महीनों से पेंशन के लिए दौड़ा रहे थे अधिकारी, वृद्ध ने दे दी जान
काकोरी के गोहरामऊ स्थित बाग में फंदे पर लटका मिला सेवानिवृत्त कर्मी का शव। शिक्षा विभाग के अफसरों पर प्रताड़ना का लगाया आरोप।
लखनऊ[जेएनएन]। राजधानी में शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त एक चतुर्थश्रेणी कर्मचारी ने फासी लगा ली। शुक्रवार सुबह आम के बाग में दुपट्टे के सहारे पेड़ से उसका शव लटका मिला। वहीं, परिवारीजनों ने विभाग के अधिकारियों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि डेढ़ साल पहले राम भरोसे सेवानिवृत्त हुए थे। उसके बाद से वह पेंशन और फंड के लिए लगातार बीएसए ऑफिस के चक्कर काट रहे थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इससे परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली।
मामला काकोरी के गोहरामऊ गाव का है। यहां स्थित संतराम के आम के बाग में वृद्ध रामभरोसे यादव (62) का शव पेड़ से दुपट्टे के सहारे लटका देख मौके पर लोगों की भीड़ जुट गई। पुलिस ने शव को फंदे से उतार कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। मृतक के भाई प्रेम चंद्र यादव और बेटे गौरव ने बताया कि रामभरोसे 28 फरवरी 2017 को गोहरामऊ स्थित आदर्श जूनियर हाई स्कूल से सेवानिवृत्त हुए थे। अभी तक न तो उनकी पेंशन बनी थी और न ही फंड मिला था। इससे वह लगातार बीएसए और एबीएसए आफिस से लेकर निदेशालय तक के चक्कर काट रहे थे। किसी भी अधिकारी ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की। उन्हें सिर्फ आश्वासन मिल रहा था। प्रेम चंद्र यादव ने बताया कि पेंशन और फंड न मिलने के कारण भाई काफी परेशान था। उसकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई थी। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और प्रताड़ना से त्रस्त होकर भाई ने आखिरकार जान दे दी। क्या कहना है पुलिस का?
इंस्पेक्टर संजय पाडेय ने बताया कि राम भरोसे कई महीनों से डिप्रेशन में चल रहा था, जिसके कारण उसने आत्महत्या कर ली। उनकी पेंशन और फंड के लिए विभागीय प्रक्रिया चल रहा थी। मृतक के परिवारीजनों तहरीर के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
दो दिन पहले था बेटे का विवाह कई लाख का हो गया था कर्ज
मृतक के बेटे गौरव ने बताया कि मंगलवार को उसके बड़े भाई शुभम का विवाह था। बुधवार को बारात लौटी थी। घर में हंसी खुशी का माहौल था। पर पिता शात और परेशान थे। जैसे उन्हें कोई चिंता खाए जा रही हो। गौरव ने बताया कि भाई की शादी और तिलक में खर्च के लिए पिता ने रिश्तेदारों और मिलने वालों से करीब तीन लाख रुपये उधार लिए थे। इसके कारण पिता परेशान थे। परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी। हम सब पिता को समझा रहे थे कि वह परेशान न हो सब ठीक हो जाएगा, पर एकाएक उन्होंने आत्महत्या कर ली।
घर में मचा कोहराम
गौरव ने बताया कि परिवार में मा सरस्वती, भाई विवेक, शुभम और पाच बहनें हैं। चार बहनों की शादी हो चुकी है, दोपहर शव पहुंचते ही घर पर कोहराम मच गया। मा गश खाकर गिर पड़ी। मा की हालत बिगड़ती देख परिवारीजनों ने उन्हें शात कराया। क्या है प्रक्रिया ?
सेवानिवृत्त कर्मचारी को तीन प्रतियों में पेंशन बुकलेट भरकर विद्यालय के कार्यालय में जमा करनी होती है। विद्यालय प्रबंधक व प्रधानाचार्य को इसे बेसिक शिक्षा विभाग व जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय को भेजना होता है। यहा से बीएसए व डीआइओएस पेंशन स्वीकृतकर्ता अधिकारी को पेंशन संबंधी दस्तावेज भेजते हैं। पेंशन स्वीकृतकर्ता अधिकारी अपने ऑडिट सेल से पेंशन का आकलन कराता है और उसके पेंशन प्रपत्र आदेश (पीपीओ) जारी करता है। प्रपत्र को संबंधित जिले के कोषागार को भेजा जाता है। कोषागार में आधार व अन्य संबंधित दस्तावेज लेकर पेंशन रिलीज होती है।
बीएसए व लेखा विभाग की दलील
रामभरोसे अपनी पेंशन पाने के लिए विभागों के चक्कर काटते रहे, मगर पेंशन नहीं मिली। इसके पीछे विभागीय अधिकारियों से लेकर बाबुओं तक की अपनी-अपनी दलीलें हैं। मगर हकीकत यह है कि 40 वर्षो तक विभाग को सेवा देने वाले कर्मचारी को 400 दिन तक विभाग के चक्कर काटने पर भी पेंशन नहीं मिली। शासनादेश विलंब से जारी होने की सूचना लेखाधिकारी द्वारा सभी सेवानिवृत्त पेंशनर्स को पत्र द्वारा अवगत कराया जा चुका था। रामभरोसे को भी 27 सितंबर 2017 को शासनादेश जारी न होने व उसकी प्रतीक्षा किए जाने के संबंध में पत्र जारी करते हुए अवगत कराया गया था। वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय द्वारा 14 मार्च 2018 को पेंशन प्रकरण जिला बेसिक शिक्षाधिकारी को प्रेषित किया गया है। बीएसए दफ्तर से 10 अप्रैल 2018 को पेंशन प्रकरण को अपर निदेशक कोषागार एवं लखनऊ मंडल लखनऊ को प्रेषित किया गया। 90 दिन के भीतर मामले के निस्तारण का है प्राविधान
शिक्षकों व कर्मचारियों के पेंशन संबंधी सभी मामलों का निस्तारण 90 दिनों में किए जाने का प्राविधान है। इस अवधि में विद्यालय, बीएसए कार्यालय, लेखा कार्यालय व कोषागार तक की सभी प्रक्त्रिया पूरी कर भुगतान करना होता है। क्या कहते है अफसर?
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी ने बताया कि शासनादेश जारी होते ही पेंशन संबंधी प्रकरण को एडी निदेशक/कोषागार भेज दिया गया था। पेंशन संबंधी किसी मामले को कार्यालय स्तर पर लंबित नहीं रखा गया है।