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अखिलेश ने कराई थी जांच, मायावती को सरकारी खजाने में जमा करनी होगी हाथी की प्रतिमाओं की धनराशि

अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में मायावती सरकार के कार्यकाल में बने स्मारकों में घोटाले का अंदेशा होने पर जांच कराई गई थी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 12:49 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 01:03 PM (IST)
अखिलेश ने कराई थी जांच, मायावती को सरकारी खजाने में जमा करनी होगी हाथी की प्रतिमाओं की धनराशि
अखिलेश ने कराई थी जांच, मायावती को सरकारी खजाने में जमा करनी होगी हाथी की प्रतिमाओं की धनराशि

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को शिकस्त देने की खातिर गठबंधन करने वाली समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी के घोटाले का जिन्न बाहर आ रहा है। लखनऊ में अखिलेश यादव सरकार कार्यकाल के रिवर फ्रंट घोटाले की ईडी जांच के बाद अब मायावती के कार्यकाल के दौरान स्मारक घोटाले पर शीर्ष अदालत सख्त है। सुप्रीम कोर्ट ने मायावती के कार्यकाल में हाथी की मूर्तियों पर खर्च धनराशि सरकारी खजाने में जमा कराने का निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई अगस्त में होगी।

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अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में मायावती सरकार के कार्यकाल में बने स्मारकों में घोटाले का अंदेशा होने पर जांच कराई गई थी। इस जांच में सामने आया था कि लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बनाए गए पार्कों पर कुल 5,919 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन पार्क और मूर्तियों के रखरखाव के लिए 5,634 कर्मचारी बहाल किए गए थे। इसमें हाथी की मूर्तियों में बड़ी धनराशि खर्च करने का भी आरोप लगा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने मायावती की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाथी की मूर्तियों पर खर्च पैसे वापस खजाने में जमा कराने चाहिये। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मायावती के वकील राज्यसभा सदस्य सतीशचंद्र मिश्रा को कहा कि अपने क्लाईंट को बता दीजिए की उन्हें मूर्तियों पर खर्च पैसे को प्रदेश के सरकारी खजाने में वापस जमा कराना चाहिए।

चीफ जस्टिस ने साफ कहा कि हमारा प्रारंभिक विचार है कि मैडम मायावती को मूर्तियों का सारा पैसा अपनी जेब से सरकारी खजाने को भुगतान करना चाहिए। मायावती की ओर से सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि इस केस की सुनवाई मई के बाद हो, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कुछ और कहने के लिए मजबूर न करें। अब इस मामले में दो अप्रैल को सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई कर रहा है कि क्या मायावती और बसपा चुनाव चिन्ह की मूर्तिर्यों के निर्माण पर हुए खर्च को बसपा से वसूला जाए या नही। इसमें याचिकाकर्ता रविकांत ने मायावती और बसपा चुनाव चिन्ह की मूर्तिर्यों के निर्माण पर सरकारी खजाने खर्च करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि मूर्ति निर्माण पर हुए करोड़ों के खर्च को बसपा से वसूला जाए। याचिकाकर्ता रविकांत ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सरकारी धन को इस तरह नहीं खर्च किया जा सकता। सरकार की कार्रवाई अनुचित थी और इस पर सुनवाई होनी चाहिए। रविकांत ने वर्ष 2009 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर मूर्ति निर्माण पर हुए करोड़ों के खर्च को बसपा से वसूलने की मांग की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले भी 2015 में उत्तर प्रदेश की सरकार से पार्क और मूर्तियों पर खर्च हुए सरकारी पैसे की जानकारी मांगी थी। उत्तर प्रदेश में पूर्व की समाजवादी पार्टी सरकार इस मुद्दे पर बसपा को घेरते रहे हैं। 

मायावती के शासनकाल में प्रदेश में कई पार्क का निर्माण करवाया गया। इन सभी पार्क में बसपा संस्थापक कांशीराम, मायावती और हाथियों की मूर्तियां लगवाई गई थीं। यह मुद्दा इससे पहले भी चुनावों में उठता रहता है और विपक्षी इस मुद्दे पर निशाना साधते हैं। बसपा शासनकाल में पार्क लखनऊ, नोएडा समेत अन्य शहरों में बनवाए गए थे। 


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