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Muharram 2020: घरों मेें महदूद हुईं या हुसैन...या हुसैन की आवाजें, बदला दिखा तहजीब का शहर

Muharram 2020 लखनऊ में कोरोना वायरस की वजह से इस बार हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के 72 शहीदों की शहादत पर घर में हुई मजलिस।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 03:47 PM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 06:11 AM (IST)
Muharram 2020: घरों मेें महदूद हुईं या हुसैन...या हुसैन की आवाजें, बदला दिखा तहजीब का शहर
Muharram 2020: घरों मेें महदूद हुईं या हुसैन...या हुसैन की आवाजें, बदला दिखा तहजीब का शहर

लखनऊ [जितेंद्र उपाध्याय]। मैं वही लखनऊ हूं जहां पिछली मुहर्रम की चांद रात में हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के 72 शहीदों की शहादत के गम में आंखें जार-ओ-कतार रो रही थीं। सड़कों पर या हुसैन...या हुसैन...की सदाएं और आंसुओं में डूबी सड़कें मेरी सदियो पुरानी तहजीब को बयां कर रही थीं। कोरोना संक्रमण के कहर से मेरी तस्वीर बदल गई है। पहली मुहर्रम के जुलूस का इंतजार हर एक गमजदा अजादार को रहा। मजलिस को खिताब करने वाले इमाम-ए-जुमा मौलाना कल्बे जवाद नकवी हजारों अजादारों को खिताब करते थे जो पहली मुहर्रम को सिर्फ पांच लोगों को खिताब करते नजर आए। इस मंजर को देखसकर मेरी आंखों से आंसुओं का दरिया बह निकला और मैं अपनी पुरानी यादों में खो गया।

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मुझे याद है कि इस गम में महीने मेें गंगा जमुनी तहजीब का रंग और चटक हो जाता था।

हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के 72 शहीदों की शहादत के गम में हर अोर अजादार नजर आते थे। मजलिस मातम का दौर मुझे गमगीन करता था। कर्बला के शहीदों का गम मनाने के लिए लोग रंग-बिरंगे कपड़े उतार कर काले लिबास में हर ओर नजर आते थे। हजरत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के शहीदों के गम में अलम के लिए सेहरे, इमामबाड़े में सजने वाले अलम के लिए पटके और ताबूत के लिए फूलों की चादरों की दुकानों पर भीड़ नजर आती थी। मेरी पहचान यहां के मशहूर उलमा हर तरफ मजलिसों को खिताब करते हुए नजर आते थे। पुराने लखनऊ के साथ ही राजधानी के दिल हजरतगंज में मजलिस सुनने वालों की भीड़ दिखाई देती थी। पुराने लखनऊ की सड़कों पर हर तरफ सबील के स्टॉल लगे रहते थे जहां से मेरी खास पहचान कश्मीरी चाय, पानी व शर्बत लोगों को बांटा जाता था। कोरोना संक्रमण की पापंदियोे के बीच गम का यह महीना घरों की घरों मेें महदूद हो गया। घरों में सजे इमामबाड़ाें में चांद रात से ही ताजिये रखने का सिलसिला शुरू हो गया है। शिया व सुन्नी ही नहीं हिंदू अजादार भी इस गम के महीने की बदली तस्वीर को देखकर हैरान हैं। महिलाएं जेवर व चूड़ियां निकाल घर में ही काले लिबास में इमाम हुसैन की शहादत का गम मना रही हैं। हजरत मुहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के शहीदों के गम का यह सिलसिला दो महीने आठ दिन तक चलेगा। अच्छे भोजन व खुशी के समारोह से भी परहेज करेंगे। अजादारों ने इमामबाड़ों व घरों पर काले झंडे लगा दिये है।

मजलिस का इंतजार

मौलाना रजा हुसैन न बताया कि के साथ पहुचे शिया धर्म गुरु की मजलिस का सोशल मीडया व धार्मिक चैनल की ओर से प्रसारण करने की अनुमति मिली है। हजरतगंज के मकबरा सआदत अली खां, इमामबाड़ा आगा बाकर शिया कॉलेज, इमामबाड़ा, अफजल महल, इमामबाड़ा नाजिब और मदरसा नजमिया में भी कोरोना संक्रमण की गाइड लाइन के अनुसार मजलिस हाेगी, लेकिन सिब्तैनाबाद,शाहनजफ,रौजा-ए-काजमैन, कर्बला दियानुद्​दौला,दरगाह हजरतअब्बास,छोटा व बड़ा इमामबाड़ा सहित शहर के सभी दरगाहों और इमामबाड़ों में आयोजन का इंतजार रहा।

यहां दफन होते हैं ताजिए

मौलाना हबीब हैदर ने बताया कि हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के 72 शहीदों की शहादत के गम में शहर-ए-लखनऊ की मुख्य कर्बलाओं में जुलूस के साथ ताजिए दफन किए जाते थे। सबसे बड़ा तालकटोरा का कर्बला है जहां हजारों की संख्या में अजादार आते थे। कर्बला निशातगंज व गोमतीनगर के कर्बला उजरियांव में भी ताजिया दफन के लिए लोग जाते थे।

 मौलाना ने किया मजलिस को खिताब, नहीं निकला जरीह का जुलूस

हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके 72 साथियों की याद में पहली मोहर्रम (शुक्रवार) को आसिफी इमामबाड़े से शाही जरीह का जुलूस कोरोना वायरस को देखते हुए नहीं निकाला गया। आसिफी इमामबाड़े के प्रभारी हबीबुल हसन ने बताया कि जुलूस में 22 फिट की मोम की और 17 फिट ऊंची अभ्रक की जरीह मुख्य आकर्षण का केंद्र होती थीं। यह खूबसूरत जरीह बड़े इमामबाड़े से छोटे इमामबाड़े तक हजारों अकीदत मंदों के साथ जाती थी। जिसे कोविड-19 आैर सरकार की गाइडलाइन के अनुसार शाही जरीह के जुलूस को स्थगित कर दिया गया। चार जरीह बनी हैं उनमें एक जरीह को छोटे इमामबाड़े में एक बड़े इमामबाड़े में आैर दो इमामबाड़ा शाहनजफ में रखा गया है।

पुलिस आयुक्त सुजीत कुमार ने शिया धर्म गुरु व शहर-ए-जुमा मौलाना कल्बे जवाद को इमामबाड़ा ग़ुफरानमाब की मजलिस करने की इजाजत दे दी। मौलाना ने पांच लोगों की मौजूदगी में मजलिस को खिताब किया। मौलाना रजा हुसैन के साथ पहुचे शिया धर्म गुरु की मजलिस का सोशल मीडया व धार्मिक चैनल की ओर से प्रसारण भी किया गया। हजरतगंज के मकबरा सआदत अली खां, इमामबाड़ा आगा बाकर शिया कॉलेज, इमामबाड़ा, अफजल महल, इमामबाड़ा नाजिब और मदरसा नजमिया में भी मौलानाओं ने कोरोना संक्रमण की गाइड लाइन के अनुसार मजलिस को खिताब किया।


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