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सोनभद्र नरसंहार : टकराव की आशंका के बाद भी आंखें मूंदे रहे पुलिस और प्रशासन के अफसर

सोनभद्र में नरसंहार के बाद रिपोर्ट में सामने आया है कि वर्षों पुराने जमीनी विवाद को लेकर टकराव की आशंका लंबे समय से जताई जा रही थी इसके बावजूद अफसरों ने कुछ नहीं किया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 09:50 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 09:50 PM (IST)
सोनभद्र नरसंहार : टकराव की आशंका के बाद भी आंखें मूंदे रहे पुलिस और प्रशासन के अफसर
सोनभद्र नरसंहार : टकराव की आशंका के बाद भी आंखें मूंदे रहे पुलिस और प्रशासन के अफसर

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। कानून व्यवस्था के नाम पर प्रदेशभर में सरकार की किरकिरी करा रहे पुलिस और प्रशासन का अब शर्मसार कर देने वाला चेहरा सामने आया है। लापरवाही की हद है कि सोनभद्र में वर्षों पुराने जमीनी विवाद को लेकर टकराव की आशंका लंबे समय से जताई जा रही थी। इसके बावजूद अधिकारियों ने मामला निपटाने का कोई प्रयास नहीं किया। यहां तक कि मौके पर गए तक नहीं। जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे रहे और वहां नरसंहार हो गया। यह विपक्ष का कोई आरोप नहीं, बल्कि शासन द्वारा ही गठित उच्चस्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट है।

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सोनभद्र नरसंहार के लिए सरकार कांग्रेस का गिरेबां पकड़ने का प्रयास कर रही है। इसी बीच मीरजापुर के मंडलायुक्त व वाराणसी जोन के एडीजी की जांच रिपोर्ट ने योगी सरकार के अफसरों को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। रिपोर्ट में सामने आया है कि 12 अप्रैल को 145 सीआरपीसी के तहत भेजी गई रिपोर्ट पर उप जिलाधिकारी घोरावाल ने तीन माह तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की। सबसे गंभीर तथ्य यह है कि दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से टकराव की आशंका थी, लेकिन स्थानीय पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने समाधान निकालने का कोई प्रयास नहीं किया। उप जिलाधिकारी, सीओ व इंस्पेक्टर ने मौके पर जाकर विवाद का हल निकालने और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम ही नहीं उठाया।

जांच समिति ने दस्तावेजों पर भी उठाए सवाल

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 17 दिसंबर, 1955 को दिए गए तहसीलदार के आदेश पर ग्राम पंचायत की जमीन आदर्श कोआपरेटिव सोसाइटी, उम्भा सपही के नाम दर्ज हुई थी। तहसीलदार के इस आदेश को पूरी तरह से संदिग्ध बताते हुए छह सितंबर, 1989 को दिए गए परगनाधिकारी, राबर्ट्सगंज के आदेश तथा 27 फरवरी 2019 को सहायक अभिलेख अधिकारी द्वारा दिए गए नामांतरण आदेश की भी जांच कराने की सिफारिश की गई है।

दोनों उपमुख्यमंत्री भी आए सामने

सोनभद्र नरसंहार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले सदन और फिर मीडिया के सामने अब तक की गई कार्रवाई का ब्योरा देने के साथ ही पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया। मुख्यमंत्री के बाद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या व डॉ. दिनेश शर्मा भी आगे आए और सोनभद्र में जमीन विवाद व नरसंहार के लिए कांग्रेस सरकार को दोषी ठहराया। डॉ. शर्मा ने कहा कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा का बिना प्रशासन की अनुमति के सोनभद्र जाने का प्रयास करना और धरने पर बैठना ओछी राजनीति है।

एडीजी करेंगे पुलिस भूमिका की जांच

उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा है कि सोनभद्र नरसंहार में एडीजी वाराणसी जोन को पुलिसकर्मियों की भूमिका की विस्तार से जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है। एडीजी पता लगाएंगे कि पुलिस की लापरवाही कहां-कहां और किस स्तर पर रही।


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