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मकर संक्रांति में लंबे समय बाद बन रहे बेहद उपयोगी संयोग

15 जनवरी को उदया तिथि के कारण भी मकर संक्रांति कई जगह मनाई जाएगी। इस दिन मकर राशि में सूर्योदय होने के कारण करीब ढाई घंटे तक संक्रांति के पुण्यकाल का दान पुण्य करना भी शुभ रहेगा।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 14 Jan 2018 11:04 AM (IST)Updated: Sun, 14 Jan 2018 04:22 PM (IST)
मकर संक्रांति में लंबे समय बाद बन रहे बेहद उपयोगी संयोग
मकर संक्रांति में लंबे समय बाद बन रहे बेहद उपयोगी संयोग

लखनऊ (जेएनएन)। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर होने वाला पर्व मकर संक्राति में इस बार लंबे अंतराल पर शुभ संयोग बन रहा है। इस बार भगवान सूर्य का आज मकर राशि में प्रवेश बीस मिनट देरी से होगा। इस बार 17 वर्ष बाद शुभ संयोग है। 

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वर्ष की सबसे बड़ी संक्रांति पर आज सूर्य दोपहर 1.45 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस बार 17 साल बाद कई शुभ संयोग मिल रहे हैं। मकर राशि शनिदेव की अपनी राशि है। इस तरह पिता सूर्य का अपने पुत्र की राशि में प्रवेश होगा। मकर संक्रांति से शुभ कार्य प्रारम्भ होंगे, लेकिन 4 फरवरी तक शुक्रअस्त होने से शादियों का योग नहीं है।

सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति होती है। आज दोपहर में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होना है। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार, मकर संक्राति पर उदयकाल महत्वपूर्ण नहीं होता। हर वर्ष सूर्य के धनु से मकर राशि में आने का समय बढ़ जाता है। इस बार भी 20 मिनट बढ़ा है। संक्रांति से 15 घंटे पहले और बाद का समय पुण्यकाल होता है। अब आने वाले कुछ वर्ष तक 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति होगी। इस बार आज तथा कल मकर संक्रांति का संयोग मिलने से दोनों दिन स्नान-दान होंगे।

सूर्य के उत्तरायन होने से सूर्य की किरणों सीधे धरती पर पडऩे लगेंगी और सर्दी का अवसान होने लगेगा। मकर संक्रांति से देवताओं का दिन प्रारम्भ होता है। दक्षिणायन में धरती पर सूर्य का प्रकाश कम आ पाता है, इसलिए सर्दी होती है।

मकर राशि शनि देव की अपनी राशि यानी घर है। मकर राशि में सूर्य का प्रवेश रविवार को होगा। मकर संक्रांति को सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से गुस्सा त्याग कर उनके घर (मकर राशि) में गए थे। इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, से पुण्य हजार गुना हो जाता है। मकर संक्रांति पर तिलादि का दान इसलिए किया जाता है क्योंकि यह देवान्न है व ऊर्जा का प्रतीक है।

मकर संक्रांति से शुभ कार्य तो प्रारम्भ हो जाएंगे लेकिन विवाह तथा अन्य आयोजन के लिए चार फरवरी तक ठहरना होगा। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार इस बार शुक्र चार फरवरी तक अस्त रहेंगे। 

लोग इस मंत्र से सूर्य भगवान की अराधना करेंगे

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर। दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमस्तु ते। ( हे आदिदेव भास्कर, आपको प्रणाम है। हे दिवाकर, आपको नमस्कार है। हे प्रभाकर आपको प्रणाम है। आप मुझ पर प्रसन्न हों)।

हर वर्ष सूर्य के धनु से मकर राशि में आने से दिन का समय करीब 20 मिनट बढ़ जाता है। करीब 72 वर्ष के बाद एक दिन के अंतर पर सूर्य मकर राशि में आता है। अब सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का समय 14 और 15 के बीच में होने लगा क्योंकि यह संक्रमण काल है। वर्ष 2012 में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 15 जनवरी को हुआ था। इसलिए मकर संक्रांति इस दिन मनाई गई। ज्योतिष गणनाओं पर विश्वास करें तो आने वाले कुछ वर्ष में मकर संक्रांति हर साल 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य डा.सुशांत राज के अनुसार करीब इस गणना के अनुसार 5000 साल बाद मकर संक्रांति फरवरी के अंतिम सप्ताह में मनाई जाने लगेगी।

दोपहर में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 

ज्योतिषीय गणना के अनुसार रविवार को दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करेगा। देवी पुराण के अनुसार, संक्रांति से 15 घंटे पहले और बाद तक का समय पुण्यकाल होता है। संक्रांति 14 तारीख की दोपहर में होने की वजह से साल 2018 में मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा और इसका पुण्यकाल सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक होगा जो बहुत ही शुभ संयोग है क्योंकि इस साल पुण्यकाल का लाभ पूरे दिन लिया जा सकता है।

15 जनवरी को उदया तिथि के कारण भी मकर संक्रांति कई जगह मनाई जाएगी। इस दिन मकर राशि में सूर्योदय होने के कारण करीब ढाई घंटे तक संक्रांति के पुण्यकाल का दान पुण्य करना भी शुभ रहेगा। संक्रांति में दान का विशेष महत्व होता है। बिना दान संक्रांति का कोई औचित्य ही नही। इसलिए इस साल प्रयाग माघ मेले में मकर संक्रांति का स्नान दोनों दिन यानी 14 और 15 जनवरी को होगा।

क्या करें जातक 

मेष-जल में पीले पुष्प, हल्दी, तिल मिलाकर अर्घ्य दें। तिल-गुड़ का दान दें। उच्च पद की प्राप्ति होगी।

वृषभ-जल में सफेद चंदन, दुग्ध, श्वेत पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी।

मिथुन-जल में तिल, दूर्वा तथा पुष्प मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। गाय को हरा चारा दें। मूंग की दाल की खिचड़ी दान दें। ऐश्वर्य प्राप्ति होगी।

कर्क-जल में दुग्ध, चावल, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। चावल-मिश्री-तिल का दान दें। कलह-संघर्ष, व्यवधानों पर विराम लगेगा।

सिंह-जल में कुमकुम तथा रक्त पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। तिल, गुड़, गेहूं, सोना दान दें। नई उपलब्धि होगी।

कन्या-जल में तिल, दूर्वा, पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। मूंग की दाल की खिचड़ी दान दें। गाय को चारा दें। शुभ समाचार मिलेगा।

तुला-सफेद चंदन, दुग्ध, चावल, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। चावल का दान दें। व्यवसाय में बाहरी संबंधों से लाभ तथा शत्रु अनुकूल होंगे।

वृश्चिक-जल में कुमकुम, रक्तपुष्प तथा तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। गुड़ दान दें। विदेशी कार्यों से लाभ, विदेश यात्रा होगी।

धनु-जल में हल्दी, केसर, पीले पुष्प तथा मिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। चारों-ओर विजय होगी।

मकर-जल में काले-नीले पुष्प, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। गरीब-अपंगों को भोजन दान दें। अधिकार प्राप्ति होगी।

कुंभ-जल में नीले-काले पुष्प, काले उड़द, सरसों का तेल-तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। तेल-तिल का दान दें। विरोधी परास्त होंगे। 

मीन-हल्दी, केसर, पीत पुष्प, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। सरसों, केसर का दान दें। सम्मान, यश बढ़ेगा।


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