बिना ऑपरेटर दौडऩे लगी मेट्रो, कई दिनों से चल रहा था ट्रायल
ट्रांसपोर्टनगर से चारबाग तक ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन मोड पर हुआ संचालन। ऑपरेटर की भूमिका केवल गेट को बंद कराने तक ही सीमित।
लखनऊ, जेएनएन। ऑटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन (एटीएस) सिस्टम से मेट्रो का रूट सेट किया गया। उसको सिग्नल मिले और उसी के अनुसार मेट्रो अपनी गति से यात्रियों के साथ दौड़ी और रुकी भी। पूरे मेट्रो संचालन में ऑपरेटर की कोई भूमिका नहीं रही। पहली बार लखनऊ मेट्रो ने बिना ऑपरेटर के ही ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन कर दिखाया। मेट्रो में पायलट की भूमिका केवल गेट को बंद करने की ही रही। प्रयोग के तौर पर तीन मेट्रो सेट को चुना गया। माना जा रहा है कि जल्द ही सभी मेट्रो सेवाएं इसी तकनीक से दौड़ेंगी।
बिना ऑपरेटर के मेट्रो दौड़ाने का ट्रायल पिछले कई दिनों से चल रहा था। नार्थ साउथ कॉरिडोर के ट्रांसपोर्ट नगर से चारबाग के बीच सोमवार को एटीओ (ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन) मोड के तहत संचालन शुरू कर दिया गया। इससे पहले मेट्रो एटीपी (ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन) सिस्टम से दौड़ रहीं थी। एटीओ तकनीक में बिना ऑपरेटर के हस्तक्षेप के मेट्रो ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन प्रणाली की देखरेख में चलती है।
इस तकनीक में मेट्रो के गेट स्वत: खुल जाते हैं। जबकि अत्याधुनिक कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (सीबीटीसी) सिग्नलिंग प्रणाली की मदद से मेट्रो ऑटोमेटिक संचालित होती है। ऑटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन (एटीएस) प्रणाली मेट्रो का ऑटोमेटिक रूट सेटिंग और ऑटोमेटिक ट्रेन रेगुलेशन का काम करती है। साथ ही ट्रेनों के मूवमेंट पर लगातार निरीक्षण करती है। असामान्य परिस्थितियों में उसकी गति को भी नियंत्रित करती है।
पूरे रूट पर होगा ऐसे संचालन
अभी ट्रांसपोर्टनगर से चारबाग के बीच तीन मेट्रो सेट में इसकी शुरुआत की गई है। जबकि चार अन्य ट्रेनों में यह सुविधा जल्द शुरू होगी। आने वाले समय में चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से मुंशी पुलिया तक पूरे रूट पर मेट्रो बिना ऑपरेटर दौड़ेंगी।
इमरजेंसी के लिए ऑपरेटर
इस तकनीक में भले ही ऑपरेटर का काम केवल गेट को मैन्यूअली बंद करना है। लेकिन इमरजेंसी सर्विस के लिए उनकी तैनाती मेट्रो में रहेगी।