सरकार ने मांगे मानी, खत्म हुआ मौलाना कल्बे जवाद का धरना, शारीरिक दूरी के साथ करेंगे अजादारी
लखनऊ के इमामबाड़ा गुफरामाब के सामने मौलाना कल्बे जवाद ने मुहर्रम की पाबंदियों के खिलाफ धरना शुरू किया था। पांच के बजाय 30 लोगों की मौजूदगी में होगी मजलिस।
लखनऊ, जेएनएन। मुहर्रम में घर पर ताजिया रखकर अजादारी करने और मजलिस मेें पांच के बजाय 30 लोगों की शिरकत करने की शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद नकवी की मांग को प्रदेश सरकार ने मान लिया। इसकी जानकारी के बादमौलाना देर रात धरना समाप्त कर दिया। मौलाना के प्रतिनिधि शमील शम्शी ने बाताया कि सरकार ने राजधानी समेत पूरे प्रदेश में अजादारी करने की पाबंदी को हटा दिया है। घर में ताजिया रखने पर हुई एफआइआर को भी वापस करने का आश्वासन दिया है। 30 लोग मजलिस मेें मौजूद रहेंगे। परेशानी होने पर जिले के पुलिस विभाग के मुखिया से शिकायत कर सकते हैं। निगरानी के लिए सचिव गृह को नियुक्त किया है।
गौरतलब है कि मुहर्रम पर मजलिस की इजाजत देने की मांग को लेकर शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद नकवी शनिवार को इमामबाड़ा गुफरामाब के सामने अचानक धरने पर बैठ गए। उनका आरोप था कि पुलिस कमिश्नर सुजीत कुमार से वार्ता में 50 लोगों के साथ मजलिस की इजाजत देने की मांग की थी। बावजूद इसके पांच लोगों के साथ मजलिस की इजाजद देकर समुदाय के साथ अन्याय किया है। माैलाना ने कहा कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर इजाजत मांगी गई, लेेकिन नहीं सुनी गई। यही नहीं उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन घरों में ताजिया तक रखने नहीं दे रहा है, जबकि घरों में श्री गणेश जी की प्रतिमाएं रखी जा रही है जिसका वीडियो भी मेरे पास है। गम का महीना मुहर्रम है, इसके बावजूद प्रशासन का यह रवैया अनुचित है। मौलाना ने आरोप लगाया कि होटल में जब 50 लोगों को बैठने की इजाजत दी जाती है तो मजलिस में क्यों नहीं। जब तक 50 लोगों को मजलिस में शामिल होने और घरों में ताजिया रखने की इजाजत नहीं मिलेगी तब तक धरना जारी रहेगा। राजधानी समेत प्रदेश के सभी जिलों में इमामबाड़ों के अंदर शारीरिक दूरी बनाकर धरना दिया जाएगा। सभी उलमा एक साथ शारीरिक दूरी बनाकर धरना देंगे।
मजलिस सुन नम हो उठीं आंखें
घरों में कर्बला के 72 शहीदो की याद में मजलिस और मातम का सिलसिला दूसरे दिन भी जारी रहा। पुराने शहर में या हुसैन-या हुसैन की सदाएं फिजा में गूंजती रहीं। महिलाओं ने भी अपने घरों में नौहाख्वानी व मातम किया। यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा। मरकजी मजलिसों में कोरोना वायरस और सरकार द्वारा जारी गाइडलान पर अमल करते हुए पांच लोगों में ही मजलिसे आयोजित की गई। मौलानाओं ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलम की शहादत पर रोना अफजल अमल है। घर बैठे मजलिस सुनकर अजादारों की आंखें नम हो गईं। मदरसा-ए-नाजमिया विक्टोरिया स्ट्रीट, शिया पीजी काॅलेज विक्टोरिया स्ट्रीट के अलावा इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने ईदगाह से ऑनलाइन खिताब कर मुहर्रम को खुदा पाक का महीना बताया।