राशन घोटाला : हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब बढ़ेगी अफसरों की परेशानी
विभागीय जांच रिपोर्ट पर खुद डीएम ने उठाए थे सवाल। लखनऊ में एक भी निरीक्षक और अधिकारी के खिलाफ मुकदमा नहीं। राशन का वितरण कराने वाली संस्था की भी जवाबदेही तय नहीं।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। राशन घोटाले में हाई कोर्ट के अफसरों की भूमिका की जांच करने के आदेश से कई अधिकारियों की गर्दन फंसती दिख रही है। जिस तरह लंबे समय से गरीबों का राशन लूटा जा रहा है, उसमें कई अधिकारियों की भूमिका पहले से ही संदेह के घेरे में है। जांच पर खुद डीएम लखनऊ ने सवाल उठाये थे। डीएम का भी कहना था कि अफसरों की जवाबदेही क्यों नहीं तय की गई।
सोमवार को हाई कोर्ट ने राशन घोटाले की जांच में अफसरों की भूमिका तय करने को कहा है। राजधानी में 54 दुकानों में गड़बड़ी पकड़ी गई थी। सभी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करते हुए दुकानों को निलंबित कर दिया गया है। जिलापूर्ति विभाग की ओर से जो रिपोर्ट दर्ज कराई है उस लेकर कई सवाल थे। कोटेदारों के नाम तो दर्ज थे, लेकिन पूर्ति निरीक्षक और कंपनी के अधिकारियों के नाम गायब थे। इस बाबत डीएम कौशल राज शर्मा ने भी सवाल उठाये थे। डीएम ने विभाग को पत्र लिखकर उन अधिकारियों की भूमिका की जांच कराने की बात कही थी।
शिकायतों से अनजान बने रहे अफसर
राशन घोटाला लंबे समय से चल रहा था, लेकिन अधिकारी अनजान बने रहे। ई पोस मशीनों का संचालन करने वाली संस्था के खिलाफ कई बार शिकायतें आई, लेकिन अधिकारियों ने अनसुना कर दिया। राशन वितरण की समस्या लंबे समय से बरकरार है।
कोटेदार, ठेकेदार और अफसर का गठजोड़
राशन की उठान से लेकर वितरण तक में ठेकेदार, कोटेदार और अफसरों का गठजोड़ है जो पूरे घोटाले का सूत्रधार है। चंद ठेकेदारों के हाथों पूरा विभाग कठपुतली बना है। उठान से लेकर राशन दुकानों और गोदाम में इनका ही राज है। राजधानी में कई बार राशन की कालाबाजारी पकड़ी गई, लेकिन हर बार दबाव में मामला दबा दिया गया। तीन महीने पहले मोहनलालगंज में तीन सौ बोरी सरकारी राशन मिला, लेकिन गोदाम प्रभारी सत्यप्रकाश श्रीवास्तव और ठेकेदार के खिलाफ रिपोर्ट के अलावा कुछ नहीं हुआ। इससे पूर्व भी मोहनलालगंज में एसडीएम ने राशन पकड़ा था, जिसमें आरोपियों को क्लीन चिट दे दी गई। इसके अलावा काकोरी में भी कई बार अनाज बरामद हो चुका है।