सुरेश यादव हत्याकांड में राजा भैया सीबीआइ अदालत में तलब
प्रतापगढ़ के कुंडा सीओ जियाउल हक हत्याकांड में केबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) समेत १४ लोगो को अदालत ने तालब किया है। इस मामले की अगली सुनवाई ३ अक्टूबर को होनी है। सीबीआइ की विशेष अदालत में आज मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने यह आदेश जारी
लखनऊ। कुंडा में हुए बहुचर्चित सुरेश यादव हत्याकांड में विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीबीआइ) मनोज कुमार ने खाद्य एवं रसद मंत्री रघुराज प्रताप सिंह, तत्कालीन थानाध्यक्ष हथिगवां मनोज कुमार शुक्ला, प्रभारी निरीक्षक कुंडा सर्वेश कुमार मिश्रा, अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपालजी, पीए जितेंद्र पाल, संजीव कुमार सिंह, गुड्डू सिंह उर्फ संजय प्रताप सिंह, राजीव प्रताप सिंह, नन्हे सिंह, बुल्ले पाल, मुन्ना कामता पाल, अजय पाल और विजय पाल को तीन अक्टूबर को तलब किया है।
अदालत ने अपने 54 पृष्ठीय विस्तृत आदेश में कहा कि रघुराज प्रताप सिंह, अक्षय प्रताप सिंह, पीए जितेंद्र पाल, संजीव कुमार सिंह, गुड्डू सिंह उर्फ संजय प्रताप सिंह, राजीव प्रताप सिंह के द्वारा साजिश व षड्यंत्र करके नन्हे सिंह, बुल्ले पाल, मुन्ना, कामता पाल, अजय पाल, विजय पाल ने थानाध्यक्ष हथिगवां मनोज कुमार शुक्ला, प्रभारी निरीक्षक कुंडा, सर्वेश कुमार मिश्रा व तत्कालीन सीओ कुंडा जियाउल हक के गनर इमरान सिद्दीकी के सहयोग से सुरेश यादव की हत्या कराया जाना स्पष्ट रूप से प्रथमदृष्टया साबित होता है। अदालत ने इस मामले में विवेचक की ओर से प्रस्तुत अंतिम आख्या को निरस्त करते हुए रघुराज प्रताप सिंह सहित 14 आरोपियों को हत्या, हत्या का षडयंत्र एवं सुबूत मिटाने सहित कई आरोपों में तलब किया है।
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि घटना के दिन दो मार्च 2013 को रघुराज प्रताप सिंह, अक्षय प्रताप सिंह, नन्हे सिंह, मनोज कुमार शुक्ला, सर्वेश कुमार मिश्रा, बुल्ले पाल, संजीव सिंह का अन्य अभियुक्तों से बात करना तथा रघुराज प्रताप सिंह की प्रतापगढ़ वाली कोठी पर अक्षय प्रताप सिंह, नन्हे सिंह, संजीव सिंह एवं जितेंद्र पाल द्वारा वादी पवन कुमार यादव को बंधक बनाकर गलत तहरीर लिखवाने से स्पष्ट है कि गलत तहरीर लिखवाई गई। इसकी जानकारी रघुराज प्रताप सिंह को थी। सीबीआइ ने भी गुड्डू सिंह को ग्राम प्रधान नन्हे यादव की हत्या में शामिल पाया थी। उसने घटना के दो-तीन दिन पूर्व थानाध्यक्ष हथिगवां मनोज कुमार शुक्ला को फोन पर कहा था कि कामता पाल उसका आदमी है एवं नन्हें यादव उसकी बात नहीं मान रहा है, वह आपके पास आएगा, आप उसकी मदद करना। अदालत ने कहा कि इन बातों से यह स्पष्ट है कि गुड्डू सिंह आदि द्वारा कई दिन पहले से नन्हे व सुरेश यादव की हत्या के बावत साजिश रची जा रही थी।
ध्यान रहे, कुंडा की घटना को लेकर सीबीआइ ने चार रिपोर्ट दर्ज की थी जिसमें पहली रिपोर्ट के वादी फूल चंद यादव हैं तथा कामता पाल, अजय कुमार पाल, अजीत सिंह एवं राजीव कुमार सिंह को नामजद किया गया। दूसरी रिपोर्ट तत्कालीन थानाध्यक्ष हथिगवां मनोज कुमार शुक्ला ने सज्जन कुमार, राम सूरत, फूलचंद, पवन, सुधीर, बबलू, नन्हे लाल, घनश्याम, सरोज, मनजीत यादव एवं राम लखन सहित 10 लोगों के विरुद्ध दर्ज कराई। तीसरी रिपोर्ट वादी पवन कुमार यादव ने विजय कुमार, सज्जन कुमार, राजकुमार, सरोज एवं संजय सिंह के खिलाफ दर्ज कराई। अंतिम व चौथी रिपोर्ट सीओ जियाउल हक की विधवा परवीन आजाद ने गुलशन प्रताप सिंह के खिलाफ दर्ज कराई थी। सीबीआइ ने जियाउल हक, ग्राम प्रधान नन्हें यादव एवं सुरेश यादव की हत्या की तीन विवेचनाएं एक साथ कीं।
सीबीआइ ने विवेचना के उपरांत परवीन आजाद की ओर से नामजद आरोपी रघुराज प्रताप सिंह, गुलशन यादव, रोहित सिंह, हरिओम श्रीवास्तव तथा गुड्डू सिंह के पक्ष में एक अगस्त 2013 को अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर सभी को क्लीनचिट दे दी थी। परवीन आजाद की आपत्ति अर्जी को अदालत ने स्वीकार करते हुए आठ जुलाई 2014 को अंतिम रिपोर्ट निरस्त कर अग्रिम विवेचना करने का आदेश दिया। इसी प्रकार सुरेश यादव की हत्या के मामले में सीबीआइ ने यह कहते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी कि सुरेश यादव अपनी दोनाली बंदूक की बट से तथा दूसरे लोग लाठी डंडों से घटना के समय सीओ जियाउल हक को मार रहे थे, सुरेश यादव बंदूक की नाल पकड़े थे, बंदूक से गोली चल गई जो सुरेश यादव को लगी, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।
परवीन आजाद को मिली सुरक्षा
उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ को दिए गए आश्वासन के अनुपालन में राज्य सरकार ने कुंडा के दिवंगत क्षेत्राधिकारी जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद को सुरक्षा मुहैया करा दी है। मुख्य स्थायी अधिवक्ता मोहम्मद मंसूर ने इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान अदालत से कहा था कि परवीन आजाद को सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि सुरक्षा मुहैया करा दी गई है। न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन व न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय की पीठ ने याची परवीन आजाद की ओर से दायर याचिका पर राज्य सरकार से सुरक्षा दिए जाने को कहा था। याची का आरोप था कि उनको जो सुरक्षा दी गई थी वह नियमित नहीं है तथा राजधानी के बाहर के जिले से दी गई सुरक्षा की जगह उनको लखनऊ से सुरक्षा दी जाए।