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प्रवासी श्रमिकों के ठेकेदारों को लाइसेंस से छूट नहीं, पहले की तरह ही करना होगा पंजीकरण

दूसरे राज्य से यूपी आए श्रमिकों को सेवायोजित करने वाले नियोक्ता को भी अधिनियम के तहत पूर्व की भांति पंजीकरण कराना होगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 02:55 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 02:56 PM (IST)
प्रवासी श्रमिकों के ठेकेदारों को लाइसेंस से छूट नहीं, पहले की तरह ही करना होगा पंजीकरण
प्रवासी श्रमिकों के ठेकेदारों को लाइसेंस से छूट नहीं, पहले की तरह ही करना होगा पंजीकरण

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। नए कारखानों और मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों को उत्तर प्रदेश में लागू श्रम कानूनों से तीन साल के लिए सशर्त छूट देने के लिए यूपी सरकार भले ही अध्यादेश लागू करने की तैयारी कर रही हो, लेकिन श्रमिकों को काम दिलाने के लिए दूसरे राज्य ले जाने वाले ठेकेदारों को इसमें कोई रियायत नहीं दी गई है। उन्हेंं अंतर-राज्य प्रवासी कर्मकार (रोजगार का विनियमन और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1979 के तहत पहले की तरह ही इसके लिए लाइसेंस हासिल करना होगा। वहीं, दूसरे राज्य से आए श्रमिकों को सेवायोजित करने वाले नियोक्ता को भी अधिनियम के तहत पूर्व की भांति पंजीकरण कराना होगा।

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अधिनियम में प्रावधान है कि यदि कोई ठेकेदार पांच या उससे अधिक कामगारों को दूसरे प्रदेश में काम दिलाने के लिए ले जाना चाहता है तो उसे इसके लिए लाइसेंस हासिल करना होगा। अधिनियम में यह भी व्यवस्था है कि दूसरे राज्य से आये पांच या उससे अधिक कामगारों को यदि कोई अधिष्ठान या नियोक्ता सेवायोजित करता है तो उसे भी अपना पंजीकरण कराना होगा।

बिना पंजीकरण कराए वह दूसरे राज्य से आए कामगारों को सेवायोजित नहीं कर सकता है। हकीकत यह है कि अधिनियम के तहत न तो ठेकेदार लाइसेंस के लिए आवेदन करने में रुचि दिखा रहे हैं और न ही नियोक्ता पंजीकरण कराने में। काम की तलाश में सूबे से दूसरे राज्यों को जाने वाले कामगारों की बड़ी संख्या को देखते हुए अधिनियम के तहत लाइसेंस हासिल करने वाले ठेकेदारों और पंजीकरण कराने वाले नियोक्ताओं की संख्या नगण्य है।

उधर, लॉकडाउन से लड़खड़ाये औद्योगिक क्रियाकलापों और आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाने के लिए योगी सरकार ने बीते दिनों उत्तर प्रदेश कतिपय श्रम विधियों से अस्थायी छूट अध्यादेश, 2020 के प्रारूप को मंजूरी दी थी। इस अध्यादेश के तहत प्रदेश में स्थापित होने वाले नये कारखानों और मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों को सूबे में लागू श्रम कानूनों से कुछ शर्तों के साथ छूट देने का इरादा है। राज्य सरकार ने अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा है।

श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने जागरण से बातचीत में यह स्पष्ट किया कि प्रस्तावित अध्यादेश के जरिये कारखानों और मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों को श्रम कानूनों से छूट देने की मंशा के बावजूद अंतर-राज्य प्रवासी कर्मकार अधिनियम के तहत ठेकेदारों के लिए लाइसेंस हासिल करने की अनिवार्यता बरकरार रहेगी। इसमें कोई रियायत नहीं दी गई है। उन्होंने बताया कि लाइसेंस/पंजीकरण या उनके नवीनीकरण के लिए ठेकेदार/नियोक्ता ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। कहा कि प्रवासी श्रमिकों के हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।


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