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लखनऊ को बेहतरी के लिए अभी भी है इन सुविधाओं का इंतजार

लखनऊ को हर साल पचास हजार मकानों की जरूरत है, मगर सरकारी स्तर पर केवल पांच हजार मकानों की व्यवस्था हो पा रही है।

By Krishan KumarEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 06:00 AM (IST)
लखनऊ को बेहतरी के लिए अभी भी है इन सुविधाओं का इंतजार

लखनऊ के शहरी क्षेत्र का दायरा बढ़ रहा है, लेकिन जरूरत के मुताबिक सुविधाओं में बढ़ोतरी नहीं हो रही। राजधानी में रहने की बढ़ती चाहत ने शहर में ढेरों अनियोजित कॉलोनियों को जन्म दे दिया है। ऐसा इसलिए भी हुआ कि एलडीए और आवास विकास परिषद हर किसी को आवास उपलब्ध नहीं करा पाए। अनियोजित कॉलोनियों के चलते अवस्थापना सुविधाओं की मांग बढऩे लगी।

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जरूरत के अनुसार विकास में सीमित बजट रोड़ा है। हाल यह है कि 40 प्रतिशत इलाकों में सीवर और पेयजल के पाइप तक नहीं पड़ पाए हैं और जुगाड़ तंत्र से काम चल रहा है। सड़कें चौड़ी तो हुई हैं, लेकिन यातायात के बढ़ते दबाव को वह झेल नहीं पा रहीं और शहर हर दिन जाम से जूझता दिखता है।

माना जा रहा है कि अगले साल मेट्रो ट्रांसपोर्टनगर से इंदिरानगर, मुंशीपुलिया तक दौड़ेगी तो शहर को कुछ राहत मिलेगी। इसी तरह बिजली के क्षेत्र में सुधार तो हुआ है, लेकिन ट्रांसमिशन लाइनों और बिजली उपकेंद्रों की कमी है। यही कारण है कि कटौती न होने के बावजूद रोजाना शहर के कई इलाकों में बिजली संकट रहता है।

सीवर लाइन की बड़ी समस्या
आलमबाग और कृष्णानगर से जुड़े इलाकों में आज भी सीवर लाइन नहीं है और घनी आबादी में सीवर को नाले में बहाया जा रहा है। पुराने शहर में पुराने जमाने की सीवर लाइन जवाब दे चुकी है। जवाहर लाल नेहरू अर्बन मिशन के तहत ट्रांसगोमती इलाके में पड़ी सीवर लाइन भी गति नहीं पकड़ पा रही। अभी शहर में 1900 किलोमीटर में सीवर लाइन है, जबकि बढ़ते क्षेत्र के कारण 1900 किलोमीटर की अभी और दरकार है।

वहीं चार हजार घरों में आज भी शौचालय नहीं है। खुले में शौच करने वाले प्रदूषण फैला रहे हैं। सार्वजनिक शौचालय तो बने, लेकिन अभी अपर्याप्त हैं। अमीनाबाद, चौक, आलमबाग, गोमतीनगर समेत शहर की सभी प्रमुख बाजारों में लघु शंका करने के लिए जगह तलाश करनी पड़ती है।

पेयजल का लगातार संकट
शहर में पेयजल के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। 613 नलकूपों और 130 मिनी नलकूपों में से चालीस प्रतिशत अपनी क्षमता के अनुरूप पानी नहीं दे पा रहे। दो हजार हैंडपंप खराब हैं तो तीसरे जलकल में पानी खत्म होते ही गोमतीनगर, इंदिरानगर में हाहाकार मच जाता है। 135 किलोमीटर दूर शारदा नहर से पानी आता है और इसके लिए सिंचाई विभाग से विनती करनी पड़ती है। पेयजल की आपूर्ति के लिए 33 सौ किलोमीटर में पाइप लाइन पड़ी है, जबकि एक हजार किलोमीटर में पाइप की अभी आवश्यकता है।

कूड़ा भी बड़ी समस्या
शहर की सड़कों से कूड़ा पूरी तरह से खत्म नहीं हो पा रहा। घर-घर से कूड़ा एकत्र करने की योजना दम तोड़ रही है। सभी 110 वार्डों में घर-घर से कूड़ा उठान की व्यवस्था नहीं है। करीब 1600 में से चार सौ पार्क ही सही हैं, शेष बदहाल हैं और अधिकांश में दीवार तक नहीं है।

