राहुल को विदेशी खून बताने पर जयप्रकाश से छिनी बसपा उपाध्यक्ष की कुर्सी
मायावती ने कहा कि बसपा हमेशा से ही अनुशासित तथा अनुशासनप्रिय पार्टी रही है। हम किसी पर भी बेवजह टिप्पणी नहीं करते हैं।
लखनऊ (जेएनएन)।कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर विदेशी खून बताकर उनकी प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी पर सवाल उठाना करीब दो माह पूर्व नियुक्त बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह को महंगा पड़ा। मायावती ने जयप्रकाश के बयान से न केवल पल्ला झाड़ा बल्कि उनकी संगठन के अहम दायित्वों से छुट्टी कर दी। अपने पहले सम्मान समारोह में हीरो से जीरो हुए जयप्रकाश सिंह को उपाध्यक्ष पद से हटाने के साथ उनसे नेशनल कोआर्डिनेटर पद की जिम्मेदारी भी छीन ली गई।
मंगलवार को जारी बयान में मायावती ने कहा कि मुझे जय प्रकाश सिंह के भाषण के बारे में पता चला जिसमें उन्होंने बसपा की विचारधारा के खिलाफ बात की है। विरोधी पार्टियों के सर्वोच्च नेताओं पर व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी की जो बसपा की कल्चर के पूरी तरह खिलाफ है। इस किस्म की बातें उनकी व्यक्तिगत सोच की उपज है। इसलिए हाल में नए बने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह को इस पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। साथ ही राष्ट्रीय को-आर्डिनेटर के पद से मुक्त कर दिया है।
गठबंधन पर बयानबाजी न करें
बसपा प्रमुख ने कार्यकर्ताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि पार्टी की सभी छोटी-बड़ी बैठकों व सभाओं में केवल अपने मूवमेंट के बारे में ही चर्चाएं करें, दूसरे वर्गों के महापुरुषों को लेकर अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल न करें। उन्होंने कहा कि उप्र और अन्य राज्यों में जब तक चुनावी गठबंधन की घोषणा न हो तब तक इस बारे में बयानबाजी नहीं की जाएं। गठबंधन जैसी चिंता पार्टी हाईकमान पर छोड़ देनी चाहिए। किसी राष्ट्रीय नेता के व्यक्तिगत मामलों पर टीका टिप्पणी न करें। उन्होंने अपने पार्टी पदाधिकारियों को सलाह दी कि गंभीर मसलों पर मीडिया में अपनी बातों को लिखकर ही प्रस्तुत करना चाहिए।
जयप्रकाश ने जो कहा था
लखनऊ में सोमवार को जोनल कार्यकर्ता सम्मेलन में जयप्रकाश का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने पर अभिनंदन भी किया गया था। जयप्रकाश ने कहा कि राहुल अगर अपने बाप पर चले जाते तो राजनीति में सफल हो सकते थे। राहुल अपनी मां पर गया, उसका खून विदेशी है। भारत की राजनीति में वो कभी सफल नहीं होगा। राजा अब रानी से पैदा नहीं होगा। अगला नेता पेट से नहीं पेटी (बैलट बॉक्स) से पैदा होगा।
जयप्रकाश ने कहा था कि अब गांधी की टोपी में वोट नहीं बचा, वोट आंबेडकर के कोट में भरा पड़ा है। वेद, मनुस्मृति, गीता, रामायण सारे के सारे खोखले पड़ गए। एक पड़ले पर सारे ग्रंथ रख दीजिए और दूसरे पर संविधान तो संविधान ही सब पर भारी है। जयप्रकाश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी टिप्पणी करते हुए कहा था कि मंदिर में शक्ति होती तो योगी गोरखपुर का मंदिर छोड़कर मुख्यमंत्री न बनते। उन्होंने स्वामी चिन्मयानंद और उमा भारती का भी उदाहरण देते हुए कहा कि इन सभी धार्मिक लोगों ने अपना मठ छोड़कर आप लोगों को मंदिर की घंटी बजाने में लगा दिया।
कौन है जयप्रकाश सिंह
बसपा की स्थापना के एक वर्ष बाद 1985 में जिला गौतमबुद्धनगर में जन्मे जयप्रकाश सिंह के पिता अध्यापक और भाई सरकारी वकील है। एलएलएम की डिग्री धारक जयप्रकाश ने वर्ष 2009 में घर परिवार छोड़कर खुद को बहुजन आंदोलन में समर्पित कर दिया था और दिल्ली में कमरा लेकर रहने लगे। मायावती के भाई व पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद कुमार के करीबी रहे जयप्रकाश गत 26 मई को उस वक्त सुर्खियों में आए जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मायावती ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के साथ नेशनल कोआर्डिनेटर पद की जिम्मेदारी भी दी थी।