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मथुरा की 100 निजी आइटीआइ की खत्म हो सकती है मान्यता, फर्जीवाड़े की मिली थी शिकायतें

मथुरा के 100 निजी आइटीआइ संस्थानों की मान्यता खत्म की जा सकती है। समाज कल्याण विभाग की जांच के बाद एनसीवीटी भी हुआ सख्त मथुरा के विधायक पूरन प्रकाश ने विधानसभा में उठाया था मुद्दा। फर्जी आइटीआइ बनाकर छात्रों के शुल्क प्रतिपूर्ति व छात्रवृत्ति पैसे हड़पने का आरोप।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 10:31 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 07:05 AM (IST)
मथुरा की 100 निजी आइटीआइ की खत्म हो सकती है मान्यता, फर्जीवाड़े की मिली थी शिकायतें
मथुरा के 100 निजी आइटीआइ की मान्यता खत्म की जा सकती है, समाज कल्याण की जांच में मिली अनियमितता।

लखनऊ, जेएनएन। मथुरा की 100 निजी आइटीआइ की मान्यता खत्म हो सकती है। समाज कल्याण विभाग की जांच में मथुरा के ज्यादातर निजी आइटीआइ में अनियमितता मिली थीं। इसी के बाद प्रदेश सरकार ने नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग (एनसीवीटी) से इनकी शिकायत की थी। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि इन संस्थानों ने छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए जितनी सीटें एनसीवीटी से स्वीकृत थीं उससे कहीं ज्यादा दाखिले लिए। इसी के बाद एनसीवीटी ने 100 आइटीआइ की मान्यता खत्म करने के लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया है। समाज कल्याण विभाग को ऐसी शिकायतें मिली थीं कि मथुरा में फर्जी आइटीआइ बनाकर छात्र-छात्राओं की शुल्क प्रतिपूर्ति व छात्रवृत्ति के करोड़ों रुपये डकारे जा रहे हैं।

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मथुरा की बलदेव विधानसभा सीट से विधायक पूरन प्रकाश ने भी विधानसभा में इस बारे में प्रश्न पूछा था। उन्होंने विभाग को बताया कि यहां पर आइटीआइ की मान्यता कम सीटों की है जबकि दाखिला अधिक दिखाकर समाज कल्याण विभाग का पैसा हड़पा जा रहा है। साथ ही कई ऐसे आइटीआइ हैं जो मौके पर हैं ही नहीं और शुल्क प्रतिपूर्ति व छात्रवृत्ति ले रहे हैं। ऐसी ही शिकायतें सहारनपुर जिले से भी मिली थीं। सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मथुरा व सहानपुर के जिलों में स्थित आइटीआइ की शुल्क प्रतिपूर्ति व छात्रवृत्ति देने पर रोक लगा दी थी। सरकार ने इस मामले की जांच के लिए दो अलग-अलग समिति बनाई थीं। समिति ने इस साल मार्च में मथुरा में इन आइटीआइ की जांच की। ज्यादातर आइटीआइ में ताला लगा मिला था। इसके बाद समिति ने एनसीवीटी से इन आइटीआइ की स्वीकृत सीटों की संख्या की जानकारी मांगी। साथ ही यहां स्थित 188 आइटीआइ को नोटिस भेजकर उनके यहां के छात्र-छात्राओें का पिछले चार वर्षों का ब्यौरा मांगा है। यह ब्यौरा केवल एक कॉलेज ने ही मुहैया कराया। एनसीवीटी ने जब पड़ताल की तो पता चला कि इन आइटीआइ ने स्वीकृत सीटों से कहीं अधिक दाखिला लिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि भले ही फाइलों में इनकी स्वीकृत सीटें कम हैं लेकिन एनसीवीटी की वेबसाइट में स्वीकृत सीटों से अधिक सीटें दर्ज हैं। इस मामले में कुछ अधिकारियों की भी मिली भगत की आशंका जताई जा रही है।

घोटाले की रकम का पता लगा रही समिति

उप निदेशक जे राम की अध्यक्षता में गठित समिति में सहायक निदेशक सिद्धार्थ मिश्र शामिल हैं। समिति यह पता लगाने में जुटी है कि इन आइटीआइ ने कितने रुपये की छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का घोटाला किया है। जांच रिपोर्ट फाइनल होने के बाद इनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कर घोटाले की रकम वसूली जाएगी।


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