कृषि कानूनों की वापसी को मौलाना अरशद मदनी ने बताया किसानों की जीत, इसी तरह सीएए भी हो समाप्त
जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कृषि कानूनों की वापसी को किसानों के धैर्य और शांतिपूर्ण आंदोलन की जीत बताते हुए सरकार से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को भी वापस लेने की मांग की है।
लखनऊ, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों वापस लेने का ऐलान किया है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कृषि कानूनों की वापसी को किसानों के धैर्य और शांतिपूर्ण आंदोलन की जीत बताते हुए सरकार से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को भी वापस लेने की मांग की है। मौलाना ने बयान जारी कर कहा कि कृषि कानून वापसी के फैसले ने यह साबित कर दिया है कि लोकतंत्र और लोगों की शक्ति सर्वोपरि है। मौलाना मदनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि देश की संरचना लोकतांत्रिक है और वह इस पर विश्वास रखते हैं। अब पीएम को कृषि कानूनों की तरह सीएए को भी वापस लेना चाहिए।
सहारनपुर स्थित देवबंद में जारी बयान में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि कृषि कानून वापसी के फैसले ने यह साबित कर दिया है कि लोकतंत्र और लोगों की शक्ति सर्वोपरि है। जो लोग सोचते हैं कि सरकार और संसद अधिक शक्तिशाली हैं, वह बिल्कुल गलत हैं। जनता ने एक बार फिर किसानों के रूप में अपनी ताकत का परिचय दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस आंदोलन की सफलता यह भी सीख देती है कि किसी भी जन आंदोलन को जबरदस्ती कुचला नहीं जा सकता है।
मौलाना सय्यद अरशद मदनीने कहा कि ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव नजदीक होने के कारण कृषि कानून निरस्त किए गए हैं। हमें लगता है कि सीएए-एनआरसी राष्ट्रीयता से संबंधित है और इसका खामियाजा मुसलमानों को भुगतना पड़ेगा। जनता की ताकत सबसे मजबूत, इसलिए यह सीएए भी निरस्त हो। उन्होंने कहा कि हमारे किसान भाई इसके लिए बधाई के पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने इसके लिए महान बलिदान दिया है।
मौलाना मदनी ने कहा कि एक बार फिर सच्चाई सामने आ गई है कि अगर किसी जायज मकसद के लिए ईमानदारी और धैर्य के साथ आंदोलन चलाया जाए तो एक दिन भी बिना सफलता के नहीं जाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस सच्चाई से भी इन्कार नहीं किया सकता है की किसानों के लिए इतना मजबूत आंदोलन चलाने का रास्ता सीएए के खिलाफ आंदोलन में मिला। महिलाएं और बच्चे दिन-रात सड़कों पर बैठी रहीं, आंदोलन में शामिल होने वालों पर जुल्म के पहाड़ टूट पड़े। गंभीर मुकदमे किए गए, लेकिन आंदोलन को कुचला नहीं जा सका।
मौलाना मदनी ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमारे देश का संविधान लोकतांत्रिक है, इसलिए यह अपनी जगह पर सही है, इसलिए अब प्रधानमंत्री को मुसलमानों के संबंध में लाए गए कानूनों पर भी ध्यान देना चाहिए और कृषि कानूनों की तरह सीएए कानून को भी वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हालांकि आंदोलन में शामिल लोग कोरोना के कारण अपने घरों को लौट आए थे, फिर भी वे विरोध कर रहे थे।