UP News: अल्पसंख्यक आयोग करेगा जनसंख्या नियंत्रण बिल लाने की सिफारिश, अध्यक्ष बोले- देश संविधान के आधार पर चलेगा शरीयत से नहीं
उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी ने कहा अल्पसंख्यकों की बेहतरी और विकास के लिए बढ़ती आबादी पर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि आयोग जल्द ही केंद्र सरकार से जनसंख्या नियंत्रण बिल लाने की सिफारिश करेगा।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने देश में बढ़ती आबादी पर चिंता जताते हुए कहा कि आयोग जल्द ही केंद्र सरकार से जनसंख्या नियंत्रण बिल लाने की सिफारिश करेगा। आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी ने कहा कि बढ़ती आबादी के कारण अल्पसंख्यकों का विकास नहीं हो पा रहा है। अल्पसंख्यकों की बेहतरी और विकास के लिए ये जरूरी है की देश में जनसंख्या नियंत्रण बिल अति शीघ्र लाया जाए।
आयोग के गठन के एक वर्ष पूरा होने के मौके पर आयोजित पत्रकार वार्ता में अध्यक्ष ने कहा कि आयोग की टीम ने प्रदेश के कई जिलों का दौरा कर जो रिपोर्ट दी है उसके अनुसार अल्पसंख्यकों की भलाई के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूरी है। उन्होंने कहा कि देश संविधान के आधार पर चलेगा किसी शरीयत से नहीं। इस बात को सभी को समझना होगा। देश की बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में संसाधन कम हो रहे हैं। आयोग लोगों को संकल्प भी दिला रहा है कि उतने ही बच्चे पैदा किए जाएं जिन्हें हम बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सुविधा प्रदान कर सकें।
इस अवसर पर आयोग के एक वर्ष के कार्यों से संबंधित बुकलेट का भी विमोचन किया गया। अध्यक्ष ने बताया कि एक वर्ष के दौरान लगभग 2686 शिकायतें प्राप्त हुई जिनमें से 2468 शिकायतों का निराकरण आयोग कर चुकी है। 1272 मामलों में शमन जारी कर सुनवाई की गई और इनमें से 1176 मामलों का निस्तारण किया गया है। उन्होंने बताया कि आयोग केंद्र व प्रदेश सरकार की अल्पसंख्यकों से जुड़ी योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी कर रहा है।
उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने कहा था कि वर्ष 2001-2011 के दशक में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 20.23 फीसद बढ़ी है। तुलनात्मक अध्ययन में अकेले गाजियाबाद में 25.82 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा लखनऊ, मुरादाबाद, सीतापुर व बरेली में जनसंख्या वृद्धि 23 से 25.82 फीसद के मध्य रही है। आने वाली पीढ़ी को बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा व अन्य सुविधाएं देने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण बेहद जरूरी है। राजस्थान, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ व उत्तराखंड में लागू जनसंख्या कानून में दो से अधिक बच्चों वालों के स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ने पर रोक है।
उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग का मत था कि दो बच्चों के परिवार की नीति का पालन करने वालों को प्रोत्साहित करने के साथ ही नीति का पालन न करने वालों के लिए राज्य कल्याणकारी योजनाओं, जिला पंचायत व स्थानीय निकाय के चुनाव लडऩे पर प्रतिबंध जरूरी है। कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने कई निर्णयों में यह साफ किया है कि परिवार को दो बच्चों तक सीमित करने की नीति न तो अनुच्छेद 21 के प्राण और दैहिक स्वतंत्रता के विपरीत है और न ही अनुच्छेद 25 के अंत:करण की और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण व प्रचार करने की स्वतंत्रता के विपरीत है। दो बच्चों की राष्ट्र हित में है और देश के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है।