लखनऊ मेट्रो के पहियों से पैदा होगी बिजली, हर माह बचेंगे 30 लाख
3.6 करोड़ रुपये सिर्फ मेट्रो के पहिए हर साल बचाएंगे, 10 जनवरी तक सारे स्टेशनों पर विद्युत विभाग की टीम बिजली पहुंचाने का लक्ष्य कर लेगी पूरा।
लखनऊ [ अंशू दीक्षित] । अब मेट्रो अपने पहियों से पैदा होने वाली बिजली से भी दौड़ सकेगी। मेट्रो जितने चक्कर लगाएगी उतनी बिजली उत्पादित हो सकेगी। इससे करीब 35 फीसद तक बिजली बचेगी और लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन का राजस्व बचेगा। यह तकनीकी अभी तक पूरी तरह से भारत में सिर्फ लखनऊ मेट्रो अपना रहा है जिसे अब पूरे 23 किमी. रूट पर अप्लाई किया जाएगा।
इस री-जेनरेशन प्रोसेस के जरिए लखनऊ मेट्रो साल भर में 3.60 करोड़ रुपये बचाएगा। यह आंकड़ा मेट्रो के फेरे बढ़ने से बढ़ भी सकता है। अगर राइडर शिप एक लाख से ऊपर पहुंच गई तो हर तीन मिनट में मेट्रो चलानी पड़ेगी, ऐसे में और बिजली जेनरेट होगी। लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एलएमआरसी) के प्रबंध निदेशक कुमार केशव बताते हैं कि मेट्रो मोटर से चलती है और 25केवी सीधे पेंटा के जरिए ट्रेन में करंट पहुंचाता है, जो ट्रांसफार्मर के जरिए गियर घुमाता है। इसका उल्टा प्रयोग मेट्रो पर लागू होगा। ब्रेक लगने से जेनरेट होने वाली बिजली 32 केवी को सीधे जाएगी, जो बचेगी। लखनऊ मेट्रो का वर्तमान में हर माह साठ लाख रुपये के करीब बिल सिर्फ मेट्रो संचालन पर आता है। 23 किमी. चलने पर यह बिल ढाई गुना हो जाएगा। उस वक्त री जेनरेशन से बिजली भी खूब पैदा होगी।
एलीवेटेड स्टेशनों पर लगेंगे सोलर प्लांट
एलीवेटेड स्टेशनों की छतों पर जल्द सोलर लगाए जाएंगे। उद्देश्य होगा कि जो बिजली जेनरेट हो, उससे स्टेशन पर इस्तेमाल होने वाली बिजली खर्च की जाए। मेट्रो अधिकारियों ने बताया कि केडी सिंह से मुंशी पुलिया के बीच यह काम किया जाना है।
तीन स्टेशनों पर पहुंची बिजली
लखनऊ मेट्रो की विद्युत टीम ने केडी सिंह, विश्वविद्यालय और आईटी मेट्रो स्टेशन को चार्ज कर लिया है। 10 जनवरी तक सभी स्टेशनों पर विद्युत विभाग की टीम बिजली पहुंचाने का लक्ष्य पूरा कर लेगी।