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कोरोना से बचाव के लिए जरूरी मास्क व शारीरिक दूरी का चुनावी रैलियों में नहीं हो रहा पालन

कोरोना को लेकर अब भय कम होता जा रहा है। लोग मास्क व शारीरिक दूरी जैसी अनिवार्य शर्तों का अनुपालन करते नहीं दिख रहे हैं। चुनावी रैलियों और प्रचार-प्रसार में भी शारीरिक दूरी व मास्क से बचाव की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 12:53 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 12:53 PM (IST)
कोरोना से बचाव के लिए जरूरी मास्क व शारीरिक दूरी का चुनावी रैलियों में नहीं हो रहा पालन
चुनावी रैलियों में कोरोना से बचाव के नियमों का पालन नहीं दिख रहा है। (फाइल फोटो)

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। बीते कुछ महीनों में हमने जिस धैर्य के साथ कोरोना से जंग लड़ी है उसका नतीजा यह है कि अक्टूबर में संक्रमण की दर में काफी कमी आई। लेकिन विडंबना यह है कि कोरोना को लेकर अब लोगों में भय कम होता जा रहा है। उत्सवों के साथ चुनाव का माहौल है और लोग मास्क व शारीरिक दूरी जैसी अनिवार्य शर्तों का अनुपालन करते नहीं दिख रहे हैं। चुनावी रैलियों और प्रचार-प्रसार में भी शारीरिक दूरी व मास्क जो कोरोना महामारी से बचाव के सबसे बड़े हथियार हैं उनकी धज्जियां उड़ती दिखाई दे रही हैं। 

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यह स्थितियां बेहद डराने वाली हैं। कारण यह है कि अब तक हमने जिस अनुशासन का पालन करते हुए कोरोना

महामारी पर काफी हद तक नियंत्रण किया था, वह खत्म होता दिखाई दे रहा है। भय इस बात का है कि कोरोना पर काबू पाने के लिए अब तक के प्रयास कहीं विफल साबित ना हो जाए। यदि ऐसा हुआ तो देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर को आने से रोकना मुश्किल होगा और कहीं ऐसा हुआ तो स्थितियां बेहद गंभीर साबित  हो सकती हैं। यही वजह है कि चंद रोज पूर्व स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित कर यह अपील की है कि कोरोना से लड़ाई अभी जारी है जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती हम ढिलाई नहीं बरत सकते। 

उन्होंने लोगों से शारीरिक दूरी के साथ अनिवार्य रूप से मास्क पहनने की अपील की है। देखा गया है कि दुनिया भर में जहां भी कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ी है उसके बाद नई लहर सामने आई है। यह पहले से कहीं ज्यादा गंभीर साबित हो रही है। तमाम देश जो महामारी पर काफी हद तक काबू पा चुके थे अब नए सिरे से जंग लड़ रहे हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि संक्रमण से बचाव के लिए बीते 6-7 महीनों से हम जो सावधानियां बरत रहे

हैं उनको सख्ती के साथ जारी रखें। देखने में आया है कि कुछ लोगों ने यह लगभग मान लिया है कि हम कोरोना को हरा चुके हैं। यह समझना नितांत हमारी भूल होगी। 

हमें अपने आसपास मौजूद ऐसे लोगों को जागरूक करने की भी जरूरत है। त्योहारों का सीजन है। हमें एक दूसरे को नमस्ते करके अभिवादन करना होगा। गलती से भी गले लगना या हाथ मिलाने जैसा काम नहीं कर सकते।  ऐसा करने से हम ना केवल स्वयं को बल्कि अपनों को भी खतरे में डालेंगे। शारीरिक दूरी का शत प्रतिशत पालन करें। भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचे और भीड़ न जुटाएं।

विशेष रुप से बंद स्थानों पर जहां स्वच्छ हवा के आने जाने का रास्ता ना हो, वहां एकत्र होने से परहेज करें। यदि हमने शारीरिक दूरी का कड़ाई से पालन नहीं किया तो संक्रमण का नए सिरे से बढ़ना तय है। ऐसे में यदि दूसरी लहर आई तो हालात बेहद गंभीर होंगे। यही वजह है कि प्रधानमंत्री ने स्वयं लोगों को संबोधित कर यह स्मरण कराया है कि मास्क, शारीरिक दूरी में किसी तरीके की लापरवाही ना बरतें। राजनेताओं को भी चाहिए कि वह आम जनता को कतई इस बात का मौका ना दें जिससे यह प्रतीत हो कि शारीरिक दूरी व मास्क के कोई मायने नहीं रह गए हैं। वह लोगों के लिए रोल मॉडल होते हैं। ऐसे में उनके द्वारा की गई लापरवाही  गलत संदेश दे सकती है।

खासतौर पर जहां चुनाव होने हैं वहां पर सावधानी की सख्त जरूरत है। हमने एक लंबी लड़ाई महामारी के विरुद्ध लड़ी है और काफी हद तक सफल भी रहे हैं। अब बस कुछ समय धैर्य रखने की और जरूरत है। कोशिशें जारी हैं और उम्मीद है कि वर्ष के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में महामारी के विरुद्ध वैक्सीन आ जाएगी। इसलिए फिलहाल स्वत: अनुशासन रखें तो हम इस महामारी के विरुद्ध अंतिम दौर की लड़ाई को लड़ने में अवश्य कामयाब होंगे। 


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