बुलंद हैं अपराधियों के हौंसले, पुलिस बल की कमी बरकरार
अपराधिक घटनाओं पर पुलिस बल की कमी का रोना रोकर अधिकारी विवेचनाओं का समय से निस्तारण नहीं करा पा रहे।
ज्ञान बिहारी मिश्र, लखनऊ: डायल 100 और 1090 जैसी हेल्पलाइन सुविधाओं ने राजधानी पुलिस की छवि सुधारी तो है, लेकिन नवाबों की नगरी में सुरक्षित माहौल का निर्माण करना अभी पुलिस के लिए चुनौती है। तमाम सख्ती के बावजूद यहां महिलाओं से लेकर बच्चों तक के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं नहीं रुक रहीं।
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राजभवन के सामने तक लूट और हत्या जैसी घटनाएं हो जा रही हैं। अपराधिक घटनाओं पर पुलिस बल की कमी का रोना रोकर अधिकारी विवेचनाओं का समय से निस्तारण नहीं करा पा रहे। एक केस की पड़ताल पूरी नहीं होती, तब तक दूसरा हो जाता है और फिर पुलिस पहले केस को छोड़कर दूसरे के निस्तारण में जुट जाती है। यही कारण है कि फरियादियों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है और अपराधियों के हौंसले बुलंद। जनता से संवाद में तल्खी रहने के आरोप अब भी पुलिस पर लग रहे हैं।
हाल के मामलों की बात करें तो संस्कृति हत्याकांड और वीमेन पॉवर लाइन चौराहे पर हुई बालक की हत्या ने पुलिस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। स्ट्रीट क्राइम और चोरी की घटनाएं भी जारी हैं। क्षेत्र में गस्त नहीं करने के कारण चोर हर रोज लोगों की गाढ़ी कमाई साफ कर दे रहे हैं। हालांकि इन घटनाओं में बहुत कुछ कमी जनता की जागरूकता व सहयोग से भी आ सकती है। बाजारों में व्यापारी व कॉलोनियों, मोहल्लों में वहां के लोग सीसीटीवी कैमरे लगवा लें, तो अपराधियों की धरपकड़ में आसानी होगी। क्योंकि पुलिस के पास कैमरे लगवाने के लिए बजट नहीं है। इसी तरह शासन व सरकार को भी पुलिस को जरूरी संसाधन मुहैया कराने होंगे। प्रमुख चौराहों पर सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था व पहले से लगे कैमरों की मरम्मत के लिए बजट की उपलब्धता सुनिश्चित करानी होगी।
साइबर अपराध पड़ रहा भारी
राजधानी में साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जालसाज तकरीबन हर रोज लोगों को निशाना बना रहे हैं। वहीं जानकारी के अभाव में साइबर अपराधियों से पुलिस निपट नहीं पा रही। बैंक, थाने और फिर साइबर सेल की दौड़ लगाने के बाद पीड़ित निराश होकर बैठ जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस को इससे निपटने के लिए विशेष तैयारी करनी होगी। कोशिश हो कि शहरी क्षेत्र के हर थाने पर एक दारोगा इसका विशेषज्ञ हो।
रोकने होंगे खाकी पर हमले
पुलिस अधिकारी अपराध नियंत्रण की तमाम बातें भले ही कर रहे हों, लेकिन खाकी पर हमले की घटनाएं भी कम नहीं हो रहीं। गोमतीनगर में चेकिंग के दौरान पुलिसकर्मियों पर गोली चलाने वाले बदमाश को पुलिस अभी पकड़ नहीं पाई थी कि कृष्णानगर में सिपाही को गोली मार दी गई। बीते महीने एक बदमाश तो मानकनगर में पैदल भीड़ में से दरोगा की पिस्टल लूट ले गया। हालांकि बाद में पिस्टल बरामद हो गई, लेकिन ये मामले पुलिस के कम होते खौफ के उदाहरण हैं।
छवि सुधार की दरकार
पुलिसकर्मियों की छवि सुधार को लेकर विभाग संवेदनशील है। इसके तहत तमाम कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। हालांकि पुलिसकर्मी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे, जिसके कारण महकमे को शर्मसार होना पड़ता है। रिश्वत लेने के आरोप में पीजीआइ थाने में तैनात सिपाही का निलंबन हो या फिर पीड़ित की सुनवाई नहीं करने पर राम राम बैंक चौकी पर तैनात पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया हो। एक फर्जी एनकाउंटर के मामले में तो एक दिन पहले ही एफआइआर के निर्देश दिए गए हैं। इन मामलों ने न केवल विभाग की छवि धूमिल की है, बल्कि पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए।
पुलिस के लिए सिरदर्द बने टप्पेबाज
राजधानी में खुद को पुलिसकर्मी बताकर लोगों को झांसे में लेने वाले टप्पेबाज पुलिस के लिए सिरदर्द बन गए हैं। बुजुर्ग महिलाओं व कार सवार लोगों को निशाना बनाने वाले टप्पेबाजों को पकड़ने में पुलिस नाकाम है। कार से मोबिल ऑयल गिरने का झांसा देकर गाड़ी से बैग व कीमती सामान लेकर भाग जाने वाले टप्पेबाजों का संगठित गिरोह सक्रिय है, लेकिन इनको पकड़ना पुलिस के चुनौती साबित हो रहा है।
इस ओर भी देना होगा ध्यान
- रात्रि गस्त पर पुलिस को विशेष ध्यान देना होगा, जिससे चोरी की घटनाओं पर लगाम लग सके।
- मुखबिर तंत्र को बढ़ावा देना होगा। सिर्फ सर्विलांस के भरोसे अपराध नियंत्रण करने की योजना बनाना नुकसानदेय हो सकता है।
- शिकायतों के निस्तारण को गंभीरता से लेना होगा। फरियादियों की सुनवाई अगर थाने स्तर से हो जाए तो लोगों का पुलिस पर विश्वास बढ़ेगा।
- तहरीर मिलने पर टरकाने के बजाय लोगों की एफआइआर दर्ज हो और उसकी निष्पक्ष विवेचना की जाए।
- पुलिसकर्मी फरियादियों से अच्छे से बर्ताव करें। पुलिस की त्वरित कार्रवाई से भविष्य में विवाद की संभावना कम होगी।
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