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मरीजों के प्रति सेवा भाव के लिए डॉक्टर पढ़ेंगे मेडिकल एथिक्स का पाठ, आयोजित होंगे सेमिनार

डॉक्टरों में मरीजों के प्रति सेवा भाव पैदा करने के लिए अब उत्तर प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों व चिकित्सा संस्थानों में मेडिकल एथिक्स (चिकित्सीय नैतिकता) का पाठ पढ़ाया जाएगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 05:20 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 05:20 PM (IST)
मरीजों के प्रति सेवा भाव के लिए डॉक्टर पढ़ेंगे मेडिकल एथिक्स का पाठ, आयोजित होंगे सेमिनार
मरीजों के प्रति सेवा भाव के लिए डॉक्टर पढ़ेंगे मेडिकल एथिक्स का पाठ, आयोजित होंगे सेमिनार

लखनऊ, जेएनएन। डॉक्टरों में मरीजों के प्रति सेवा भाव पैदा करने के लिए अब उत्तर प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों व चिकित्सा संस्थानों में मेडिकल एथिक्स (चिकित्सीय नैतिकता) का पाठ पढ़ाया जाएगा। यूपी के चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना के निर्देश पर सभी संस्थानों में हर महीने के पहले व तीसरे शनिवार को इसका आयोजन किया जाएगा। यह सेमिनार 90 मिनट का होगा। प्रत्येक फैकल्टी मेंबर को व रेजीडेंट डाक्टर को पांच मिनट से लेकर सात मिनट में अपने विचार रखने होंगे। कोरोना आपदा के चलते शारीरिक दूरी के मानक और अन्य प्रोटोकाल का सख्ती से पालन किया जाएगा।

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कोरोना महामारी ने आम जनता व डॉक्टरों के बीच नई प्रकार की चुनौती पेश की है। सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर जिस तरह से मरीजों को बेहतर इलाज देने में जुटे हैं, वह अपने आप में काबिल-ए-तारीफ है। मेडिकल एथिक्स में अपने पद और दायित्व का अच्छी तरह निर्वहन, रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवान और मेडिकल रिकार्ड का संरक्षण व गोपनीयता शामिल है।

इस संबंध में आइसीएमआर व एमसीआई की मेडिकल एथिक्स पर विस्तृत गाइड लाइन है। इसी को देखते हुए संकाय सदस्यों, जूनियर-सीनियर रेजीडेंट की क्लीनिकल कुशलता के विकास के लिए मेडिकल एथिक्स पर सेमिनार आयोजित किए जाएंगे। चिकित्सा संस्थानों के प्रमुख अपने निर्देशन में एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष व संचालक कार्यक्रम का माड्यूल व रूपरेखा निर्धारित करेंगे।

संयोजक उसे ही बनाया जाएगा जो कि ख्याति प्राप्त व्यक्ति हो और मरीजों के साथ विनम्रतापूर्वक व्यवहार करता रहा हो। इसमें कोई भी पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन नहीं किया जाएगा। फैकल्टी के प्रत्येक सदस्य छह महीने में कम से कम एक बार मेडिकल एथिक्स पर आयोजित सेमिनार में वक्ता के तौर पर शामिल होना जरूरी होगा।

इसी तरह पीजी, नॉन पीजी जूनियर-सीनियर रेजीडेंट को भी छह महीने में कम से कम एक बार सेमिनार में भागीदारी करनी होगी। चिकित्सा शिक्षकों की प्रोन्नति में सेमिनार में की गई भागीदारी का भी आकलन किया जाएगा। इसी तरह रेजीडेंट को डिग्री देने से पहले वक्ता के तौर पर इस सेमिनार में अनिवार्य रूप से भागीदारी करवाई जाएगी।


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