो चुकी है। दोनों ही पार्टियां का मानना है पड़ोसी राज्यों में सरकार बनाने के बाद कांगे्रस गठबंधन में ज्यादा सीटों पर दावेदारी करती। पुराने अनुभवों के आधार पर दोनों का यह भी मानना है कि कांगे्रस को साथ लेने से उन्हें फायदा नहीं होगा क्योंकि उसके वोट सपा या बसपा को ट्रांसफर नहीं होते।

फिलहाल सीटों के बंटवारे का जो फार्मूला तैयार किया है, उसके तहत 38 लोकसभा सीटों पर बसपा लड़ेगी और तीन सीटें बागपत, कैराना व मथुरा रालोद को दी जाएंगी। शेष 39 सीटों में सपा 37 पर जबकि दो सीटें रायबरेली व अमेठी में गठबंधन का कोई प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ेगा। सपा अपने कोटे में से कुछ सीटें व्यक्ति विशेष या अन्य छोटे दलों को दे सकती है। कौन सी सीट किस पार्टी को मिलेगी इसका मोटा आधार पिछले चुनाव का नतीजा रहेगा। सपा व रालोद के पास जो सीटें हैैं, वह उन्हीं के पास रहेंगी। रनरअप यानि दूसरे स्थान पर जो पार्टी रही है उसे अन्य समीकरणों को देखते हुए प्राथमिकता पर वही सीट दी जाएगी ताकि ज्यादा से ज्यादा सीटों पर विजय हासिल की जा सके।

उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में भाजपा ने अपना दल के साथ मिलकर जहां 73 सीटें जीती थी वहीं सपा पांच व कांगे्रस को दो सीटों पर ही सफलता मिली थी। बसपा एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। यद्यपि उप चुनाव में सपा दो और रालोद एक सीट, भाजपा से झटकने में कामयाब रही है। 


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