आइए लखनऊ की शान में जड़ें कुछ और सितारे
दैनिक जागरण का 'माय सिटी माय प्राइड’ अभियान भी कुछ इसी सोच के साथ चल रहा है। इसके जरिए हमने लोगों को एक मंच पर लाने की कोशिश की है।
लखनऊ: पिछले दो सौ साल से 'नवाबों का शहर’ मशहूर लखनऊ हाल में कई नए खिताबों से नवाजा गया है। सूबे का सियासी मरकज, खुशमिजाजों का शहर, रहने के लिहाज से पसंदीदा शहर ...। सफर यहीं थमा नहीं, अभी अपनी पहचान में कई और नगीने जडऩे की कोशिश में जूझता शहर भी है लखनऊ।
यह वह शहर है जिस पर हर किसी को नाज है। इसलिए जरूरत है कि अपने शहर पर हमारा यह अभिमान आगे भी बना रहे। हम सब मिलकर अपने शहर को संवारें और फख्र करें। दैनिक जागरण का 'माय सिटी माय प्राइड’ अभियान भी कुछ इसी सोच के साथ चल रहा है। इसके जरिए हमने लोगों को एक मंच पर लाने की कोशिश की है। आम जन, स्वयंसेवी संस्थाओं और शासन-प्रशासन को साथ लेकर न केवल शहर के विकास का खाका खींचा है, बल्कि इसमें आने वाली अड़चनों को भी चिन्हित किया है। लोगों ने शहर के लिए कुछ न कुछ करने का संकल्प भी लिया है। इस कड़ी में अगला महत्वपूर्ण पड़ाव सोमवार को 'माय सिटी माय प्राइड’ फोरम के रूप में होगा।
इस फोरम में शहरवासी शहर को संवारने के लक्ष्य तय करके उन्हें धरातल पर उतारने का बिगुल बजाएंगे। फोरम का आयोजन होटल इंडिया अवध में सुबह 11 बजे से किया जाएगा। इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री डा.दिनेश शर्मा मौजूद रहेंगे। साथ ही विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक व महापौर संयुक्ता भाटिया की मौजूदगी होगी। विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति व शहर के गणमान्यजन भी इस मौके के साक्षी होंगे। समाजसेवी और विभिन्न सामाजिक संगठनों व कंपनियों के प्रतिनिधि शहर को सिर्फ सरकार की योजनाओं के भरोसे छोड़ने के बजाय निजी स्तर पर योगदान कर नया स्वरूप देने पर मंथन करेंगे।
माय सिटी माय प्राइड महाअभियान की शुरुआत 'दैनिक जागरण’ ने दो जुलाई को की थी। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत सुविधाएं, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के मुद्दे को सबसे जरूरी मानते हुए शामिल किया। इन क्षेत्रों में काम करने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं के कामकाज को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। यानी, ऐसे कार्य जिन पर गर्व किया जा सके। इसके साथ ही प्रत्येक मुद्दे पर चर्चा के लिए राउंड टेबल कांफ्रेंस का आयोजन भी किया गया। कांफ्रेंस में विशेषज्ञों ने हर क्षेत्र की चुनौतियों की चर्चा की। उनका निदान भी तलाशा। तय किया गया कि किन समस्याओं का समाधान जन सहभागिता से हो सकता है। सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी) के तहत विभिन्न कंपनियों या संस्थाओं के सहयोग से हल हो सकने वाली समस्याएं भी चुनी गईं। साथ ही उन समस्याओं को भी चुना गया, जिनका निदान शासन, प्रशासन या सरकार के सहयोग से हो सकता है।
इस तरह पांच पिलर्स की आरटीसी (राउंड टेबल कांफ्रेंस) के बाद कुल 35 सुझाव-लक्ष्य मिले। हमने इन सुझावों पर चर्चा के लिए फिर कांफ्रेंस का आयोजन किया। साथ ही सीमित लक्ष्यों को चिन्हित करके उस पर बढऩे का निर्णय किया। इसी क्रम में सोमवार को 11 लक्ष्यों के समाधान का संकल्प लिया जाएगा। साथ ही शहर के विशिष्ट जन, अधिकारी व जन प्रतिनिधि अपने शहर को गौरवशाली बनाने के रास्तों पर चर्चा कर रास्ते सुझाएंगे।