नगर निगम सीमा में तीन दशक पहले शामिल हुए 124 गांवों में सुविधाओं का अभाव है। वहां सफाई और अन्य कार्य तो दूर, सड़क तक नहीं बन पाई है। भरवारा और दौलतगंज के एसटीपी क्षमता विहीन हो गए हैं और गोमती नदी में बिना शोधन के सीवर जा रहा है।

अतिक्रमण हटे तो चौड़ी हों सड़कें, सुधरे यातायात
शहर में बढ़ते यातायात के दबाव को दूर करने के लिए सड़कों से अतिक्रमण हटाने के साथ ही बेतहाशा बढ़ गए ई-रिक्शा पर लगाम लगानी होगी। इसके अलावा दफ्तरों के खुलने और छूटने के समय में आधे-आधे घंटे का अंतराल रखना होगा। साथ ही सार्वजनिक परिवहन सेवाओं का दायरा बढ़ाना होगा।

मकान चाहिए पचास हजार, मिल रहे पांच हजार
राजधानी को हर साल पचास हजार मकानों की जरूरत है, मगर सरकारी स्तर पर केवल पांच हजार मकानों की व्यवस्था हो पा रही है। इसीलिए अनाधिकृत और अवैध कॉलोनियां बढ़ रही हैं। एलडीए और आवास विकास परिषद निजी क्षेत्र में लाइसेंस देकर भी नियोजित कॉलोनियां बसा रहे हैं। फिर भी आवासों की जरूरत पूरी नहीं हो रही।

इस पर देना होगा ध्यान
- पुरानी सीवर लाइन को बदलने के साथ ही ट्रांसगोमती और पुराने लखनऊ में वर्ष 2008 से 2012 तक डाली गई सीवर लाइन को चालू कराना होगा।
- जलकल महकमे ने चोक सीवर लाइनों को साफ करने के बजाय उसे पंचर कर नालियों से जोड़ दिया है, लिहाजा सारा मैला नालियों में जा रहा है। इसे ठीक करना होगा।
- कठौता झील में बनाए गए तीसरे जलकल के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। अभी 135 किलोमीटर दूर शारदा नहर से पानी लिया जाता है।
- गोमतीनगर विस्तार क्षेत्र के लिए 80 एमएलडी का एक और जलकल बनाना होगा। आलमबाग और उससे जुड़े पांच लाख की आबादी वाले क्षेत्र के लिए अलीनगर सुनहरा में प्रस्तावित पांचवें जलकल का काम समय पर पूरा करना होगा। इसी तरह अलीगंज और जानकीपुरम क्षेत्र के लिए एक अलग जलकल की जरूरत है।
- बिजली की ट्रांसमिशन लाइनों को बढ़ाना होगा और आठ नए बिजली उपकेंद्र बनाने होंगे।
- आवास निर्माण तेजी से किया जा सके, इसको लेकर नई तकनीकों पर अमल किया जाए। छोटे भूखंडों पर एफोर्डेबल हाउसिंग को बढ़ावा मिले।
- सड़क बनाने के साथ ही यातायात के नियमों का पालन भी सख्ती से किया जाए।
- सड़क पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण पर तत्काल रोक जरूरी है। इसी वजह से सबसे अधिक जाम लगता है।

एक नजर में शहरी क्षेत्र
- नगर निगम का क्षेत्रफल 350 वर्ग किलोमीटर
- वर्ष 2011 की जनगणना में 28.17 लाख की आबादी
- कुल भवनों की संख्या- 6,66,099
- कुल आवास- 4,82,082
- आवास और अन्य उपयोग वाले भवन- 26,689
- दुकान- 36595
- स्कूल कॉलेज- 2040
- होटल, लाज और गेस्ट हाउस- 1492
- अस्पताल और डिस्पेंसरी- 1273
- फैक्ट्री और वर्कशाप- 3292
- कॉमर्शियल भवन- 38019
- मलिन बस्ती (चिह्नित)- 502
- पार्क- 1600
- एसटीपी भरवारा 350 एमएलडी क्षमता
- एसटीपी दौतलगंज 54 एमएलडी क्षमता
- सीवर लाइन पड़ी है 1900 किलोमीटर
- पानी की पाइप लाइन पड़ी है 33 सौ किलोमीटर
- सड़क की लंबाई 3387 किलोमीटर
(सभी आंकड़ें जनगणना 2011 के अनुसार)

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