दुनिया में नेमतें लेकर आए थे पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब: मौलाना कल्बे जवाद
Muharram 2020 पांचवीं मुहर्रम पर मौलानाओं ने किया मजलिस को खिताब।
लखनऊ, जेएनएन। Muharram 2020: पांचवीं मुहर्रम पर मंगलवार को शारीरिक दूरी के साथ इमामबाड़ों में मजलिसों के खिताब का सिलसिला चलता रहा। पांच लोगों के बीच मौलाना ने अशरे की पांचवी मजलिस को खिताब किया। मौलाना ने हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के छह माह के मासूम हजरत अली असगर की दर्दनाक शहादत बयां की।
मदरसा-ए-नाजमिया विक्टोरिया स्ट्रीट में ऑनलाइन मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना हमीदुल हसन ने कहा कि हजरत रसूले खुदा (स.) ने हजरत अली (अ.स.), जनाबे फातिमा (स.अ.), इमाम हसन (अ.स.) और इमाम हुसैन (अ.स.) के लिए फरमाया कि यह हमसे है और मैं इनसे हूं। हजरत रसूले खुदा (स.) ने फरमाया कि मेरा दीन, मेरी शरियत और इस्लाम इनके जरिए से बाकी रहेगा। एलान-ए- रसूल है कि इनके जरिए इस्लाम को समझ लो। मौलाना ने जब मदीना छोड़ने से पहले हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) और जनाबे उम्मे सलमा की गुफ्तगू बयान की तो अजादार रोने लगे।
इमामबाड़ा गुफरामाआब चौक में मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि जब पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब लोगों के बीच आए तो यह नहीं कहा कि मैं नबी हूं। उन्होंने कहा कि हम तुम्हारे बीच दुनिया और आखिरत की नेमतें लेकर आया हूं। कौन है जो मेरी मदद करे। तो हजरत अली अलैहिस्सलाम खड़े हुए और कहा कि मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के अलावा को माबूद नहीं है और आप अल्लाह के रसूल हैं। इमामबाड़ा आगा बाकिर चौक में अशरे की पांचवी मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना मीसम जैदी ने कहा कि अल्लाह ने कुरान को मासूम के वसीले से उतारा और उसकी हिफाजत भी मासूम के हवाले की है। यजीद का हमला हो रहा था कुरान पर हुसैन ने अंसार की कुर्बानी पेश कर दी। वही ऐशबाग ईदगाह में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली और पाटानाला मस्जिद सुबहानिया में कारी मुहम्मद सिद्दीक साहब ने जलसे को खिताब किया।
अजादारों ने पहनी मन्नत
हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के बीमार बेटे और शियों के चौथे इमाम हजरत जैनुल आबदीन अलैहिस्सलाम की याद में मंगलवार को अजादारों ने मन्नत पहनी। हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) की शहादत के बाद उनके बीमार बेटे इमाम हजरत जैनुल आब्दीन (अ.स.) को कैदी बनाकर कूफे और शाम के बाजारों में घुमाया गया था। इन्हीं की याद में लोग मन्नत पहनते हैं। मगरिब की नमाज के बाद अजाखानों के सामने घर के बुजुर्गो ने हथकड़ी, बेड़ी, चांद, छल्ले, पंजे और अली बंद सहित इलायची दानों पर नज्र दी, फिर अपने मन्नती बच्चों को नज्र चखा कर मन्नत पहनार्इं। महिलाओं और छोटी बच्चियों ने हथकड़ी और अली बंद पहना। बच्चों और पुरूषों ने हथकड़ी और बेड़ी पहनी।