मेट्रो डीसी हर माह बचाएगी लाखों की बिजली, खर्च पर लगेगी लगाम Lucknow News
25 फीसद डीसी से 35 फीसद व्हील जनरेट करके बचाएगा बिजली। खर्च पर लगाम लगाने के लिए यूपीएमआरसी ने नया ट्रिक अपनाएगा।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीएमआरसी) अपने बिजली बिल पर भी मेट्रो डीसी यानी डॉयरेक्ट करंट से चलाकर खर्च कम करेगा। यही नहीं व्हील जनरेट से भी इलेक्ट्रिसिटी बचाने का काम पहले की तरह चलता रहेगा। इससे हर माह लखनऊ मेट्रो हो या फिर यूपी में चलने वाली कानपुर व आगरा मेट्रो लाखों रुपये की बिजली बचाने का काम करेगी। इसके लिए यूपीएमआरसी ने खाका तैयार कर लिया है। यात्री सुविधाओं पर ज्यादा खर्च होने और कमाई कम होने से यह बचत मेट्रो के लिए मददगार साबित होगी।
यूपीएमआरसी के विद्युत शाखा से जुड़े अभियंताओं ने बताया कि अल्टरनेटिव करंट की तुलना में डॉयरेक्ट करंट से चलने वाली मेट्रो बीस से पच्चीस फीसद बिजली कम खपत होती है। साल में कई करोड़ रुपये की बिजली बचने के साथ ही सेफ और ओवर हेड लाइन पर आने वाले खर्च व रखरखाव से निजात भी दिलाती है। क्योंकि हर साल रखरखाव व मरम्मत पर लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं। वहीं डीसी इससे किफायती है। खासबात है कि ट्रैक के साथ तीसरी पटरी पर लाइन बिछाने पर जो खर्च आता है, सिर्फ वहीं एक बार में खर्च होता है।
वहीं, व्हील जनरेशन से 35 से 40 फीसद बिजली रीजनरेट होती है। अब तक मेट्रो कई करोड़ की बिजली 23 किमी. रूट पर अब तक बचा चुका है। मेट्रो अधिकारियों के मुताबिक मेट्रो की ट्रिप जितनी बढेगी, उतनी ज्यादा बिजली री जनरेट होगी।
सोलर भी बचा रहा है बिजली
लखनऊ मेट्रो ने डिपो में एक एमवी का सोलर रूफ टॉप लगा रखा है। इसी तरह मेट्रो ने अपने उपकेंद्रों व प्रशासनिक कार्यालय में सोलर पैनल लगा रखे हैं, जो बिजली बिल को कम करने का काम कर रहे हैं।
6.50 रुपये प्रति यूनिट है बिजली का रेट
लखनऊ मेट्रो भारतीय रेलवे की तर्ज पर बिजली प्रति यूनिट 6.50 रुपये के हिसाब से खरीदता है। लखनऊ मेट्रो एक मेट्रो से प्रतिदिन 14,300 की बिजली बचा रहा है। प्रतिदिन 18 मेट्रो चलती हैं, इससे दो लाख साठ हजार की बिजली नियमित रूप से बच रही है।
क्या कहते हैं अफसर ?
यूपीएमआरसी प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने बताया कि मेट्रो के पहियों से री जनरेट इलेक्ट्रिसिटी की जा रही है। अब 23 किमी. रूट पर इलेक्टिसिटी जनरेट कर चालीस फीसद के आसपास बचत हो रही है।