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महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए संवेदनशील हुई लखनऊ पुलिस

लखनऊ पुलिस ने खुद को संसाधनों से लैस भी किया है। रुटीन अपराध के साथ-साथ साइबर अपराध रोकने की भी पहल हो रही है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Sat, 07 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 07 Jul 2018 12:00 AM (IST)
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए संवेदनशील हुई लखनऊ पुलिस

तहजीब के शहर लखनऊ में सुरक्षा सबसे संवेदनशील मुद्दा है। खासकर बच्चों और महिलाओं के लिए। सरकार की भी प्राथमिकता रहती है कि कानून-व्यवस्था दुरुस्त रहे। राजधानी में कोई बड़ी वारदात न हो, इसका पुलिस के आला अधिकारियों पर भी दबाव रहता है।

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लखनऊ पुलिस ने खुद को संसाधनों से लैस भी किया है। रुटीन अपराध के साथ-साथ साइबर अपराध रोकने की भी पहल हो रही है। हालांकि सुरक्षा के लिहाज से पुलिस बल की कमी को अभी दूर करने की दरकार है, जिससे संगीन वारदात में अधिक से अधिक कमी हो व कानून व्यवस्था और मजबूत हो सके।

डॉयल-100 से मिल रही मदद

डॉयल-100 की सौगात से लोगों में सुरक्षा का माहौल है। 24 घंटे किसी भी वक्त मुसीबत की घड़ी में यह लोगों के लिए तैयार रहती है। कम से कम समय में यूपी 100 की गाड़ी मदद मुहैया कराती है। राजधानी में कई घटनाओं में डायल-100 की टीम ने त्वरित कार्रवाई की है। हालांकि इस प्रोजेक्ट में अभी थोड़े सुधार की गुंजाइश है।

मुस्कान बिखेर रहा है 1090, छात्राओं और महिलाओं को मिली राहत

छात्राओं और महिलाओं को सबसे ज्यादा किसी ने परेशानी से निजात दिलाई है तो वह है वूमेन पॉवर लाइन यानी 1090 सेवा। शहर ही नहीं पूरे प्रदेश की महिलाओं, बच्चियों व छात्राओं को इस सेवा से सुरक्षा का एहसास मिलता है। फोन पर अभद्रता करने वालों से लेकर पीछा करने वाले शोहदों तक को वीमेन पॉवर लाइन ने कड़ाई से समझाया है। इसकी मदद से महिलाओं को चुप्पी तोड़कर खुलकर बोलने का हौसला भी मिला है।

सीसीटीवी से मिल रहा लखनऊ पुलिस को सुराग

विभिन्न चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे संदिग्ध लोगों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं। हजारों की संख्या में लगे कैमरे पुलिस-प्रशासन के लिए काफी मददगार साबित हुए हैं। हालांकि उचित देखरेख नहीं होने के कारण काफी संख्या में कैमरे खराब भी हो गए हैं। जिम्मेदार लोगों को कैमरों को व्यापक स्तर पर बढ़ाने और इनकी मरम्मत की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है।

सीसीटीवी कैमरे भय मुक्त माहौल का निर्माण करने में काफी हद तक मददगार भी साबित हो रहे हैं। कई क्षेत्रों में तो लोगों ने खुद अपने घरों व मोहल्लों में कैमरे लगवाए हैं, ताकि कोई भी गड़बड़ी पकड़ी जा सकें। बाजारों में व्यापारी खुद कैमरे लगवा रहे हैं।

मुठभेड़ से अपराधियों पर कसा शिकंजा

राजधानी पुलिस ने मुठभेड़ के जरिए अपराधियों पर नकेल लगाने का सार्थक प्रयास किया है। सीरियल किलर सलीम के गुर्गे सुनील शर्मा को मुठभेड़ में मार गिराने के बाद से आमजन में पुलिस के प्रति भरोसा कायम हुआ है। डकैतों से मुठभेड़ हो या फिर बांग्लादेशी गिरोह से, पुलिस ने साहस और शौर्य का परिचय देकर लोगों को सुरक्षित माहौल प्रदान करने की भरसक कोशिश की है। हालांकि कुछ संगीन मामलों ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल भी खड़े किए हैं। 

लखनऊ पुलिस की साइबर सेल भी है मददगार

कैशलेस ट्रांजक्शन के बढ़े चलन के बाद साइबर अपराध भी काफी बढ़ा है। राजधानी में इसकी शिकायतों को दर्ज करने के लिए हजरतगंज में सेल स्थापित की गई है। इसमें रोजाना औसतन दस से अधिक शिकायतें दर्ज होती हैं। पुलिस ने इनमें से कई बड़ी घटनाओं का राजफाश भी किया है और उन लोगों की रकम की भी वापस दिलाई है, जिनके खातों से जालसाजों ने रुपए उड़ा दिए थे। हालांकि सेल में संसाधनों की कमी है। एक्सपर्ट कम हैं।

थोड़ा है, थोड़े की जरूरत है

राजधानी में करीब 45 लाख की आबादी है। यहां थानों की संख्या 43 और कुल पुलिस चौकियां 203 हैं। जनसंख्या के हिसाब से पुलिस बल कम है। मात्र पांच हजार पुलिस कर्मियों के भरोसे सुरक्षा व्यवस्था है। इसके कारण तमाम कठिनाईयां सामने आती हैं। किसी बड़े धरना-प्रदर्शन के वक्त पुलिस बल की कमी से परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। वीआइपी ड्यूटी में भी अक्सर पुलिस व्यस्त रहती है।  

ऐसे में जरूरी है कि छोटी-छोटी खामियों का निस्तारण कर राजधानी के लोगों को पूर्ण रूप से सुरक्षा का एहसास दिलाने की दिशा में जिम्मेदार लोग ठोस कदम उठाएं।


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