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Mid-day meal : उत्तर प्रदेश राशन वितरण में आगे पर बच्चों को अनाज बांटने में पिछड़ा

बच्चों को लॉकडाउन की अवधि और गर्मी की छुट्टियों के लिए मिड डे मील का अनाज मुहैया कराने और कन्वर्जन कास्ट की प्रतिपूर्ति करने में वह कई राज्यों से यूपी पिछड़ गया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 12:51 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 12:51 AM (IST)
Mid-day meal : उत्तर प्रदेश राशन वितरण में आगे पर बच्चों को अनाज बांटने में पिछड़ा
Mid-day meal : उत्तर प्रदेश राशन वितरण में आगे पर बच्चों को अनाज बांटने में पिछड़ा

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। लॉकडाउन के दौरान मजदूरों, गरीबों और जरूरतमंदों को निश्शुल्क राशन बांट बांटने में उत्तर प्रदेश भले ही आगे रहा हो लेकिन परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को लॉकडाउन की अवधि और गर्मी की छुट्टियों के लिए मिड-डे मील का अनाज मुहैया कराने और कन्वर्जन कास्ट की प्रतिपूर्ति करने में वह कई राज्यों से पिछड़ गया। वजह यह थी की बेसिक शिक्षा विभाग के पास परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाता संख्या उपलब्ध नहीं था। अब विभाग बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाता संख्या जुटा रहा है।

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लॉकडाउन के कारण सभी स्कूल बंद थे। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वे लॉकडाउन की अवधि और गर्मी की छुट्टियों के लिए बच्चों को मिड-डे मील का अनाज मुहैया कराएं। साथ ही, मिड डे मील पकाने के लिए दी जाने वाली कन्वर्जन कास्ट बच्चों के अभिभावकों के खातों में भेजें। बिहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और कर्नाटक जैसे राज्यों ने बच्चों को मिड-डे मील का अनाज मुहैया कराने के साथ कन्वर्जन कास्ट की राशि भी उपलब्ध करा दी लेकिन उत्तर प्रदेश अब इसके लिए कसरत कर रहा है।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने बताया कि गर्मी की छुट्टियों के लिए बच्चों को अनाज मुहैया कराने के लिए हमें अनाज के अतिरिक्त आवंटन की जरूरत थी। इसके लिए हमने केंद्र सरकार से अनुमति मांगी थी। केंद्र सरकार की अनुमति मई के पहले हफ्ते में मिली और उसके बाद हमने इसके लिए वित्त विभाग से स्वीकृति हासिल की। इसके साथ जो एक और दिक्कत पेश आई, वह यह थी कि बेसिक शिक्षा विभाग के पास बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाता संख्या का कोई रिकॉर्ड नहीं था।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने कहा कि लॉकडाउन की अवधि में प्रदेश के 1.59 लाख परिषदीय विद्यालयों के 1.6 करोड़ बच्चों के अभिभावकों से उनके बैंक खाता संख्या मालूम करने के लिए तकरीबन 10 लाख लोगों को इस काम में लगाना पड़ता जो कि लॉकडाउन के दौरान संभव नहीं था। विभाग ने अब प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के माध्यम से अभिभावकों के बैंक खाता संख्या मालूम करने का निर्देश दिया है। वहीं, स्थानीय कोटेदार के माध्यम से अनाज उपलब्ध कराने के लिए कहा है इसके लिए बच्चों के अभिभावकों को वाउचर दिया जाएगा जिसके माध्यम से कोटेदार उन्हें मुफ्त में अनाज मुहैया कराएगा। हालांकि जब तक यह कवायद पूरी होगी, तब तक गर्मी की छुट्टियां भी लगभग बीत चुकी होंगी।


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