Atal 95th Birth Anniversary: खान-पान के शौकीन अटल का था लखनऊ से खास रिश्ता, चौक के चकल्लस में दिखते थे पूर्व PM
लखनऊ पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की आज 95वीं जयंती है। इस अवसर पर अटल के लखनऊ से रिश्ते को उजागर करती मुख्य बातें।
लखनऊ, जेएनएन। भारतरत्न व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी वैसे तो पूरे देश के प्रिय नेता थे। लेकिन उनका लखनऊ से हमेशा खास नाता रहा है। यहीं से उन्होंने संसद तक का सफर तय किया था। अटल के लखनऊ से रिश्ते को उजागर करती ये बातें...
अमृतलाल नागर द्वारा संचालित चकल्लस कार्यक्रम हो या फिर राम नवमी का हुजूम। अटल जी उसमें नजर आते थे। मलिन बस्तियों तक विकास की गंगा बहाने वाले अटल पुराने शहर को कभी नहीं भूले। पुराने लखनऊ से उनका खासा नाता था।
भाजपा से गुरेज रखने वाले मुसलमानों को अटल नहीं चूभते थे। एजाज रिजवी उनसे इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने भाजपा का झंडा उठा लिया था। अटल जी का उनके घर आना जाना था और पिता के साथ ही एजाज की बेटी डॉ. शीमा रिजवी का भी भाजपा से लगाव हो गया था यह तब की बात है, जब मुसलमान भाजपा से जुड़ने में परहेज करते थे। जनसंघ के समय से लखनऊ को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी के नवाबी शहर में कई ठिकाने भी बन गए थे। 40 कैंट रोड पर विश्व हिन्दू परिषद के नेता पुरुषोत्तम दास भार्गव के घर उनका खास आना जाना था। वहां वह कार्यकर्ताओं से भी मिलते थे। अपना पहला चुनाव भी उन्होंने भार्गव के घर से लड़ा था। दीनदयाल उपाध्याय के साथ जब अटल बिहारी वाजपेयी ने अखबार निकाला तो कागज के व्यवसायी पुरुषोत्तम दास भार्गव ही उन्हें कागज उपलब्ध कराते थे। पुराना किला में 92/98-1 स्मृति भवन में भी अटल जी प्रवास करते थे और निकाय चुनाव की मतदाता सूची में आज भी उनका नाम इसी पते पर दर्ज है।
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25 अप्रैल 2007 से नाता टूट गया था
अटल जी ने 25 अप्रैल 2007 को कपूरथला चौराहे पर भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में एक चुनावी सभा को संबोधित किया था और उसके बाद उनका लखनऊ से नाता टूट गया था। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में वह वोट डालने भी लखनऊ नहीं आ पाए थे। नवल किशोर रोड पर विष्णु नारायण इंटर कॉलेज उनका मतदान केंद्र था।
अटल ने कहा था ‘हमें झाड़ू ही दे दो’
अटल ने चुनावी सभा में कहा था कि ‘राजपाट तो कांग्रेस को दे दिया है हमें झाड़ू ही दे दो।’ वर्ष 1960 में कारपोरेशन (नगर महापालिका के सभासद) चुनाव में अटल ने छोटी छोटी सभाएं कर इन भाषणों से जनता का दिल जीतने का काम किया था।
अटल ने चुनाव प्रचार में इंटरनेट का इस्तेमाल किया था
अटल बिहारी वाजपेयी देश के पहले पीएम थे, जिन्होंने चुनाव प्रचार में इंटरनेट का इस्तेमाल किया था। इस उपलब्धि को दर्ज करने के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड को भेजा गया है। ग्लोबल टैक्सपेयर्स ट्रस्ट के चेयरमैन मनीष खेमका ने बताया कि करीब बीस साल पहले जब इंटरनेट शुरुआती दौर में था तब अटल जी ने लखनऊ में अपने चुनाव प्रचार के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया था।
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खान-पान के खासे शौकीन थे अटल
अटल जी लखनऊ आएं और यहां के खान-पान का स्वाद न लें, ऐसा हो नहीं सकता था। मंडली के बीच अटल जी को विभिन्न तरह की चाट परोसी जाती थी।
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चौक में टिल्लू गुरु दीक्षित के यहां से उनकी चाट आती थी लेकिन अगर कभी अटल जी लखनऊ में रहे और दुकान बंद रही तो लाटूश रोड पर पुराने आरटीओ के सामने पंडित रामनारायन तिवारी के यहां से चाट आती थी। अटल की आवभगत तो लालजी टंडन करते थे लेकिन टंडन जी के पुत्र मंत्री आशुतोष टंडन 'गोपाल' कहते हैं कि अटल जी को चाट के साथ नींबू और खट्टी चटनी पसंद थी। रामआसरे और पंडित राम नारायन तिवारी के यहां से भी चाट मंगाई जाती थी। चौक के राजा की ठंडाई भी अटल जी के लिए आती थी। पुराने भाजपा नेता पुरुषोत्तम भार्गव के घर पर अटल जी के लिए दूध दही से तैयार होने वाला महाराष्ट्र का व्यंजन श्रीखंड बनता था।
दिल्ली तक जाता था मलाई पान
मलाई पान अटल की को बहुत पसंद था। चौक के बानवाली गली में रामआसरे की पुरानी मिठाई की दुकान से ही उनके लिए मलाई पान जाता था। अटल के लिए तैयार होने वाले मलाई पान में चीनी की मात्रा कम रखी जाती थी। अटल जी जब प्रधानमंत्री हो गए तो मलाई पान पैक होकर दिल्ली जाता था।
लखनऊ के कूड़े से बिजली बनाना चाहते थे
पूरा देश आज कूड़े को खपाने को लेकर चिंतित है लेकिन अटल जी ने 1998 में ही लखनऊ के कूड़े से बिजली बनाने की योजना तैयार की थी। लखनऊ को उनकेप्रयास से ही कूड़े से बिजली और खाद बनाने की परियोजना भी मिल थी। अफसरों की लापरवाही से परियोजना की जमीन से लेकर मशीनरी तक आइडीएफसी (इंफ्रास्टैक्चर डेवलेपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन) के पास बंधक है।
हरदोई रोड स्थित भरावनखुर्द में कूड़े से बिजली बनाने की परियोजना लगाई गई थी। करीब 80 करोड़ रुपये की इस परियोजना में अपारम्परिक ऊर्जा स्त्रोत मंत्रालय ने भी पंद्रह करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया था। परियोजना के लिए शेष रकम आइडीएïफसी (इंफ्रास्टैक्चर डेवलेपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन) और एलआइसी ने लोन पर दी थी। नगर निगम सदन ने भी 20 जनवरी 2001 को परियोजना के लिए सात एकड़ जमीन तीस वर्ष की लीज डीड पर और 13 जून 2003 को दो एकड़ भूमि की लीज डीड पर देने का निर्णय लिया था।
परियोजना ने 23 जून 2003 से काम शुरू कर दिया था और शुरुआती समय में कूड़े से बिजली बनाने का प्रयास भी हुआ था। नवंबर 2003 में ही परियोजना को देख रही एशिया बायोएनर्जी ने 25 फीसद कूड़े को रिजेक्ट कर दिया था और अक्टूबर 2004 तक रिजेक्ट कूड़े का प्रतिशत 92.7 फीसद तक हो गया था और कुछ दिन बाद परियोजना के गेट पर ताला लगा दिया गया।