आर्थिक तंगी के चलते IIT BHU में दाखिला न ले पाने वाली दलित छात्रा की मदद के लिए बढ़े हाथ
छात्रा की मदद के लिए आइआइटी के कई पूर्व छात्र व अधिवक्तागण सामने आए हैं। वहीं मुंबई में वाडिया चिल्ड्रेन हास्पिटल में कार्यरत डा सोनल चौहान ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि वे छात्रा की पढ़ाई का पूरा खर्च वहन करना चाहती हैं।
लखनऊ, जेएनएन। जेईई एडवांस में सफल होने के बाद आर्थिक तंगी के चलते आइआइटी बीएचयू में दाखिला न ले पाने वाली दलित छात्रा संस्कृति रंजन की मदद के लिए कई लोग आगे आए हैं। इन्हीं में मुंबई की डाक्टर सोनल चौहान ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में अर्जी देकर संस्कृति की पढ़ाई का पूरा जिम्मा लेने की मंशा प्रकट की है, जिस पर कोर्ट ने प्रसन्नता जताई है। यह सुनकर कोर्ट में मौजूद छात्रा भावुक हो गई।
बीएचयू की ओर से छात्रा की पढ़ाई में लगने वाले खर्च का ब्योरा पेश करने के लिए समय मांगा गया है। वहीं, पीठ ने केंद्र व राज्य सरकार से पूछा है कि क्या ऐसी कोई स्कीम है जिससे जेईई, नीट या क्लैट जैसी प्रतिष्ठापूर्ण परीक्षा में सफल होने के बाद भी गरीबी के चलते फीस ने जमा कर पाने वाले छात्रों की मदद की जा सके। अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।
छात्रा संस्कृति रंजन ने जेईई एडवांस में 1469वीं रैंक हासिल की लेकिन पिता की बीमारी व आर्थिक स्थिति के चलते वह फीस न होने के कारण वह तय समय पर आइआइटी बीएचयू में दाखिला नहीं ले सकी। उसने फीस जमा करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। 29 नवंबर को सुनवाई पर छात्रा स्वयं बहस के लिए पहुंची थी। जिसके बाद जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने छात्रा के शैक्षिक रिकार्ड को देखते हुए आइआइटी बीएचयू को छात्रा को तीन दिन में दाखिला देने का आदेश दिया साथ ही स्वयं 15 हजार रुपये की मदद भी की थी।
सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट को बीएचयू की ओर से बताया गया कि छात्रा को दाखिला दे दिया गया है। वहीं, कोर्ट के कहने पर छात्रा की मदद को आगे आए अधिवक्ता सर्वेश दुबे व समता राव ने बताया कि छात्रा की मदद के लिए आइआइटी के कई पूर्व छात्र व अधिवक्तागण सामने आए हैं। वहीं, मुंबई में वाडिया चिल्ड्रेन हास्पिटल में कार्यरत डा सोनल चौहान ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि वे छात्रा की पढ़ाई का पूरा खर्च वहन करना चाहती हैं। जिसे सुनकर कोर्ट में मौजूद छात्रा भावुक हो उठी।